बाल दिवस पर विशेष:जहाँ बच्चों की तरह खिलखिलाते हैं सीनियर सिटीजंस..।



- 60 से 80 वर्ष के लोगों की जिंदगी में खुशियों के पल भर रहा क्लब 60 प्लस।

हिन्दुस्तान वार्ता।

आगरा: कहते हैं कि इतिहास अपने आप को दोहराता है। शायद इसीलिए बुढ़ापे में हर आदमी फिर से बच्चा बन जाता है। पर हम बात कर रहे हैं एक ऐसे समूह की, जहाँ का खुशनुमा माहौल हर वृद्ध को बच्चा बनाता है। जहाँ हर कोई कुछ देर को सब कुछ भूल जाता है.. जिंदगी से जी भर आँख मिलाता है.. बच्चों की तरह हँसता-गाता है.. उन्मुक्त खिलखिलाता है.।

  जी, हाँ! इस बार बाल दिवस पर हम आपका परिचय करवा रहे हैं एक ऐसे ही समूह से जिसका नाम है आई सर्व खुशियों के पल क्लब 60 प्लस..।

   यह समूह निर्भय नगर-गैलाना के मुख्य मार्ग पर विगत 4 वर्षों से कार्यरत है। इस क्लब का उद्देश्य 60 से 80 वर्ष आयु वर्ग के सीनियर सिटीजन्स के जीवन में न केवल खुशियों का प्रसार करना है बल्कि उनके जीवन जीने का नजरिया और तरीका भी इस तरह बदलना है कि उनको जिंदगी के हर पल का भरपूर आनंद मिल सके। 

फिर से मिली बच्चों वाली जिंदादिली और मस्ती..।

 इस संबंध में क्लब-संचालक अनुराग जैन ने क्लब के मूल भाव को स्पष्ट करते हुए बताया कि  जिस तरह बच्चे निश्चिंत भाव से अपने बचपन को मासूमियत, जिंदादिली और पूरी मस्ती के साथ जीते हैं, उसी तरह हमें भी अपने जीवन को जबरदस्ती काटना या ढोना नहीं चाहिए बल्कि बच्चों की तरह ही वृद्धावस्था में भी जीवन को आनंद पूर्वक जीना चाहिए।    उन्होंने बताया कि इस उद्देश्य को सफल और सार्थक करने के लिए क्लब 60 प्लस द्वारा समय-समय पर सीनियर सिटीजंस के लिए पार्टी, पिकनिक और ईवेंट आयोजित किए जाते हैं। गीत-संगीत, विचार-विमर्श, दर्शन-भ्रमण, कविता-शायरी और स्वस्थ मनोरंजन से सराबोर विविध गतिविधियों में शामिल होकर सीनियर सिटीजन फिर से तरोताजा और ऊर्जावान महसूस करते हैं।

रिटायरमेंट के बाद भी जिंदगी हुई खुशनुमा..।

बच्चों की बाहर नौकरी या अन्य कारणों से जो सीनियर सिटीजन रिटायर होने के बाद अकेलेपन के अवसाद को झेल रहे थे, उनकी जिंदगी में क्लब 60 प्लस ने खुशियों के नए रंग भर दिये हैं। अकेलेपन को नया रस-रंग और रोमांच मिल गया है।

  यही नहीं, कुछ लोगों को क्लब से जुड़कर अल्जाइमर, पार्किंसन, डिमेंशिया और डिप्रेशन जैसी बीमारियों से उबरने में भी जबरदस्त लाभ मिला है।

" क्लब का उद्देश्य वरिष्ठ नागरिकों के जीवन में खुशियों के रंग भरने के साथ जीवन जीने के उनके नजरिए को भी बदलना है ताकि वे और खुल -खेल कर जी सकें तथा वे बच्चों की तरह जीवन का रस छककर पी सकें। "

        - अनुराग जैन

    (प्रेसीडेंट- क्लब 60 प्लस):

 " जिंदगी भर खुशी के लिए भागदौड़ करते रहे पर खुशी तो यहां इस क्लब से जुड़कर ही मिली। अपनेपन का एहसास मिला। यूं लगा जैसे बचपन वापस मिल गया। "

          - महेंद्र कुमार जैन 

         स्टेट बैंक से रिटायर्ड।

             "उम्र 70 वर्ष "

 जिंदगी तो थी पर जीना भूल गए थे पर अब इस क्लब में वो बचपन की शरारतें, उल्लास और मस्ती वापस मिल गई है। सेम एज ग्रुप में मन की बातें साझा कर पा रहे हैं। "

        - एस के शर्मा 

सेवानिवृत्त एजीएम, केनरा बैंक।

   " उम्र 72 वर्ष "

 सेवानिवृत्ति के बाद मैं डिप्रेस्ड थी। घर पर मन नहीं लगता था लेकिन इस क्लब से जुड़ कर घुटने रिप्लेसमेंट होने के बाद भी नृत्य करने लगी हूं। मुरझाए चेहरे पर चमक आ गई है। जब साथी लोग डांसिंग डॉल कहते हैं तो बहुत खुशी मिलती है। "

        - गीता चंद्रा 

  रिटायर्ड सुपरवाइजर 

एसएन मेडिकल कॉलेज। 

  बाल रोग विभाग,

    "उम्र 66 वर्ष "

"बच्चों के बाहर चले जाने के बाद हम पति-पत्नी घर में अकेले हो गए थे। डिप्रेशन में थे। यहां आकर हमें खुशियों भरी एक नई जिंदगी मिल गई। जिंदगी पूरी तरह बदल गई। यहां बहुत कुछ सीखने को भी मिल रहा है। "

       - श्रीमती रंजना कोहली।

✍️ कुमार ललित।