हज़रत सैय्यदना शाह अमीर अबुल उला के 384 वें कुल शरीफ,रस्मो रिवाज के साथ,बड़े ही धूम धाम से मनाया गया।

 


साये में तुम्हारे हैं किस्मत यह हमारी है ! 

कुरबान दिलो जां है क्या शान तुम्हारी है !!

हिन्दुस्तान वार्ता। ब्यूरो

आगरा: सरताज-ए- आगरा हज़रत सैय्यदना शाह अमीर अबुल उला के 384 वें कुल शरीफ हर साल की तरह इस साल भी अपने रस्मो रिवाज के साथ बड़ी धूम धाम से मनाया गया । 

हज़ारों की तादाद में ज़ायरीनो ने ज़ियारत कर चादरपोशी की और फातिहा पढ़ी। दूर दराज से आये लोगो ने उर्स में लंगर की रस्में अदा कीं।  दरगाह में कुल शरीफ की रस्म सज्जादा नशीन मोहतिशम अली ने कराई । दरगाह में कुरान खानी की भी रस्म अदा की गई ।

 गुलाब के जल से दरगाह में गुसल दिया गया। कहते है कि ऐसी मान्यता है कि कुल का छीटा खाने वालों की हर मुराद पूरी होती है ।इस मौके पर माल का बाज़ार की पतंग एसोसिएशन द्वारा 45 वर्ष से चली आ रही एक पानी की सबील लगाई गई थी,जिसमें ज़ायरीनो के लिये लंगर तब्बूरुख का खास इतिज़ाम किया गया था। 

कमेटी की तरफ से 45 मीटर लम्बी चादर बनवाई गई थी। चादरपोशी करने से पहले एक ख़ास फातिहा का ऐतिमाम किया गया । इस फातिहा में अमन चैन और देश की तरक्की के लिये दुआये माँगी गई । इस चादर पोशी और फातिहा में शिरकत करने वालों में मेहमाने खुसुसी थे सय्यद फैज़ अली शाह क़ादरी नियाज़ी,सपा महानगर उपाध्यक्ष रिज़वान रईसउद्दीन (प्रिंस)।

यह चादर पोशी की रस्म 45 वर्ष से बराबर चली आ रही है । इस सबील और चादर पोशी को बराबर निभाने में जिनकी अहम भूमिका रहती है उनमें  माल का बाजार की पतंग एसोसिएशन के अध्यक्ष वसी उद्दीन, उपाध्यक्ष वहाब उद्दीन , सेक्रटरी हाजी सैयद मुख्तार अली, कोषाध्यक्ष मो० हसीन,आरिफ़ मसूरी ,मीडिया प्रभारी तनवीर अली है। शराफत खान  ईशान उद्दीन, जीशान निज़ाम, रिहान कुरैशी, जफ़र खांन मौजूद रहे।जलकल विभाग का पानी में पूरा संयोग रहा।अबरार कुरैशी ने भी भरपूर योगदान दिया।

रिपोर्ट-असलम सलीमी।