आस्था के नाम पर इस्लामी हिंसा का उन्माद।

 

                        डॉ. बचन सिंह सिकरवार

हिन्दुस्तान वार्ता।

हाल में पैगम्बर को लेकर नूपुर शर्मा की टिप्पणी पर काँग्रेस द्वारा जिस तरह सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक दल (राजग)को आड़े हाथ लेते हुए भाजपा से अपने पदाधिकारियों को गिरपतार कराने की जिस तरह माँग की जा रही है, उससे उसकी अल्पसंख्यक/मुस्लिम पक्षधरता एक बार फिर सबके सामने खुलकर आ गई। वैसे भी ताजुब्ब तो तब होता, जब इस संवेदनशील मसले पर राष्ट्रहित में खामोश रहती, या फिर अपनी पार्टी या दूसरे सियासती पार्टियों के नेताओं या कथित इस्लामिक स्काॅलरों द्वारा वाराणासी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे के समय वजूखाने में शिवलिंग सरीखी काले पत्थर की आकृति को ‘फुव्वारा’ बताने/प्रमाणित करने साथ-साथ उसे लेकर हिन्दुओं की आस्था को लेकर विभिन्न टी.वी.चैनलों और समाचार पत्रांे में बयानों के जरिए लगातार भद्दे-भद्दे मजाक उड़ाये जाने की निन्दा की जाती, पर उससे ऐसी उम्मीद करना ही बेकार है। इस मामले में काँग्रेस के नेताओं ने यह जानने-देखने की कोशिश नहीं कि भाजपा की प्रवक्ता नूपुर शर्मा ने एक चैनल पर बहस के दौरान पैगम्बर पर टिप्पणी किन परिस्थितियों में की ? उन्हें किन लोगों ने ऐसा कुछ कहने को विवश किया, जो उनसे कहने की आशा नहीं करनी चाहिए या फिर उन्हें नहीं कहना चाहिए था। अब जहाँ तक भाजपा का प्रश्न है, तो उसने स्पष्ट कर दिया है कि वह सभी धर्माें और उनके मानने वालों की आस्था का सम्मान करती है। वह किसी भी ऐसे व्यक्ति या विचारधारा के खिलाफ है,जो किसी धर्म,सम्प्रदाय या धार्मिक व्यक्तित्व को नीचा दिखाने की कोशिश करता है। उसने अपनी प्रवक्ता नूपुर शर्मा और दिल्ली भाजपा के मीडिया प्रभारी नवीन कुमार जिन्दल के बयान को अनुचित मानते हुए उसकी निन्दा की है। इसके लिए भाजपा ने नूपुर शर्मा को छह वर्ष के लिए पार्टी की सदस्यता से निलम्बित करने के साथ-साथ नवीन कुमार जिन्दल को भी पार्टी से निष्कासित कर दिया है। इसके बावजूद काँग्रेस और दूसरी सियासी पार्टियों का कहना है कि वह इन दोनों के विरुद्ध थाने में रिपोर्ट कराके गिरपतार भी कराये। इनमें से किसी ने भी अब तक इस्लाामिक कट्टरपंथियों द्वारा नूपुर शर्मा और उनके परिवार को जान से मारने और उनके साथ दुष्कर्म करने की धमकियाँ दिये जाने पर उनकी निन्दा/भत्र्सना नहीं की है। अब ऐसे लोगों से पूछना चाहिए कि वे ऐसे लोगों को कौन-सी सजा तजवीज करेंगे?या फिर उनके वोट की खातिर खामोश ही बने रहेंगे?

मान भी लिया जाए कि वह ऐसा ही करती है,तो क्या काँग्रेस और दूसरे सियासी पार्टियाँ भी ऐसा ही करेंगीं या करने का तैयार हैं, जिनके प्रवक्ता भगवान श्रीराम और रामसेतु के अस्तित्व पर प्रश्न उठाने के साथ-साथ हर रोज हिन्दुओं की धार्मिक आस्था का मजाक उड़ाते आए हैं।

वैसे हकीकत यह भी है कि काँग्रेस की मुसलमानों से मुहब्बत बेवजह/बगैर मतलब की नहीं है। काँग्रेस के नेताओं ने उनके एकमुश्त वोट की कीमत आजादी के कुछ समय बाद ही समझ ली थी। उन्होंने अँग्रेजों की फूट डालो राजनीति का अनुसरण करते हुए जहाँ हिन्दुओं को सवर्ण/गैर सवर्ण ,वहीं मुसलमानों को हिन्दुओं से डराने तथा लड़ाने की नीति को अपनाया। नतीजा इस नीति के जरिए दशकों तक सत्तासुख भोगा। फिर भी पिछले कई चुनावों में बार-बार पराजय झेलने के बाद पुराने और बेअसर हो चुके इस फाॅर्मूले को काँग्रेस नेता छोड़ने को तैयार नहीं हैं।

फिर इस दौरान इस्लाम के अनुयायियों द्वारा नूपर शर्मा के खिलाफ एक रिपोर्ट मुम्बई के मुंब्रा थाने तथा दूसरी दक्षिण मुम्बई के पायधुनी थाने में सुन्नी बरेलवी संगठन की रजा अकादमी के सह सचिव इरफान शेख द्वारा आइ.पी.सी. की धारा 295ए, 153 और 505-2 के तहत 28मई, फिर 31मई पुणे में मुकदमा दर्जा कराया दिया , जहाँ से उन्हें पूछताछ के लिए समन भी भेजा जा चुका है। वैसे नूपुर शर्मा के कथित टिप्पणी को लेकर भाजपा समेत देश के लोगों के बीच समर्थन और विरोध जारी है। इन सभी के विपरीत प्रख्यात फिल्म अभिनेत्री कंगना रनोट ने अपने इंस्टाग्राम अकाउण्ट पर नूपुर शर्मा की टिप्पणी का समर्थन करते हुए कहा कि नूपुर शर्मा को अपने विचार रखने का पूरा अधिकार है। फिर भी उन्हें कई तरह की धमकियाँ दी जा रही हैं। जब रोजाना हिन्दू देवी-देवताओं का का अपमान किया जाता है, तो हम अदालत जाते हैं। आप भी वैसा करिए। गुण्डागर्दी की करने की क्या जरूरत है? यह कोई अफगानिस्तान नहीं है, जो लोग भूल गए हों, उन्हें में बताना चाहती हूँ कि यहाँ बकायदा लोकतांत्रिक पद्धति से चुनी हुई सरकार है। अपने इस बयान में कंगना रनोट ने कुछ भी गलत नहीं कहा है, बल्कि लगभग वैसी दलील दी है, जैसी सेक्युलर -उदारवादी गिरोह/गुट इस्लामिक कट्टरपंथियों के बयानों, या हिन्दू देवी-देवतों या हिन्दुओं का मजाक बनाने वाली ‘पी.के.’,‘ओ माई गाड’,या फिर ‘धर्म संकट’ आदि फिल्मों के निर्माण करने वालों या फिर चित्रकार मकबूल फिदा हुसैन द्वारा हिन्दू देवी-देवताओं के नग्न तथा कुत्सित चित्रण, श्रीरामजन्मभूमि मामले में बेजां बयानों का बचाव करते हुए अक्सर दिये जाते रहे हैं। वैसे भी जहाँ सेक्युलर उदारवादियों ,वामपंथियों को राष्ट्रहित में बोलने या कुछ कार्य करने वाले ‘साम्प्रदायिक’/भाजपाई, आर.एस.एस.वाले दिखायी देते हैं, वहीं जम्मू-कश्मीर में कश्मीर पण्डित/हिन्दुओं के सफाये के पीछे इस्लामिक कट्टरपंथियों का जिहाद नजर नहीं आता है, जो इस सूबे में ही नहीं, पूरे भारत के साथ-साथ सारी दुनिया में निजाम-ए-मुस्तफा यानी ‘दारुल इस्लाम’ बनाने की ख्वाहिश रखते हैं। तभी से काँग्रेस समेत सेक्युलर सियासी पार्टियाँ अपने इसी नजरिये के चलते जम्मू-कश्मीर में हिन्दू दलित शिक्षिका रजनीबाला की हत्या या हैदराबाद में बी.नागराजू की मुस्लिम युवती से विवाह करने पर खामोश रहती हैं, क्यों कि इन मामले में हत्यारे एक खास वर्ग के हैं। ये तभी अपनी जुबान खोलती हैं, जब पीड़ित किसी खास मजहब या जाति को होता है।

अब काँग्रेस भाजपा पर अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत को बदनाम करने वाले अपने प्रवक्ताओं पर कार्रवाई करने का नाटक करने जो आरोप लगा रही है, वह सरासर झूठ है। वैसे काँग्रेस की यह हरकत उसकी अल्पसंख्यकों विशेषकर इस्लामिक कट्टरपंथियों को खुश करने और उनका हमदर्द साबित करने की सियासत है। वैसे भी काँग्रेस से देश हित और सच का साथ देने की उम्मीद ही फिजूल है। सच तो यह है कि काँग्रेस के वरिष्ठ नेता ही समय-समय पर अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत को बदनाम करने के साथ-साथ हिन्दुओं की धार्मिक भावनाओं को आहत करने को करते आए हैं, किन्तु आज तक उनके खिलाफ कार्रवाई तो दूर,अपरोक्ष रूप से सराहा ही जाता रहा है। कुछ समय पहले ही काँग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गाँधी ने लन्दन में न केवल भारत के एक राष्ट्र होने पर सवाल उठाये, बल्कि कई दूसरे तरीकों से देश को बदनाम करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उसके पूर्व मंत्री मणिशंकर अय्यर ने तो अपनी पाकिस्तान यात्रा के दौरान एक तरह से उससे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार में को सत्ता से बेदखल करने की मदद तक माँगने की तक कोशिश की। ऐसा लगता है कि काँग्रेस के नेता चाहे राहुल गाँधी हों या मणिशंकर अय्यर या कोई उन्हें दूसरे मुल्कों में भारत को बदनाम/नीचा दिखाने ही उनके दिल को शुकून मिलता/ मजा आता है।

सदैव भाँति इस बार भी कथित सेक्युलर सियासी पार्टियों के नेता समेत वामपंथियों ने न सिर्फ भाजपा प्रवक्ता नूपुर शर्मा के बयान की भत्र्सना करते हुए उनकी गिरपतारी की माँग तो की, लेकिन उन सियासी पार्टियों और इस्लामिक स्काॅलरों, मुल्ला-मौलवियों के बारे में एक लपज तक नहीं बोला, जो हिन्दुओं की धार्मिक आस्थाओं का आए-दिन अपमान करते रहते हैं। यहाँ तक कि इस मामले में उन इस्लामिक मुल्कों कतर, ईरान, इराक, पाकिस्तान,तुर्किये(तुर्किस्तान),वमलेशिया आदि के प्रतिक्रियाओं को जायज ठहराने से भी नहीं चूके हैं, जबकि खुद ये मुल्क अपने यहाँ दूसरे मजहबों और उनके साथ कैसे सुलूक करते हैं,यह साबित करने की जरूरत नहीं है। इन मुल्कों ने यह जानने की भी जरूरत नहीं समझी कि भारत में उनके हममजहबी किस तरह का सुलूक हिन्दू धर्म और उनके मानने वालोें के साथ करते आए हैं। क्या इस्लाम के अनुयायियों की धार्मिक आस्था-आस्था है, हिन्दुओं की कुछ भी नहीं। इनमें से कतर ने ही हिन्दू देवी-देवताओं के नग्न और कुत्सित चित्र बनाने वाले चित्रकार मकबूल फिदा हुसैन को अपने मुल्क में पनाह और नागरिकता दी। हाल में इनमें से कुछ इस्लामिक मुल्कों ने फिल्म ‘सम्राट पृथ्वीराज’ को अपने यहाँ प्रदर्शन पर रोक लगाने का ऐलान किया था। शायद इन मुल्कों ने भी काँग्रेस, सेक्युलर सियासी पार्टियों, वामपंथियों की तरह हिन्दुओं को कमजोर समझ लिया है। शायद ये मुल्क भी यह समझते हैं कि भारत कच्चे तेल और अपने मुल्क के मुसलमानों के दाबव में उनकी धमकी से आसानी झुक जाएगा। अपने इस दृष्टि को दोष या समझदारी में कमी को काँग्रेस और कुछ दूसरे क इस्लामिक मुल्क और उनका 57मुल्क का संगठन ‘ओ.आइ.सी.(इस्लामी सहयोग संगठन) को जितना जल्दी सुधार ले,उतना उनके हित में होगा। अब बदलता भारत किसी मुल्क/मुल्कों की धमकी से डरने और रुकने वाला नहीं है। वह उस रास्ते पर आगे बढ़ेगा, जो उसके और उसके लोगों के हित में होगा। उसे अपने लोगों के हर तरह की आस्थाओं और उनके सम्मान की रक्षा करना अच्छी तरह आता है। इसकी उसमें शक्ति और सामथ्र्य भी है। यह अब किसी को बताने-जताने या प्रमाण देने की आवश्यकता नहीं है।

 ✍️डाॅ.बचन सिंह सिकरवार 

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