देश पर बलिदान हुए जवानों सहित हजारों मारे गए सनातनियों के लिए गोमती तट पर पितृ तर्पण- दीपदान 25 को।

 


हिन्दुस्तान वार्ता।शाश्वत तिवारी

लखनऊ:देश के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले हमारे अपने लाखो वीर जवानों, आज़ादी की लड़ाई में अपना जीवन निछावर करने वाले हमारे वो पूर्वज, जिनको आज कि पीढ़ी जानती- पहचानती नहीं, देश के विभाजन के वक्त कत्ल किए गए लाखो सनातनी और हमारे उन हजारों कश्मीरी ब्राह्मण भाई, जिनके सर कलम कर दिए गए, गौरतलब है कि आज बहुत बड़ी संख्या में ऐसे कश्मीरी ब्राह्मण, जिनके परिवारl खानदान में उनका पिंडदान- तर्पण करने वाला कोई नहीं बचा, इन सबके साथ अपने जाने- अनजाने पूर्वजों, बुजुर्गो की आत्म शांति व उनका आशीर्वाद प्राप्ति के लिए पितृ तर्पण व दीपदान का विधि विधान सहित सनातन परंपरा अनुसार यूपी की राजधानी लखनऊ में गोमती तट पर एक बड़ा आयोजन होने जा रहा है। 

25 तारीख को पितृ पक्ष अमावस्या के दिन शाम 4:00 बजे, उपासना/ यज्ञ स्थल, झूलेलाल वाटिका, गोमती तट पर होने वाले इस महा दीपदान का आयोजन अनंत विभूषित दंडी स्वामी श्री राम आश्रम जी महाराज के दिशा- निर्देश में किया जाएगा।

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सर्वपितृ अमावस्या का जितना महत्व पितरों के निमित्त पिंडदान और तर्पण से है, उससे भी कहीं अधिक इस अमावस्या का महत्व बुरे ग्रहों की शांति के लिए है। 

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स्वामी जी ने सभी शहरवासियों से आवाहन किया है की देश के लिए कुर्बान हुए जवानों के लिए तर्पण करें और उनके लिए एक दीप आदि गंगा मां गोमती में जरूर प्रवाहित करें, सनातन परंपरा में आपके द्वारा यह उन सैनिकों को सबसे बड़ी श्रद्धांजलि होगी।

स्वामी जी की प्रेरणा व मार्गदर्शन में इस पितृ पक्ष की अमावस्या के दिन होने वाले इस तर्पण व दीपदान कार्यक्रम, कई गणमान्य लोगों के साथ बड़ी संख्या में जनमानस की मौजूदगी में संपन्न होगा तत्पश्चात भंडारे का आयोजन होगा

दीपदान का बड़ा महत्व:

शास्त्रों में अमावस्या तिथि के दिन दीपदान करने का सबसे बड़ा महत्व बताया गया है। पवित्र नदियों या सरोवर में दीपदान करने से दूषित ग्रह शांत होते हैं। अशुभ ग्रहों का प्रभाव शांत होता है और उनका शुभ प्रभाव बढ़ता है। दीपदान अमावस्या के दिन सायंकाल में किया जाता है। इसके लिए आटे के पांच दीयों में सरसो का तेल भरकर इन्हें किसी गत्ते के डिब्बे या पत्ते के दोने में किसी पवित्र नदी या सरोवर में प्रवाहित करें।

आप चाहें तो एक साथ या अलग-अलग भी इन दीयों को प्रवाहित कर सकते हैं। प्रवाहित करने से पहले पंचदेवों श्रीगणेश, दुर्गा, शिव, विष्णु और सूर्य को साक्षी मानकर और उनसे अपनी समस्याओं के समाधान करने की प्रार्थना कर दीपों को प्रवाहित करें। आवश्यक नहीं कि आप पांच दीपदान ही करें, ज्यादा भी कर सकते हैं। 

दीपदान के लाभ:

जन्मकुंडली के बुरे ग्रहों का प्रभाव कम हो जाता है। शुभ ग्रहों के प्रभाव में वृद्धि होती है।

कार्यो में आने वाली रूकावटें दूर होती हैं। तरक्की के रास्ते खुलते हैं।

व्यक्ति का भाग्योदय होता है, जिससे जीवन की समस्त इच्छाएं स्वत: ही पूर्ण होने लगती है।

दीपदान से पितृ भी प्रसन्न होते हैं, इससे धन, मान, सुख, वैभव प्राप्त होता है।

जो व्यक्ति दीपदान करता है उसे रोगों से मुक्ति मिलती है।

पितृदोष, कालसर्प दोष, शनि की साढ़ेसाती का बुरा प्रभाव दूर होता है।

राहु-केतु पीड़ा नहीं देते। आर्थिक प्रगति के रास्ते खुलते हैं।

भूमि, भवन, संपत्ति संबंधी कार्यो की बाधा दूर होती है। भौतिक सुख प्राप्त होते हैं।

यदि आपकी जन्मकुंडली में कोई ग्रह अशुभ प्रभाव दे रहा हो और उसके कारण आपका पूरा जीवन अस्त-व्यस्त हो गया हो तो सिर्फ एक उपाय करके आप ग्रह दोषों से मुक्ति पा सकते हैं। इस उपाय को करने से न केवल ग्रह शांत होते हैं बल्कि शुभ ग्रहों के प्रभाव में वृद्धि होती है, जिससे व्यक्ति का भाग्योदय भी होता है।