साजिश प्रचंड थी : इस बार छोटी मछली नहीं,बड़ा मगरमच्च पकड़ा गया

                                             


हिन्दुस्तान वार्ता ✍️ शाश्वत तिवारी

अगर यह साज़िश सफल हो जाती तो केवल भारत ही नहीं,सारी दुनिया एक ऐसा भयावह विनाश देखती जिसकी परिकल्पना भी मुश्किल है। कल्पना कीजिए,फल-सब्ज़ी या मांस में बिना गंध-स्वाद का घातक तरल मिल जाए और वह जनसंहार का माध्यम बन जाए। क्या उस आलोचनात्मक क्षण में पीएम नरेंद्र मोदी जैसे चौकीदार की सतर्कता न होती तो आज किस अंजाम का सामना करना पड़ता?

गुजरात ATS ने कल एक बड़े खतरे का पर्दाफाश किया है,डॉक्टर के रूप में छुपा एक आतंकवादी पकड़ा गया जिसने केस्टर ऑयल से ‘रेज़िन’ नामक एक ऐसा तरल तैयार किया था जो कथित तौर पर साइनाइड से भी सैकड़ों गुना खतरनाक बताया जा रहा है। इस रेजिन का न कोई गंध है और न ही स्वाद। इसलिए यह आसानी से खाद्य पदार्थों के भीतर घुलाकर जनविनाश का साधन बन सकता था। अगर यह हिन्दू-बाहुल क्षेत्रों में बेचा या छिड़का गया होता तो नतीजे भयावह होते और यह देश के लिए एक शर्मसार दाग बन जाता। जो सीधे प्रधानमंत्री के कार्यकाल की सुरक्षा पर सवाल उठाता।

मामले का संक्षेप इस प्रकार है :

एक खुफिया सूचना प्राप्ति के बाद गुजरात ATS के डिप्टी SP एस.एल. चौधरी ने माइक्रो-लेवल पर जाँच शुरू की। शुरुआती जाँच में कई दिशाएँ निकलीं, एक संदिग्ध का ट्रेसिंग करने पर सत्यापन के बाद पता चला कि उसकी पहचान डॉ.मोहिउद्दीन अहमद सैयद के तौर पर हो सकती है। लगातार 24x7 निगरानी के बाद जब उसकी लोकेशन गुजरात के मेहसाना से अहमदाबाद की ओर चली तो ATS सक्रिय होकर उसे रोकने के लिए तैनात हो गई।

अड़ालज टोल प्लाजा पर एक फोर्ड गाड़ी को रुकवाकर पूछताछ की गई। गाड़ी में बैठे व्यक्ति ने वही नाम बताया जिसकी निगरानी चल रही थी। ATS ने उसका फोन जब्त कर डिजिटल फोरेंसिक की, कई हटाए गए डेटा रिकवर किए गए। कुछ ऐसे ऐप मिले जो डिलीट नहीं हो सके; इससे संकेत मिला कि संदिग्ध पर लंबे समय से नजर नहीं थी इसलिए वह सतर्क नहीं था। फोन जांच से यह भी पता चला कि डॉ.सैयद का कनेक्शन ISKP के कुछ उच्च रैंकिंग कमांडरों से था। जिनमें एक प्रमुख का नाम 'अबू खदिजा' सामने आया।

गाड़ी तलाशी में तीन पिस्तौल (दो Glock और एक बेरेट), 30 जिंदा कारतूस और 10 लीटर केमिकल बरामद हुआ। पूछताछ में आरोपी ने बताया कि यह केमिकल केस्टर बीन्स से तैयार होने वाली रेजिन बनाने के काम आता है। हथियारों के तारों की जाँच में दो और नाम मिले,आज़ाद सैफी और मोहम्मद सुहेल (यू.पी. निवासी)। उनकी लोकेशन बनासकांठा (राजस्थान) के पास मिली और उन्हें तुरंत हिरासत में लिया गया। आरोप है कि हथियार राजस्थान के हनुमानगढ़ी से आए थे,जिन्हें पाकिस्तान स्थित व्यक्ति ने ड्रोन के ज़रिये पहुंचाया था।

ये सभी मिलकर किसी बड़े आतंकी हमले की योजना बना रहे थे। आरोपियों ने दिल्ली,लखनऊ और अहमदाबाद की रेकी की थी,पर हमले की तारीख-व-समय,जहरीले केमिकल के प्रयोग के स्थान और लक्षित समुदायों पर किस तरह हमला होना था। ये सभी प्रश्न अभी गुजरात ATS की जाँच पत्र में दर्ज हैं और आगे की जांच जारी है।

यह केस केवल एक गिरफ्तारी नहीं, यह देश की खुफिया व सुरक्षा प्रणाली की जीत है। अब सवाल यह है कि ऐसे नेटवर्क कितने बड़े हैं, किन-किन लोगों ने मदद दी और हमारी खाद्य-सुरक्षा एवं कस्टम चेन में कौन-कौन सी कमजोरियाँ हैं जिन्हें फौरन दुरुस्त किया जाना चाहिए। गुजरात ATS की उपलब्धि स्वागत योग्य है, पर इससे बड़े पैमाने की रोकथाम के लिए राष्ट्रीय स्तर पर फॉरेंसिक, कस्टम-निगरानी और कम्युनिटी-सतर्कता को और मजबूत करने की जरूरत है।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं)