आगरा आकाशवाणी केंद्र पर,पावस गोष्ठी में बही कविता की रसधार।



भीगी है अमरित में रात झमाझम..।

हिन्दुस्तान वार्ता। ब्यूरो

आगरा। आकाशवाणी के आगरा केंद्र पर शुक्रवार को पावस ऋतु को ध्यान में रखकर पावस गोष्ठी का आयोजन किया गया। 

 अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त गीतकार डॉ. सोम ठाकुर ने गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए इस पावस गीत से सबको झूमने पर मजबूर कर दिया- 

" भीगी है अमरित में रात झमाझम। 

वर्षा जल नहीं रहा धरती पर थम।

 तप तप कर गर्म हुए घबराए दिन। 

सहे नहीं जाते अब दिन के पल छिन। 

ऋतुओं का कैसा है सुंदर संगम..

  डॉ. मंजू लता शर्मा ने इन पंक्तियों से सबका दिल छू लिया -

 " अब हाथों की मेहंदी बालों में आ गई है। 

चेहरे की सलवट गालों पर छा गई है। 

आँखों में आज भी सावन है।

 दादी माँ होकर भी फिर बिटिया बन जाने का मन है.."

 एटा से पधारे वरिष्ठ कवि उमाकांत शर्मा ने बारिश रूपी नायिका को इस तरह नेह-निमंत्रण भेजा कि सब वाह-वाह कर उठे- 

" बरसों से यह प्यासा चातक आस लगाए बैठा है।

पर शशि अपनी सुधा छिपाए बदली में जा बैठा है।

 'सुमन' पुकारे आलिंगन को, भ्रमर नहीं कतराओ तुम।

 भूले-भटके इस जीवन की राहों में मिल जाओ तुम.."

  उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान से सम्मानित गीतकार कुमार ललित के इन दोहों को सबकी सराहना मिली-

 " धरती जब होने लगी, गर्मी से भयभीत।

 आसमान गाने लगा, बारिश के नवगीत।।

जग समझे बारिश जिसे, है आँखों का नीर।

 बस्ती-बस्ती घूमता, बादल लेकर पीर।।

बारिश में फिर आ गया, वक्त पुराना याद।

 घंटों छत पर भीगना, आँखों से संवाद.."

 पावस गोष्ठी का निर्देशन आगरा आकाशवाणी केंद्र के निदेशक नीरज जैन, संयोजन श्रीकृष्ण शर्मा, सहयोग सूर्य प्रकाश और संचालन डॉ. मंजू लता शर्मा ने किया। 

 निदेशक नीरज जैन ने बताया कि इस गोष्ठी का प्रसारण 13 जुलाई,गुरुवार को रात 10:00 बजे आकाशवाणी के आगरा केंद्र से किया जाएगा। काव्य-रसिक श्रोता रेडियो सेट के अलावा अपने मोबाइल फोन पर भी गूगल प्ले स्टोर से newsonair एप डाउनलोड करके इस गोष्ठी का आनंद ले सकते हैं।