गाँव में घुसा मगरमच्छ,वन विभाग और वाइल्डलाइफ एसओएस ने पकड़,चंबल नदी में किया स्थानांतरित।





हिन्दुस्तान वार्ता।मैनपुरी

उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले के उजीर गांव में नौ फुट लंबे मगरमच्छ को खेत में घूमते देख गाँव में हड़कंप मच गया। वन विभाग और वाइल्डलाइफ एसओएस ने विशालकाय मगरमच्छ को सफलतापूर्वक पकड़ा जिसे बाद में इटावा स्थित चंबल नदी में छोड़ दिया गया।

गुरुवार की सुबह उजीर गांव के निवासियों के लिए चौकाने वाली रही जब उन्होंने खेत में एक विशाल मगरमच्छ को घुमते हुए देखा। नौ फीट लंबा मगरमच्छ शुरू में खेत में देखा गया था, जो बाद में झाड़ियों में छुप गया। घबराए ग्रामीणों ने फौरन इसकी सूचना वन विभाग को दी। इस घटना को लेकर वाइल्डलाइफ एसओएस को भी अलर्ट किया गया।

घंटों तक चले रेस्क्यू और रिलीज़ ऑपरेशन में, नौ फुट लंबे मगरमच्छ को सफलतापूर्वक बचाया गया और बाद में वन विभाग और वाइल्डलाइफ एसओएस द्वारा इटावा स्थित चंबल नदी में स्थानांतरित कर दिया गया।

मगरमच्छ जिसे मार्श क्रोकोडाइल भी कहा जाता है, भारतीय उपमहाद्वीप, श्रीलंका, बर्मा, पाकिस्तान और ईरान के कुछ हिस्सों में पाए जाते हैं। यह आमतौर पर मीठे पानी जैसे नदियों, झीलों, पहाड़ी नदियों, गाँव के तालाबों और मानव निर्मित जलाशयों में पाए जाते हैं।

 वाइल्डलाइफ एसओएस के सह-संस्थापक और सीईओ कार्तिक सत्यनारायण ने कहा.. “मगरमच्छों को भय और शत्रुता की नज़रों से देखा जाता है, जिससे इस प्रजाति के साथ मानव संघर्ष की घटनाएं होती हैं। गलत तरीके से पकड़ना या उसे उकसाना खतरनाक साबित हो सकता है एवं कोई अप्रिय दुर्घटना भी हो सकती है। यह आवश्यक है कि हम जंगली जानवरों की उपस्थिति के प्रति संवेदनशील रहें। हम इस तरह के रेस्क्यू और रिलीज़ अभियान में वन विभाग की सहायता करने के लिए उनके आभारी हैं।

 वाइल्डलाइफ एसओएस के डायरेक्टर कंज़रवेशन प्रोजेक्ट्स, बैजूराज एम.वी ने कहा..“मानसून के दौरान, नदियाँ और नहरें ओवरफ्लो हो जाती हैं, जिस कारण मगरमच्छों को धुप सेकने की जगह नहीं मिलती। इसलिए, वे धुप सेकने के लिए सूखे स्थानों की तलाश में पानी से बाहर आते हैं, जिसके कारण मनुष्यों के साथ संघर्ष की घटनाएं होती हैं। मगरमच्छ ताजे पानी में पाए जाते हैं जिनमें तालाब, नदियां, झील और दलदल शामिल हैं और वे अधिक उपयुक्त आवास की तलाश में भूमि पर काफी दूरी तक प्रवास भी कर सकते हैं।

भोगांव के रेंज फॉरेस्ट ऑफिसर, महेंद्र सिंह ने कहा... “जैसे ही हमें गांव में मगरमच्छ देखे जाने की सूचना मिली, हमने तुरंत एक टीम को घटनास्थल पर भेजा। यह काली नदी से निकला होगा जो गांव के पास ही स्थित है। हम इस तरह के संवेदनशील रेस्क्यू और रिलीज़ मिशन में विशेषज्ञ सहायता के लिए वाइल्डलाइफ एसओएस टीम के आभारी हैं।”

 एक समय पर, मगरमच्छ पूरे उपमहाद्वीप में व्यापक रूप से फैले हुए थे, लेकिन समय के साथ, निवास स्थान के विनाश, शिकार, भोजन की कमी, मानव अतिक्रमण और बढ़ती संघर्ष स्थितियों के कारण उनकी आबादी में कमी आई है।