बसंत ऋतु विशेष: सुनती हो, ऋतुराज आ गए हैं।✍️आदर्श नंदन गुप्ता।

 


हिन्दुस्तान वार्ता।

सुनती हो ऋतुराज आ गए हैं,

 पीतांबर ओढ़े गरीब नवाज आ गए हैं।

सुनती हो ऋतुराज आ गए हैं।

 लहलहा उठी हैं, सरसों की बालियां,

फूलों से लद गई हैं पेड़ों की डालियां।

 अमृत रस घोलते, सरताज आ गए हैं।

सुनती हो ऋतुराज आ गए हैं।

मौसम में छा गई मधुमासी मस्ती,

कूक रही कोयलिया, खुशी है बरसती।

 लेकर सुख-सरगम के साज आ गए हैं।

सुनती हो ऋतुराज आ गए है।

शीत ऋतु का हट गया पहरा

बासंती उल्लास छा गया गहरा,

 अब हम सब फागुन के पास आ गए हैं।

सुनती हो ऋतुराज आ गए हैं।

✍️आदर्श नंदन गुप्त,आगरा।

       मो.9837069255