"उर्स" सूफी संत हज़रत सय्यद मुज़फ्फर अली शाह साहब।



हिन्दुस्तान वार्ता। ब्यूरो

आगरा: दरगाह हज़रत  शैख़ सय्यद अमजद अली शाह क़ादरी र.ज़ि पंजा मदरसा शाही,बांस दरवाज़ा आगरा व आस्ताना हज़रत मैकश  ख़ानक़ाह ए क़ादरिया चिश्तिया नियाज़िया आगरा  से सय्यद फैज़ अली शाह ने उर्स की जानकारी देते हुये बताया 25 सितम्बर शाम 5 बजे,गुस्ल की रस्म के साथ सज्जादा नशीन हज़रत अजमल अली शाह साहब की सरपरस्ती मे उर्स का आग़ाज़ हो जायेगा। शाम 5 बजे  दरगाह  हज़रत  शैख़ सय्यद अमजद अली शाह क़ादरी र.ज़ि पंजा मदरसा शाही,बांस दरवाज़ा आगरा पर गुस्ल होगा, और रात 9बजे महफिल ए सिमा होगी, जिसमे शहर और दिल्ली बरेली रामपुर से आये, कव्वालों ने कलाम पेश किया।

दुसरे दिन मंगलवार 26 सितम्बर को सुबह कुरान ख्वानी (कुरान का पाढ ) होगी उसके बाद महफिल ए सिमा और शाम 5:30 बजे अखिरी कुल की महफिल होगी, जिसमे आगरा शहर के सूफी और अध्यात्मिक विॆचार धारा के लोग ख़ास तौर पर शिरकत करेंगे। इसके अलावा ग्वालियर बिंड, अलीगढ ,फिरोज़ाबाद ,फतेहपुर सीकरी से आने वाले ज़ायरीन भी उर्स मे शिरकत कर रहे हैं।

हज़रत सय्यद मुज़फ्फर अली शाह हुज़ूर सहिब आगरा में सूफी विचार धारा के महान गुरु है़ं जिन्होंने अंग्रज़ो के दौर मे सुफी अध्यात्म का प्रचार प्रसार किया। जन समान्य को ईश्वर प्रेम का मार्ग दिखाया एवं सैकडों लोगो को वहाँ तक पहुँचा भी दिया। हुज़ूर साहब ने जीवन के 32 साल एक छोटे से कमरे मे दरवेशी मे इबादत करते हुये गुज़ारे।

उनका सूफियाना कलाम सारी दुनिया मे कव्वाली के माध्यम से गाया जाता है।

वे सूफी शायर हैं,"अल्लाही" अकबराबादी तख़ल्लुस (शायरी मे नाम) है फारसी भाषा मे कलाम कहते थे, आध्यात्म पर एक किताब 'जवाहरे ग़ैबी' उन की मशहूर रचना है।

पुरी दुनिया मे हुज़ूर साहब से प्रेम करने वाले मौजूद हैं।

1882 मे आपकी आत्मा परमात्मा मे विलीन हो गई।

140 साल से आगरा मे उन की याद में उर्स मनाया जाता है।

 हुज़ूर सय्यद मुज़फ्फर अली शाह साहब र.ह हज़रत मैकश अकबराबादी के दादा थे। हज़रत सय्यद मोहम्मद अली शाह मैकश र.ह ने आप की रूहानी शिक्षा को आगे बढा़या। आज भी उन के पौत्र सूफी गुरू हज़रत सय्यद अजमल अली शाह क़ादरी साहब सूफीवाद और मानव प्रेम की शिक्षा का प्रचार कर रहे हैं।

रिपोर्ट-असलम सलीमी।