सात कोस वारे मतवारे की, जय हो गिरिराज प्यारे की..।व्यास पीठाचार्य डॉ.श्यामसुन्दर पाराशर।

 


राज देवम में आयोजित श्रीमद्बागवत कथा में व्यास पीठाचार्य ने श्रीकृष्ण की संगीतमय बाल लीलओं का किया वर्णन,भक्ति में खूब झूमे श्रद्धालु।

कल होगा महारास व रुक्मणी विवाह।

हिन्दुस्तान वार्ता। ब्यूरो

आगरा। यदुवंश के उजाला हुआ, चलो देखें आज नंद के लाला हुआ... कीर्तन के साथ शुरु हुई श्रीमद्भागवत कथा में आज अंगुली पर संसार को नचाने वाले श्रीकृष्ण की संगीतमय बाल लीलाओं को सुन हर भक्त भक्ति के सरोबर में डुबकी लगाता नगर आया। वहीं गोवर्धन लीला की कथा के साथ सात कोस वारे मतवारे की, जय हो गिरिराज प्यारे की कीर्तन के साथ कथा स्थल गोवर्धन महाराजा और राधा कृष्ण के जयकारों से गूंज उठा। गोवर्धन रूप में पधारे श्रीहरि के स्वरूप का संतोष कुमार शर्मा व उनकी धर्मपत्नी ललिता शर्मा ने पूजन किया। 

फतेहाबाद रोड स्थित राज देवम में श्रीमद्भागवत कथा के पांचवे दिन व्यासपीठाचार्य डॉ.श्यामसुन्दर पाराशर ने श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का ऐसा वर्णन किया कि मानस रूप से मानो हर श्रद्धालु ब्रज में पहुंच गया। पूतना, तृणासुर, वृत्तासुर, मघासुर, वकासुर वध की कथा के साथ श्रीकृष्ण की बाललीलाओं का वर्णन किया। श्रीकृष्ण का कभी चंदा मामा के लिए मचलना, तो कभी माखन चुराना। मिट्टी खाने पर मैया यसोदा को ब्रह्माण्ड का दर्शन और माखन चोरी पर डंडा लेकर कन्हैया के पीछे दौड़ती मैया और उलाहना देती गोपिया। ओखली से श्रीकृष्ण को बांधने पर कन्हैया द्वारा मां से मुक्ति की प्रार्थना की कथा का वर्णन करते हुए कहा कि धन्य हैं यशोदा मैया जिनसे जगत को मुक्ति देने वाले मुकुन्द मुक्ति की प्रार्थना करते हैं। जिन्हें सिद्ध संत समाधी से भी नहीं पकड़ पाते यशोदा मैया उन्हें लाठी दिखाकर पकड़ना चाहती हैं। ब्रह्मा जी द्वारा ब्रज के गाय बछड़ों सहित बृजवासियों को चुराने की कथा के वर्णन के साथ गोपाष्टमी का महत्व बताते हुए कहा कि इस दिन से श्रीकऋण ने गाय चराना प्रारम्भ किया था। इसलिए गोपाष्टमी पर गौ सेवा का विशेष महत्व होता है। गोवर्धन लीला के साथ कथा विश्राम किया। संतोष शर्मा व उनकी धर्मपत्नी ललिता शर्मा ने आरती कर सभी श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरण किया। 21 अक्टूबर को सुबह 10 बजे से दोपहर 1 बजे तक निशुल्क नेत्र रोग शिविर का आयोजन किया जाएगा। 

इस अवसर पर मुख्य रूप से सांसद राम शंकर कठेरिया, मृदुला कठेरिया, एमएलसी विजय शिवहरे,वीना लवानिया, राजपाल यादव, पीएल शर्मा, वृंदावन से आए अशोक शास्त्री जी, विपिन बापू जी, सुरेश उपाध्याय,प्रदीप उपाध्याय, प्रवीन, विनोद आदि उपस्थित थे। 

पुरुषार्थी बनिए,सब कुछ जय विजय पर मत छोड़िए।

 यशोदा मैया द्वारा श्रीकृष्ण को ओखल से बांधने पर हर बार दो अंगुल रस्सी का छोटी पड़ने की कथा की व्याख्या करते हुए कहा कि यह दो अंगुल श्रीहरि की कृपा और पुरुषार्थ का प्रतीक हैं। जिन पर भगवान की कृपा है वह पुरुषार्थ हीन होकर बैठे हैं। जो पुरुषार्ती हैं उन्हें भगवान की कृपा नजर नहीं आती। आज सनातन धर्म की अनुकूल हवा चल रही है। भारत के ऋषि मुनियों का ज्ञान समझने के लिए विदेशी संस्कृत सीख रहे हैं। किसी समय मुट्ठी भर आक्रमणकारियों और आतंकियों ने मठ मंदिर ध्वस्त कर दिए थे। आज हरि से कृपा से जय विजय का भी साथ है। परन्तु सब कुछ जय विजय पर मत छोड़िए। राष्ट्र तभी सुरक्षित होगा जब हरि की कृपा के साथ पुरुषार्थ भी होगा।   

कालिया नाम मर्दन की कथा में कर दिया भारत की वर्तमान परिस्थिति का बखान।

कथा वाचन डॉ. श्यामसुन्दर पाराशर ने कालिया नाग मर्दन की कथा में श्रीकृष्ण व कालिया नाग के संवाद का वर्णन करते हुए देश की वर्तमान परिस्थिति का अप्रत्यक्ष रूप से बखान कर दिया। श्रीकृष्ण ने कालिया नाग से कहा कि तुम्हारे लिए अलग देश रमणद्वीप दे दिया, फिर ब्रजवासियों के बीच क्यों जहर फैला रहे हो। भाईचारे से रहो तो ठीक, लेकिन तुम तो भाई को ही चारा बना रहे हो। भारत की संस्कृति को समझो और सका उसका अनुशरण करो। इस पर कालिया नाग ने अपनी प्रवृत्ति श्रीकृष्ण को बताते हुए कहा कि भगवन जब तक हम अल्पसंख्यक होते हैं तो बिल में रहते हैं, परन्तु संख्या अधिक होने पर अपनी प्रवृत्ति अनुसार बाहर निकल कर डंसना शुरु कर देते हैं। श्रीकृष्ण जी ने कहा कि यहां रहना है तो स्वभाव बदलना होगा, अन्यता देश बदलना होगा। तुम भोगी हो तो हम भी योगी हैं। बुलडोजर से बिल सहित उखाड़ फेकेंगे। समस्त विश्व में तुम्हारे द्वारा ही जहर फैलाया जा रहा है।