देर रात गाँव में घुसे मगरमच्छ का वाइल्डलाइफ एस.ओ.एस और उ.प्र.वन विभाग ने किया रेस्क्यू।

 


हिन्दुस्तान वार्ता। ब्यूरो

आगरा: विगत देर रात चलाये गए संयुक्त रेस्क्यू ऑपरेशन में, वाइल्डलाइफ एस.ओ.एस और उत्तर प्रदेश वन विभाग ने फिरोजाबाद के नगला बावन गांव में घुसे 6 फुट लंबे मगरमच्छ को सफलता पूर्वक बचाया। मगरमच्छ स्वस्थ पाया गया, जिसके बाद उसे पास ही उपयुक्त प्राकृतिक आवास में छोड़ दिया गया।

वाइल्डलाइफ एस.ओ.एस रैपिड रिस्पांस यूनिट ने उत्तर प्रदेश वन विभाग के सहयोग से फिरोजाबाद के नगला बावन गांव से 6 फुट लंबे मगरमच्छ को पकड़ा। बचाव अभियान तब शुरू हुआ जब मगरमच्छ रात के समय पास की नहर से निकलकर खेत के एक कमरे में आ गया, जिससे गांववासियों में घबराहट फैल गई। ग्रामीणों ने तुरंत वन विभाग को सूचित किया, जिन्होंने सहायता के लिए वाइल्डलाइफ एस.ओ.एस से संपर्क साधा।

एनजीओ की समर्पित टीम ने आगरा से 100 किलोमीटर की लंबी दूरी तय की और एक घंटे के ऑपरेशन में मगरमच्छ को सुरक्षित रूप से पकड़ा। मगरमच्छ को टीम द्वारा साइट पर किए गए निरिक्षण से स्वस्थ पाया गया, जिसके बाद उसे प्राकृतिक आवास में वापस छोड़ दिया।

जसराना के वनछेत्राधिकारी, आशीष कुमार ने कहा "हम मगरमच्छ को बचाने में त्वरित सहायता के लिए वाइल्डलाइफ एस.ओ.एस को हार्दिक धन्यवाद देते हैं। यह सफल रेस्क्यू ऑपरेशन एनजीओ और वन विभाग की अनुभवी टीम के सहयोग का परिणाम है।"

वाइल्डलाइफ एस.ओ.एस के सह-संस्थापक और सी.ई.ओ,कार्तिक सत्यनारायण ने कहा,"यह ऑपरेशन ग्रामीणों की सतर्कता के बिना संभव नहीं होता, जिन्होंने देर रात होने के बावजूद अपना पूरा सहयोग दिया और वन विभाग को इसकी सूचना दी। हमें वन्यजीव संरक्षण के बारे में लोगों के बीच बढ़ती जागरूकता देखकर खुशी हो रही है। ”

वाइल्डलाइफ एस.ओ.एस के डायरेक्टर कंज़रवेशन प्रोजेक्ट्स, बैजूराज एम.वी ने कहा, “रात के अंधेरे में मगरमच्छ को पकड़ना एक चुनौतीपूर्ण काम था। हालाँकि, हमारी अनुभवी टीम को ऐसी कठिन परिस्थितियों से निपटने में विशेषज्ञता हासिल है। वाइल्डलाइफ एस.ओ.एस वन्यजीवों और उनके प्राकृतिक आवास के संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है।"

मगर क्रोकोडाइल जिसे मार्श क्रोकोडाइल के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय उपमहाद्वीप, श्रीलंका, बर्मा, पाकिस्तान और ईरान के कुछ हिस्सों में पाए जाते हैं। यह आमतौर पर मीठे पानी जैसे नदी, झील, पहाड़ी झरने, तालाब और मानव निर्मित जलाशयों में पाया जाता है और वन्यजीव संरक्षण अधिनियम,1972 की अनुसूची के तहत संरक्षित है।