जगत जलन्दा रख लै अपनी किरपा धार। (नव वर्ष के प्रथम दिन गुरबाणी से ओत-प्रोत हुई साध संगत)



हिन्दुस्तान वार्ता।आगरा

नववर्ष के आगमन पर गुरुद्वारा गुरु का ताल पर भव्य अलौकिक कीर्तन दरबार का आयोजन अमृतवेला परिवार द्वारा किया गया, जिसमें विशेष रूप से अमृतसर से पधारे भाई गुरविंदर सिंह रिंकू जी ने अपनी मधुर वाणी से सभी को प्रभु नाम से जोड़ दिया।

सर्वप्रथम भाई नंदलाल हॉल में आयोजित इस समागम में प्यारे वीर महेंद्र पाल सिंह ने अपनी मधुर रचना द्वारा शब्द "जगत जलन्दा रख लै अपनी किरपा धार" का गायन किया और कहा कि इस जलते हुए संसार को हे प्रभु अपनी कृपा द्वारा ठीक करो सभी को सुख मिले शांति मिले और आपसी प्यार व भाईचारे की सभी मिसाल बने ,उन्होंने कहा कि गुरु गोबिंद सिंह जी जैसा कोई महान गुरु ना हुआ ना होगा वह योद्धा भी थे, कवि भी थे लिखारी भी थे दानी भी थे और त्यागी थे। सर्वगुण संपन्न मात्र 42 साल की उम्र में उन्होंने नया पंथ सृजित किया और अपने पूरे परिवार को देश धर्म कौम पर कुर्बान कर दिया।उनके द्वारा गाए गए शब्द "वाहो वाहो गोबिंद सिंह आपे गुर चेला" को सभी ने भरपूर सराहा उसके बाद भाई गुरविंदर सिंह जी अमृतसर वालों ने गुरु गोविंद सिंह जी के जीवन से संबंधित इतिहास समूह संगत के समक्ष रखा और एक प्रभु को मानने की अपील की उन्होंने कहा पिता एक होता है बाकी सभी को हम अलग-अलग रिश्तो से बुलाते हैं इस करके एक के चरणो में अपने आप को समर्पित करना ही सच्चा धर्म है इस अवसर पर संत बाबा प्रीतम सिंह जी ने समूह संगत को आशीष वचन कहे और अमृतवेला परिवार की ओर से बाबू भैया ने बबलू बयानी व गुरमुख वयानी ने सभी का स्वागत किया।

 इस अवसर पर समन्वयक बंटी ग्रोवर, गुरमीत सिंह सेठी, सुरेंद्र सलूजा, देवेंद्र पाल सिंह ,योगेश कुमार गोरू, मोहित व्यानी, विनय व्यानी ने आदि गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे।

 कार्यक्रम के समापन पर गुरु महाराज के अटूट लंगर का वितरण हुआ, जिसे सर्व धर्म के लोगों ने एक साथ बैठकर ग्रहण किया।

रिपोर्ट-असलम सलीमी।