ठाकुर जी को अन्नकूट के पद सुनाकर किया गोवर्धन पूजन,गूंजे पूंछरी के लौठा के जयघोष

 


− कटरा हाथी शाह,नाई की मंडी स्थित श्री प्रेमनिधि मंदिर में हुआ गोवर्धन पूजन।

− पूजन के बाद भक्तों ने लिया अन्नकूट संग कढ़ी भात की प्रसादी का आनंद।

हिन्दुस्तान वार्ता। ब्यूरो

आगरा। गोपन सों यह कन्हाई। जो हो कहत रह्यो भयो सोइ सपनांतर की प्रकट जनाई…अन्नकूट कोटिन भातन सौं भाेजन करत गोपाल….जैसे पद सुनाकर ठाकुर श्याम बिहारी जी को पहले भक्तों ने रिझाया। इसके बाद दिव्य स्वाद से परिपूर्ण अन्नकूट, कढ़ी भात का भोग लगाया अपने लाड़ले को बस अपलक निहारते रहे। 

ये आनंदमयी दर्शन हुए पंचोत्सव के अन्तर्गत कटरा हाथी शाह,नाई की मंडी स्थित श्री प्रेमनिधि मंदिर में। सोमवार को मंदिर में गोवर्धन पूजन एवं अन्नकूट की प्रसादी का आयोजन किया गया। ठाकुर जी को नवीन पोशाक धारण कराकर आकर्षक श्रंगार किया गया। मंदिर परिसर में गोधन से गोवर्धन महाराज बनाकर भक्तों ने दूध की धार से पूजन किया। मानसी गंगा, हर गंगे गोवर्धन की जय बोलो के के जयकारे लगाते हुए सामूहिक परिक्रमा लगायी। 

इस मौके पर तीन फुट के गोवर्धन महाराज विराजित किए गए। मुख्य सेवायत हरिमोहन गोस्वामी ने बताया कि पुष्टिमार्ग में दीपोत्सव,कंजागायी, अन्नकूट,गोवर्धन पूजा को जन्माष्टमी से भी अधिक भव्य पैमाने पर मनाया जाता है, क्योंकि जन्माष्टमी को प्रभु के प्राकट्योत्सव के रूप में मनाया जाता है।  

दरअसल,हम इस बात से अनभिज्ञ थे कि हमारा देव या भगवान कौन है? ब्रज में लोग इंद्र की पूजा करते थे,तब भगवान कृष्ण ने अपने पिता नंद महाराज से चर्चा के बाद यह राय रखी कि हमें इंद्र की नहीं बल्कि गोवर्धन की पूजा करनी चाहिए, क्योंकि हम ब्रजवासियों का जीवन और रक्षा गोवर्धन पर्वत ही करते हैं इसलिए हमें गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी चाहिए। इससे हमें पता चला कि हमारा देव कौन है तभी से पुष्टिमार्ग सम्प्रदाय या पुष्टि भक्तों में गोवर्धन उपासना प्रारम्भ हुई। सेवायम सुनीत गोस्वामी ने बताया कि पुष्टिमार्ग में अन्नकूट को यज्ञ माना जाता है। इस दिन श्री प्रभु हटरी (एक प्रकार का दुकान बंगला) में विराजमान किये गए।  नव ग्रह की भावना से नव (नौ) आरतियां की गयीं। गायों का पूजन किया गया। 

 इस अवसर पर व्यवस्थाएं दिनेश पचौरी, आशीष पचौरी, अमित शर्मा, सरदार सिंह धाकड़, पवन अग्रवाल, रामनिवास गुप्ता आदि ने संभाली। श्रद्धालुओं ने अन्नकूट प्रसादी का सामूहिक आनंद लिया।