अपनी जान बचाने,घर मे घुसा,घायल मोर।वाइल्डलाइफ एसओएस ने किया रेस्क्यू !





हिन्दुस्तान वार्ता।आगरा

एक घायल मोरनी को वाइल्डलाइफ एसओएस रैपिड रिस्पांस यूनिट ने आगरा के भोगीपुरा, शाहगंज इलाके से बचाया, जिस पर पहले बंदरों ने हमला किया और बाद में आवारा कुत्तों ने घायल कर दिया। मोरनी ने अपनी जान बचाने के लिए एक घर के अंदर शरण ली थी। 

आगरा के शाहगंज इलाके में रहने वाले एक परिवार को अजीबोगरीब मेहमान घर के अंदर दिखा। भोजन कक्ष में मोरनी उनके टेलीविजन सेट के ऊपर बैठी थी।

परिवारजन ने पेड़ पर बंदरों की एक टुकड़ी को मोरनी पर हमला करते हुए देखा। जिसके बाद वह पेड़ से नीचे गिर गई, नीचे गिरने के बाद उसे आवारा कुत्तों ने खदेड़ दिया। अपनी जान बचाने के प्रयास में मोरनी ने घर के अंदर शरण ली।

इस पूरी घटना की जानकारी परिवार ने तुरंत वन विभाग को दी। वाइल्डलाइफ एसओएस को भी जल्द ही उनकी हेल्पलाइन (+91 9917109666) पर इससे अवगत कराया गया, जिसने तुरंत दो सदस्यीय टीम को स्थान पर भेजा।

मोरनी को वाइल्डलाइफ एसओएस ट्रांजिट केयर फैसिलिटी में लाया गया। उसके पंखों के नीचे मामूली घाव थे। सभी आवश्यक दवाएं और उपचार प्रदान करने के बाद, मोरनी को वापस उसके प्राकृतिक आवास में छोड़ दिया गया।

एक अन्य घटना में आगरा के ग्वालियर रोड स्थित श्री राम निर्वाना कॉलोनी में कुत्तों के हमले से घायल एक मोरनी ने घर की सीढ़ियों के नीचे शरण ली। उसके गले पर चोट आई थी, जिसको चिकित्सा उपचार के उपरांत जंगल में छोड़ दिया गया। इसके तुरंत बाद, रैपिड रिस्पांस यूनिट ने अछनेरा क्षेत्र से एक घायल मोर को भी बचाया ।

वाइल्डलाइफ एसओएस के सह-संस्थापक और सीईओ कार्तिक सत्यनारायण ने कहा, "भारतीय मोर वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची I के तहत संरक्षित है। यह व्यापक रूप से पूरे देश में पाए जाते है। चूँकि, मोर मानव निवास में खुद को आसानी से ढाल लेते हैं इसलिए इन्हें अक्सर ऐसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। हमें अक्सर हमारी हेल्पलाइन पर कॉल आती हैं कि आवारा कुत्तों द्वारा मोर को घायल किया गया है। हम लोगों के अंदर जानवरों के लिए ऐसा करुणाभाव देखकर बहुत खुश हैं, जो बिना देर किए मदद के लिए हमें कॉल करते हैं।

वाइल्डलाइफ एसओएस के डायरेक्टर कंज़रवेशन प्रोजेक्ट्स, बैजूराज एम.वी ने कहा..कि“हमारी रेस्क्यू टीम यह सुनिश्चित करने के लिए चौबीसों घंटे काम करती है, कि सहायता के लिए आई कोई भी कॉल अनुत्तरित न रह जाए। पिछले महीने ही हमारी टीम ने आगरा और उसके आसपास से ऐसी स्थितियों से लगभग 20 से अधिक मोरों को बचाया है।

रिपोर्ट-मनोहर लाल चुघ।