स्वच्छता कार्य में शून्य मृत्यु का लक्ष्य, सफाई मित्रों की सुरक्षा की गारंटी।




हिन्दुस्तान वार्ता।

सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान होने वाली मौतें लंबे समय से भारत के लिए चिंता का विषय हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले 05 सालों में भारत में सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान 347 लोगों की मौत हुई है, जिसमें उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु और दिल्ली में 40 फीसदी मौतें हुई हैं। इन्ही परेशानियों से निपटने के लिए सरकार ने ‘नेशनल एक्शन प्लान फॉर मैकेनाइज्ड सेनिटेशन इकोसिस्टम (नमस्ते) योजना तैयार की है, जिसका उद्देश्य ऐसी मौतों की संख्या को शून्य पर लाना है। यह योजना पेयजल और स्वच्छता विभाग भारत सरकार, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय भारत सरकार और आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय की एक संयुक्त परियोजना है।

सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय में सचिव आर0 सुब्रह्मण्यम का कहना है कि सफाई मित्रों के सम्मान और सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए पहली बार, देश के 500 शहर 'सफाई मित्र सुरक्षित' घोषित किए गए हैं। इसके साथ ही ‘हर मेन होल’ को ‘मशीन होल’ में बदलने के लिए आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय लगातार काम कर रहा है। नमस्ते योजना का उद्देश्य भारत में सफाई कार्य में होने वाली मौतों की संख्या को शून्य पर लाना है। साथ ही यह भी सुनिश्चित करना है कि सभी तरह के सफाई कार्य स्किल्ड वर्कर द्वारा किया जाए। इसके साथ ही सभी सीवर और सेप्टिक टैंक सफाई वर्करों के पास वैकल्पिक वर्क का भी ऑप्शन होगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी कहना है की हमारे सफाई कर्मचारी, हमारे भाई-बहन सही मायने में इस अभियान के सच्चे नायक हैं जो मंत्रालय द्वारा चलाया जा रहा है। 17 अगस्त को आयोजित एक वर्चुअल इवेंट में स्वच्छ भारत मिशन शहरी, आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय की संयुक्त सचिव और मिशन निदेशक सुश्री रूपा मिश्रा ने 'सफाई मित्र सुरक्षित' घोषित होने के लिए भारतीय शहरों की दशकों की लंबी यात्रा को याद किया। उन्होंने कहा कि, ‘सरकार स्वच्छता कार्य में शून्य मृत्यु को लेकर प्रतिबद्ध है,’ 2019 में विश्व शौचालय दिवस पर, MoHUA ने 'सफाई मित्र सुरक्षा चुनौती' की शुरूआत की थी, जिसके माध्यम से हमने 100 लाइटहाउस शहरों की पहचान की, जो स्वच्छता के बुनियादी ढांचों के मामले में अच्छी तरह से सुविधायुक्त थे, इसके साथ ही ‘सफाई मित्र सुरक्षित शहर’ के लिए आवश्यक प्रोटोकॉल भी तय किए गए हैं। राज्यों ने जिला स्तर पर उत्तरदायी स्वच्छता प्राधिकरण (आरएसए) और इमर्जेंसी रिस्पॉन्स स्वच्छता यूनिट (ईएसआरयू) की स्थापना की है और अब सफाई मित्रों के प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण को प्राथमिकता दे रहे हैं। उन्होंने कहा की हमें इस मोड़ पर आने में 75 साल लगे हैं, लेकिन यह भी निश्चित है कि, कोई भी अच्छा कार्य शुरू किया जाता है तो वह अपने लक्ष्य को प्राप्त कर ही लेता है। MoHUA यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि, सभी भारतीय शहर मार्च 2024 तक खुद को 'सफाई मित्र सुरक्षित' घोषित कर दें।

(रिपोर्ट: शाश्वत तिवारी)