म्यूनिख में बोले प्रधानमंत्री मोदी!लोकतंत्र हर भारतीय के डीएनए में।





हिन्दुस्तान वार्ता। 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी-7 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए 26 से 27 जून तक जर्मनी में हैं। इस दौरान उन्होंने रविवार को जी-7 की बैठक के बाद म्यूनिख में प्रवासी भारतीयों को संबोधित किया। अपने संबोधन में आपातकाल का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि लोकतंत्र हर भारतीय के डीएनए में है। 

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प्रधानमंत्री मोदी ने जी-7 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के बद जर्मनी में रह रहे प्रवासी भारतीयों को किया संबोधित।

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विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने म्यूनिख के ऑडी डोम में जर्मनी में रह रहे भारतीय समुदाय को संबोधित किया और उनके साथ बातचीत की। इस कार्यक्रम में हजारों की संख्या में भारतीय समुदाय के लोगों ने हिस्सा लिया। 

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प्रगति और विकास के लिए अधीर है भारत: प्रधानमंत्री मोदी।

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बयान में कहा गया कि प्रधानमंत्री मोदी ने भारत की विकास गाथा पर प्रकाश डाला और देश के विकास एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा की गई विभिन्न पहलों का उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने भारत की सफलता की कहानी को बढ़ावा देने और भारत की सफलता के ब्रांड एंबेसडर के रूप में कार्य करने में प्रवासी भारतीयों के योगदान की भी सराहना की।

अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज का भारत होता है, चलता है, ऐसे ही चलेगा वाली मानसिकता से बाहर निकल चुका है। उन्होंने आगे कहा, आज भारत करना है करना ही है और समय पर करना है  का संकल्प रखता है। भारत अब तत्पर है तैयार है  अधीर है प्रगति के लिए, विकास के लिए। भारत अपने सपनों और सपनों की सिद्धि के लिए अधीर है।

प्रधानमंत्री मोदी ने आपातकाल का जिक्र करते हुए कहा कि लोकतंत्र हमारा गौरव है, लोकतंत्र हर भारतीय के डीएनए में है। उसे 47 साल पहले आज ही के दिन आपातकाल लगाकर कुचलने की कोशिश की गई थी। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मैं आप सभी में भारत की संस्कृति, एकता और बंधुत्व के भाव का दर्शन कर रहा हूं। आपका ये स्नेह मैं कभी भूल नहीं पाऊंगा। आपके इस प्यार, उत्साह और उमंग से जो लोग हिंदुस्तान में देख रहे हैं उनका सीना भी गर्व से भर गया होगा।

प्रधानमंत्री मोदी आगे कहा कि आपातकाल के कालखंड भारत के वाइब्रेंट डेमोक्रेटिक इतिहास में एक काले धब्बे की तरह है। इस काले धब्बे पर सदियों से चली आ रही लोकतांत्रिक परंपराओं की श्रेष्ठता भी पूरी शक्ति के साथ विजयी हुई, लोकतांत्रिक परंपराएं इन हरकतों पर भारी पड़ी।

(रिपोर्ट: शाश्वत तिवारी)