नेशनल चैम्बर:स्थापना अमृत महोत्सव के तहत प्रेरणादायक उद्बोधन।



 समय कम नहीं - काम पूरा करने के लिए ढूंढे जाये तरीके।

 योजना बनाएं एवं कार्य को डेलीगेट करें।

एक या दो मिनट वाले कार्य को उसी समय करें - समय प्रबन्धन एवं कार्य को दें प्राथमिकता।

 सम्प्रेषण हो स्पष्ट - महत्वपूर्ण चर्चा में कान और आंख खुले हो।

 "सुनना"- सुनेंगे तो बहुत चीजें समझ में आयेंगी।

 सुनने के लिए सचेत रहना,सुनने की इच्छा रखना, पूर्व प्रेरित धारणा छोड़ना  है जरुरी।

 समस्या को जानने के लिए उसकी जड़ में जाया जाये - हरेक समस्या है एक अवसर।

हिन्दुस्तान वार्ता। ब्यूरो

आगरा:नेशनल चैम्बर के 75वें वर्ष में मनाये जा रहे स्थापना अमृत महोत्सव के तहत कार्यक्रमों की श्रृंखला में 8 अगस्त, चैम्बर भवन में,चैम्बर अध्यक्ष राजेश गोयल की अध्यक्षता में एक प्रेरणादायक उद्बोधन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। 

प्रेरणादायक उद्बोधन के जाने माने प्रेरक अलख सहगल (जयपुर) द्वारा दिया गया।

चैम्बर अध्यक्ष राजेश गोयल ने कहा कि आज इस प्रेरणादायक उद्बोधन में यह जानकारी प्रदान की जायेगी कि व्यापारिक समुदाय में क्या-क्या परेशानियां क्यों आती हैं और उन्हें कैसे दूर किया जा सकता है।

प्रेरक अलख सहगल ने अपने उद्बोधन में बताया कि हमें अपने कार्यों को पूरा करने के लिए समय कम होने का बहाना करना उचित नहीं है बल्कि हमें कार्यों की योजना बनाकर कार्यों को डेलीगेट करने की जरूरत है। टाइम को ट्रैक करना चाहिए। कम समय एक मिनट या दो मिनट वाले कार्य को उसी समय पूरा किया जाये। उसे आगे के लिए लंबित नहीं किया जाये। कितनी भी व्यस्तता क्यों न हों। बीच में एक मिनट का ब्रेक लेना जरुरी है। प्रेरक सहगल  द्वारा दूसरी सलाह कम्यूनिकेषन के सम्बन्ध पर दी गई। उन्होंने कहा कि वार्तालाप  बड़ा ही स्पष्ट होना चाहिए। कोई कार्य किसी को डेलीगेट करने के बाद उससे समझाया गया निर्देश पाने वाले ने क्या समझा है। उसे अवश्य जाना जाये। हम अकसर आदेश/निर्देश  देने के बाद अपने से निम्न स्तर से पूछना अपनी तौहीन समझते हैं। यही सबसे बड़ी गलती होती है। महत्वपूर्ण चर्चाओं में कान और आंख पूरी तरह खुली हो।

कार्यों को योजना बनाकर पूरा करने के लिए अगली सलाह "सुनना" बताया। उन्होंने कहा कि "सुनना" बहुत जरुरी है। हम सभी अकसर बोलते रहते हैं। सुनने के लिए तैयार होने के लिए हमको अपने मन में चल रही पूर्व धारणा को भी छोड़ना होगा। सुनेंगे तो बहुत सी चीजें समझ में आयेंगी। हमें सचेत होकर, इच्छानूर्ण एवं पूर्व धारणा को छोड़कर सुनना चाहिए। इसी प्रकार समस्या के समाधान हेतु हमको उसकी जड़ को समझना चाहिए। अपनी धारणा की अधीनता को छोड़कर समस्या के अन्दर तक जाने की आवश्यकता होती है। संक्षिप्त में समय में कार्यों को पूरा करने के लिए, योजना प्रभावी सम्प्रेषण, पूर्व अवधारणाओं को छोड़ना होता है। हर समस्या एक अवसर प्रदान करती है। प्रेरणादायक उद्बोधन कई व्यावहारिक दृष्टांत  द्वारा भी समझाया गया।

 कार्यक्रम में अध्यक्ष राजेश गोयल, उपाध्यक्ष अनिल अग्रवाल, उपाध्यक्ष मनोज बंसल, कोषाध्यक्ष योगेश जिंदल, पूर्व अध्यक्ष केके पालीवाल, शांति स्वरूप गोयल, श्रीकिशन गोयल, शलभ शर्मा, सदस्यों में पंकज शर्मा, नीरज अग्रवाल, राममोहन कपूर, अतुल कुमार बंसल, अनूप गोयल, गौरव अग्रवाल, विवेक मित्तल, मन पेंगुरिया, दीपांकर अग्रवाल, अर्पण गुप्ता, वंश मित्तल,  अतुल मित्तल, राजेंद्र गर्ग, कृष्णा अग्रवाल, सतीश अग्रवाल, बिलाल अमन,  अनुज जैन, शैलेश अग्रवाल,परनीश अग्रवाल,मनीष बंसल,पीयूष अग्रवाल, राजेंद्र गुप्ता,लवकुश गोयल आदि मुख्य रूप से उपस्थित थे।