एमिटी विश्वविद्यालय में वन महोत्सव का शुभारंभ।





हिन्दुस्तान वार्ता। नोयडा

छात्रों कों वनों का मानव जीवन में महत्व और पर्यावरण विकास मे उनकी भूमिका के प्रति जागरूक करने के लिए एमिटी विश्वविद्यालय के एमिटी स्कूल ऑफ नैचुरल रिर्सोस एंड संस्टेनेबल डेलवपमेंट द्वारा 01 से 07 जुलाई तक बृहद वन महोत्सव कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। इस अवसर पर विभिन्न कार्यक्रम जैसे कार्यशाला, पौधारोपण, वेबिनार, निंबध लेखन प्रतियोगिता, पोस्टर प्रतियोगिता आदि का आयोजन किया जायेगा। इसी क्रम में आज इस वन महोत्सव का प्रारंभ ‘‘वन महोत्सव पर कार्यशाला’ का आयोजन करके किया गया। इस कार्यशाला का शुभारंभ उत्तर प्रदेश के पूर्व प्रिसिंपल चीफ कंसरवेटर ऑफ फॉरेस्ट और हेड ऑफ फॉरेस्ट फोर्स श्री एस के उपाध्याय, सड़क और परिवहन मंत्रालय के ग्रीन हाइवे डिविजन के वरिष्ठ सलाहकार डा ए के जैन, त्रिपुरा के पूर्व प्रिसिंपल चीफ कंसरवेटर ऑफ फॉरेस्ट श्री सुरेंद्र कुमार, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन के उत्तरी रिजन के पूर्व डिप्टी डायरेक्टर जनरल श्री वी के सिंह, एमिटी लॉ स्कूल के चेयरमैन डा डी के बंद्योपाध्याय और एमिटी स्कूल ऑफ नैचुरल रिर्सोस एंड संस्टेनेबल डेलवपमेंट के निदेशक डा एस पी सिंह द्वारा किया गया। 

इस कार्यशाला का शुभारंभ करते हुए उत्तर प्रदेश के पूर्व प्रिसिंपल चीफ कंसरवेटर ऑफ फॉरेस्ट और हेड ऑफ फॉरेस्ट फोर्स श्री एस के उपाध्याय ने कहा कि प्राचीन समय से हमारे ग्रंथों में वन और वृक्षों के महत्व को बताया गया है और हमारे पूर्वज भी जीवन में इनके महत्व को समझते थे। आज जलवायु परिवर्तन और पृथ्वी का बढ़ता तापमान हम सभी के लिए चुनौती है और सरकार द्वारा स्वच्छ उर्जा, वैकल्पिक उर्जा के स्त्रोत, सौर उर्जा आदि में हो रहे प्रयास प्रकृति संरक्षण के दिशा में सार्थक कदम है। श्री उपाध्याय ने कहा कि वृक्ष एक मात्र जीवित चीजें है जो कार्बनडायआक्साइड को शोषित कर हमारे लिए ऑक्सीजन प्रदान करता है। हम व्यक्ति को अपने जीवन में दो वृक्ष अवश्य लगाने चाहिए और उनका पोषण भी करना चाहिए।

सड़क और परिवहन मंत्रालय के ग्रीन हाइवे डिविजन के वरिष्ठ सलाहकार डा ए के जैन ने संबोधित करते हुए कहा कि वन महोत्सव हमारे जीवन में वृक्षों और वनों की अहमियत को बताता है। उन्होनें कहा कि आने वाली पीढ़ीयों को वृक्षों व वनों के महत्व के प्रति जागरूक करना और नये वृक्षों के रोपण के लिए प्रेरित करना जरूरी है। पिछले कुछ समय से सरकारों की वृक्षो के संरक्षण और पौधारोपण के क्षेत्र में राजनितिक दृष्टिकोण का विकास हुआ है। संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य के सभी 17 गोल पर्यावरण संरक्षण से जुडे है किंतु लक्ष्य नं 13 जलवायु परिवर्तन, नं 14 पानी में जीवन और नं 15 भूमि पर जीवन विशेष रूप से वनों से जुड़े है। 

त्रिपुरा के पूर्व प्रिसिंपल चीफ कंसरवेटर ऑफ फॉरेस्ट श्री सुरेंद्र कुमार ने कहा कि पिछले 50 वर्षो में विज्ञान और तकनीकी ने काफी प्रगती की है किंतु यह आर्थिक विकास ने हमारे प्राकृतिक संसाधनों को हाशिये पर कर दिया और अब जलवायु परिवर्तन, प्रदुषण ने आपातकाल की स्थिती बना दी। प्लास्टिक पर रोक लगाकर एक बाल कदम उठाया गया जिसे हमे काफी पहले लेना चाहिए था। उन्होनें ़ित्रपुरा में वनो ंकी स्थिती, वनों की सख्या में गिरावट आदि की विस्तृत जानकारी प्रदान की।

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन के उत्तरी रिजन के पूर्व डिप्टी डायरेक्टर जनरल श्री वी के सिंह ने कहा कि वर्तमान समय वन महोत्सव के सही अर्थो का अवलोकन करने का है। पौधो के रोपण के साथ उनके पोषण और रखरखाव के महत्व को भी समझना होगा। स्थानीय लोगो ंकी सहायता के बगैर वनों का संरक्षण संभव नही है और वन महोत्सव के नतीजे 5 से 10 सालों के उपरंात दिखते है। 

एमिटी लॉ स्कूल के चेयरमैन डा डी के बंद्योपाध्याय ने संबोधित करते हुए कहा कि हमें वन महोत्सव को एक संस्कृति बनाना होगा जिसका उददेश्य जागरूकता फैलाने के साथ लोगो को वृक्षारोपण और पोषण के लिए प्रोत्साहित करना भी होना चाहिए। प्राचीन समय में वृक्ष एवं वन हमारे जीवन, संस्कृती और आध्यात्म का हिस्सा रहे है। एमिटी मे ंहम छात्रों को वन महोत्सव के जरीए वृक्ष लगाने के लिए प्रेरित करते है।

एमिटी स्कूल ऑफ नैचुरल रिर्सोस एंड संस्टेनेबल डेलवपमेंट के निदेशक डा एस पी सिंह ने अतिथयों और प्रतिभागीयों का स्वागत करते हुए कहा कि एमिटी में एक सप्ताह के वन महोत्सव कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है जिसमें कार्यशाला, विशेषज्ञों द्वारा व्याख्यान का आयोजन होगा और देश के विभिन्न राज्यों से इसमें प्रतिभागी हिस्सा ले रहे है। वन महोत्सव पर्यावरण के संरक्षण के लिए आयोजित एक वार्षिक पौधारोपण उत्सव है।

इस अवसर पर अतिथियों द्वारा एमिटी विश्वविद्यालय में पौधारोपण भी किया गया।