आगरा देहात:सिंचाई के अभाव में धान की फसलें बर्बाद।




हिन्दुस्तान वार्ता।आगरा(किरावली)

ऐसा लगता है इंद्रदेव किसानों से रूठ गए हैं।भीषण गर्मी और तन को झुलसा देने वाली उमस का प्रकोप जनमानस को विचलित कर रहा है। वर्षा काल में भी बारिश का कहीं नामोनिशान नहीं है। क्षेत्रीय नेहरे सूखी पड़ी हैं। भूमिगत जल स्तर काफी नीचे गहरा चला गया है। किसानों में सिंचाई के पानी को लेकर हाहाकार मचा हुआ है।

 किरावली क्षेत्र के किसानों ने हर वर्ष की भांति इस साल भी धान की फसल रोपी  है। जानकारों की माने तो धान की फसल के लिए 80% पानी की जरूरत होती है। इस बार क्षेत्र में 1000 हेक्टेयर से अधिक धान की फसल रोपी गई है। धान की फसल से लहराते खेत पानी के बिना सूख रहे हैं। किसानों को मजबूर होकर निजी नलकूप के माध्यम से धान की फसल की सिंचाई की जा रही है, जिससे किसानों को भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है। किसानों का कहना है कि नहरों में सिंचाई विभाग द्वारा पानी नहीं छोड़ा गया है। डीजल की बढ़ती कीमतों के चलते किसानों को और भी आर्थिक नुकसान हो रहा है। सिंचाई विभाग के अधिकारियों का कहना है कि लहरों में झाड़ फानूस खड़े हैं। अगले माह बजट आने के बाद सफाई की जानी है। इस समय नहर में अगर पानी छोड़ा जाता है तो पानी झाड़ फानूस में अटक जाएगा। दूसरे किसान धान की फसल की सिंचाई के लिए नहरों को काट रहे हैं ।

विभागीय अफसरों के अपने तर्क हैं। किसानों का कहना है कि समूचे क्षेत्र का किसान दैविक प्रकोप सूखा से जूझ रहा है। विभागीय अफसर खराब सिस्टम के चलते अपनी अपनी दलीलें दे रहे हैं।

सवाल उठता है कि ऐसी भीषण समस्या में किसान अगर अपनी पानी के बिना सूखी फसल को आखिर बचाए तो कैसे।किसानों के हितों की दुहाई देने वाली प्रदेश सरकार की बेरुखी के चलते किसानों को भारी मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है।

रिपोर्ट-आर.के. लवानिया।