एमिटी विश्वविद्यालय द्वारा एडवांस इमेजिंग एवं मास स्पेक्ट्रोस्कोपी पर डीएसटी - एसटीयूटीआई प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ।




हिन्दुस्तान वार्ता।नोयडा

एमिटी विश्वविद्यालय उत्तरप्रदेश द्वारा विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार (डीएसटी) और बीएचयू के सहयोग से डीएसटी - एसटीयूटीआई के अंर्तगत 30 छात्रों, शिक्षकों और शोधार्थियों के लिए एक सप्ताह का एडवांस इमेंजिंग एडं मास स्पेक्ट्रोस्कोपी तकनीक पर आधुनिक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। 

01 से 07 जून तक चलने वाले इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ एमिटी फांउडेशन फॉर साइंस टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन एलायंस के डिप्टी डायरेक्टर जनरल डा ए च्रकवर्ती, बनारस हिंदु विश्वविद्यालय के रेक्टर प्रो विजय कुमार शुक्ला, एमिटी सांइस टेक्नोलॉजी एंड इनावेेशन फांउडेशन के उपाध्यक्ष डा डी एस चौहान द्वारा बीएचयू के सेंट्रल डिस्कवरी सेंटर के सॉफिस्टीकेटड एनालिटिकल टेक्नीकल हेल्प इंस्टीयूट के सभागार में किया गया। इस अवसर पर विभिन्न संस्थानो और उद्योगों से 30 प्रतिभागियों ने प्रशिक्षण कार्यक्रम में हिस्सा लिया है। 

  इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए एमिटी फांउडेशन फॉर साइंस टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन एलायंस के डिप्टी डायरेक्टर जनरल डा ए च्रकवर्ती ने कहा कि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का मुख्य उददेश्य राष्ट्र का विकास है आज की युवा वैज्ञानिक पीढ़ी महत्वपूर्ण मानव संसाधन है जिनका संर्पूण विकास आवश्यक है। एमिटी विश्वविद्यालय के दो मुख्य उददेश्य है प्रथम राष्ट्रीय विकास में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करना और शोधार्थियों को अनुसंधान के लिए प्रोत्साहित करते हुए सुविधाये उपलब्ध कराना। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम से हम युवा मस्तिष्कों को उपलब्ध आधुनिक संसाधनों और तकनीकियों की जानकारी देे रहे और उसका उपयोग करने के लिए प्रेरित भी कर रहे है। डा च्रकवर्ती ने कहा कि वर्तमान समय बहु विषयक शोध का है जिसमें बायोकेमेस्ट्री, बायोफिजिक्स, माइक्रोबायोलॉजी आदि शामिल है। उन्होनें प्रतिभागियों से कहा कि इस अवसर का लाभ उठाये और आधुनिक तकनीक का उपयोग अपने शोध के लिए करे और अन्य शोधार्थियों को भी इन उपलब्ध सुविधाओं की जानकारी दें।

     बनारस हिंदु विश्वविद्यालय के रेक्टर प्रो विजय कुमार शुक्ला ने कहा कि हमारे देश के प्रधानमंत्री जी का यही दृष्टिकोण है कि भारत अनुयायी बनने की बजाय विश्व का नेतृत्व करे और आप इस दृष्टिकोण को पूर्ण कर सकते है। आज कई उद्योग है जो अपने शोध किये जाने वाले उत्पादों को उच्च उपकरणों से जांच करने के लिए विदेश भेजते है जबकी यह उपकरण देश के कई संस्थानों में उपलब्ध है आप अपने अनुसंधानों के लिए उन उपकरणो का उपयोग कर सकते है। प्रो शुक्ला ने कहा कि हमारी नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति भी देश के युवाओ ंके संपूर्ण विकास पर आधारित है। उन्होनें शोधार्थियों को सलाह देते हुए कहा कि अनुसंधान के लिए मौलिक समस्याओं, स्वंय या समाज से जुड़ी समस्याओं के निवारण विषयों पर कार्य करें। 

    एमिटी सांइस टेक्नोलॉजी एंड इनावेेशन फांउडेशन के उपाध्यक्ष डा डी एस चौहान  ने कहा कि आज विश्व का हर देश अपने शोध का उपयोग धन व यश कमाने के लिए कर रहा है केवल भारत ही है जहां शोध मानव कल्याण की भावना से किया जा जाता है। डा चौहान ने यह प्रशिक्षण कार्यक्रम आप सभी प्रतिभागियों के लिए अनुसंधान सहित व्यवसायिक जीवन के विकास में सहायक होगा। 

   विदित हो कि एमिटी विश्वविद्यालय उत्तरप्रदेश को विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) द्वारा परियोजना प्रबंधन इकाई के रूप में ‘वैज्ञानिक और तकनीकी बुनियाद ढांचे का उपयोग करने वाले सिनर्जिस्टिक ट्रेनिंग प्रोग्राम कार्यक्रम से सम्मानित किया गया है।

   इस डीएसटी - एसटीयूटीआई नामक साप्ताहिक प्रशिक्षण कार्यक्रम का उददेश्य देश भर  में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी अवसंरचना का उपयोग करते हुए देश भर मेे विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की पहंुच के माध्यम से मानव संसाधन और ज्ञान क्षमता का निर्माण करना है। शैक्षणिक संस्थानों में शोध एवं विकास संरचना के विस्तार के लिए डीएसटी प्रयोजित विभिन्न परियोजनाओं के पूरक के रूप में एसटीयूटीआई योजना एक व्यावहारिक प्रशिक्षण कार्यक्रम और अत्याधुनिक उपकरणों के संवेदीकरण के साथ साथ पारदर्शीता पंहुच सुनिश्चित करते हुए विज्ञान और तकनीकी सुविधाओ को साझा करने की कल्पना करती है। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम हब एंड स्पोक मॉडल दृष्टिकोण पर आयोजित किया जायेगा।

  इस अवसर पर बीएचयू के सॉफिस्टीकेटड एनालिटिकल टेक्नीकल हेल्प इंस्टीयूट के समन्वयक प्रो अनिल के त्रिपाठी, बीएचयू के सेंट्रल डिस्कवरी सेंट्रल के समन्वयक प्रो माया शंकर सिंह ने अपने विचार रखे और कार्यक्रम के समापन पर बीएचयू के सॉफिस्टीकेटड एनालिटिकल टेक्नीकल हेल्प इंस्टीयूट के सीओओ श्री साइकत सेन ने धन्यवाद ज्ञापित किया।