कपड़ों की तरह रिश्तों को बदलते देखा है,आदमी को हैवान होते देखा है…श्रुति सिन्हा



− श्याम तुम जो मिले राधिका हो गई, दीप से तुम जले वर्तिका हो गई।

− पुस्तक मेले के काव्य मंच पर कवित्रियों ने बहाई काव्य रसधार

− जीआईसी मैदान में पुस्तक मेले के पांचवें दिन साहित्य, संगीत और कला का दिखा अनूठा संगम

− अक्षरा साहित्य अकादमी के साहित्य उत्सव में पुस्तकें दे रहीं समय की सीख

हिन्दुस्तान वार्ता। ब्यूरो

आगरा। समय के बदलते दौर पर प्रहार करते हुए कवित्री श्रुति सिन्हा ने अक्षरा साहित्य अकादमी द्वारा आयोजित राष्ट्रीय पुस्तक मेले एवं साहित्यिक उत्सव के काव्य मंच पर अपनी पंक्तियों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने अपने काव्य पाठ में कहा "कपड़ों की तरह रिश्तो को बदलते देखा है। आदमी को हैवान होते देखा है। 

जीआईसी मैदान पर आयोजित पुस्तक मेले के पांचवें दिन साहित्यिक मंच पर कवित्रियों ने अपने काव्य पाठ से समसामयिक रचनाएं प्रस्तुत की। मुख्य अतिथि समाज सेवी सुनील जैन और विशिष्ट अतिथि डॉ शरद गुप्ता थे। कवित्री सम्मेलन का शुभारंभ मां शारदे की प्रस्तुति के साथ डॉ ज्योत्सना शर्मा ने कार्यक्रम का शुभारंभ किया "करते हैं वंदना हम मां शारदे तुम्हारी हर हाल में तुम्हीं ने यह लेखनी संवारी।। कवित्री रितु गोयल ने अपने काव्य पाठ में प्रकृति के प्रति जागरुक करते हुए लोगों के समक्ष काव्य पाठ में कहा प्रकृति दहन करते हो तो डरते नहीं, मानवता हनन करते हो तो डरते नहीं, आज जब दिख गई है मौत तुमको, क्यों भला गलती को याद करते नहीं। कवित्री निशि राज ने अपनी रचना में कहा "हर किसी से ना शिकवा गिला कीजिए दुश्मनों से भी हंसकर मिला कीजिए।'कवित्री सम्मेलन में श्रृंगार रस के काव्य पाठ में कंचन लता पांडे ने अपनी प्रस्तुति में कहा "एक तरफ चाहत तुम्हारी फतेह हिमालय शिखर और फिर डरते भी होकर रहा में पत्थर बहुत हैं'। कवित्री सम्मेलन में ब्रज रंग को रंगते हुए डॉ रमा रश्मि ने भगवान कृष्ण और राधिका के मिलन पर काव्य पाठ की प्रस्तुति में कहा "श्याम तुम जो मिले राधिका हो गई। दीप से तुम जले वर्तिका हो गई। मैंने जीवन समर्पित तुम्हीं को किया। शब्दों में तुम ढले शादिका हो गई। डॉ ज्योत्सना शर्मा ने काव्य पाठ करते हुए अपनी रचना में कहा एक टूटा मैं हमारा और कितने काम हैं, हर किसी के भाग्य में होते कहां विश्राम हैं। यशोधरा यादव यशो ने मुस्कुराती हुई जिंदगी बेटियां और बहती हुई एक नदी है बेटियां। हौसला जो मिले आसमान चूम लें अप्सरा लोक की परी है बेटियां। भावना वाजपेई ने काव्य पाठ में प्रेम रस बरसाते हुए कहा कोई सखी कह  बोल उठी, सिय से सुन सुंदर मोहक प्यारी, लागत है एक दीपक जोत करें, उजियार सभी यह क्यारी।। पूजा आहूजा ने नाच नाच नाच तू नाच जिंदगी नाच मौत से लड़ती हुई अंतिम सांस पर नाच कविता प्रस्तुत कर जीवन की सच्चाई को इंगित किया। काव्य पाठ में रीता शर्मा ने यहां आपाधापी के मेले हैं मेले में मुखोंटों के ठेले हैं। सीना ही बाकी बचा रह गया पीठ के बार तो बहुत झेले हैं। रानू बंसल ने तसकित हूं त्याज हूं। अपेक्षित हूं उपहास हूं। कलंकित हूं कुरुप हूं हां मैं झूठा हूं। कविता प्रस्तुत कर झूठ पर प्रहार किया।

वरिष्ठ चिकित्सकों का हुआ सम्मान।

राष्ट्रीय पुस्तक मेले एवं साहित्यिक उत्सव के पांचवें दिन जीआईसी ग्राउंड में कार्यक्रमों के पहले सत्र में साहित्यिक मंच पर बच्चों ने कई प्रस्तुतियां देकर दर्शकों की जमकर तालियां बटोरीं। विभिन्न संस्थाओं के बच्चों ने प्रस्तुतियों के बाद पुस्तक मेले का अवलोकन कर कई पुस्तकों के बारे में गहनता से जानकारी ली। इस मौके पर मुख्य अतिथि शहर के जाने-माने चिकित्सक डॉ.ज्ञान प्रकाश गुप्ता, डॉ. मुनीश्वर गुप्ता और डॉ.राकेश भाटिया का संस्था अध्यक्ष डॉ. विनोद महेश्वरी,सचिव दीपक सरीन,कोषाध्यक्ष श्रुति सिन्हा के साथ समिति पदाधिकारियों ने सम्मान किया। इस मौके पर बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले प्रतिभागियों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित भी किया गया। अवलोकन के दौरान अधिकांश बच्चों की जिज्ञासा पढ़ाई की पुस्तकों के अलावा हास्य व्यंग्य और आध्यात्मिक ज्ञानवर्धक पुस्तकों की ओर रहा।

कंप्यूटर के युग में भी रहेगी पुस्तकों की उपयोगिता।

राष्ट्रीय पुस्तक मेले के साहित्यिक मंच पर कार्यक्रम के चौथे सत्र में ऑथर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के तत्वाधान में आयोजित विचार गोष्ठी में डिजिटल मीडिया के दौर में पुस्तकों की उपयोगिता पर चर्चा हुई। कार्यक्रम में अतिथि प्रो सुगम आनंद, प्रो लवकुश मिश्रा, आईएमए सचिव डॉ पंकज नगायच थे। इस मौके पर पंडित मधुकर चतुर्वेदी ने साहित्य साधना की उपयोगिता बताते हुए तबले पर अपनी संगत से सभी का मन मोह लिया। कार्यक्रम का संचालन श्रुति सिन्हा ने किया।

"आशाओं के वातायन" से पुस्तक पर चर्चा।

लेखिका प्रीति आनंद के कहानी संग्रह आशाओं के वातायन पुस्तक पर विमोचन कियागया। डॉ अपर्णा पोद्दार ने कहानी संग्रह पर चर्चा की। उन्होंने कहा समय के बदले दौर में भी पुस्तकें हमारे एकाकी जीवन को समाज से जोड़ती हैं। डिजिटल युग में भी पुस्तकों की उपयोगिता को कम नहीं आंका जा सकता।

बुजुर्गों के साथ युवाओं को भा रही साहित्यिक और आध्यात्मिक पुस्तकें।

जीआईसी मैदान पर आयोजित पुस्तक मेले में ज्ञान का ऐसा संगम पुस्तकों में देखने को मिल रहा है जहां बुजुर्गों के साथ युवाओं को साहित्य साधना के साथ जीवन सफलता और आध्यात्मिक की पुस्तकें आकर्षित कर रही हैं। पुस्तक मेले में हर उम्र के लोग शैक्षिक, साहित्यिक, आध्यात्मिक, योग साधना की पुस्तकों को देखकर जिज्ञासु बन रहे हैं।

इनकी रही सहभागिता।

अक्षरा साहित्यिक अकादमी के द्वारा आयोजित राष्ट्रीय पुस्तक मेले में समिति की अध्यक्ष डॉ विनोद महेश्वरी, उपाध्यक्ष वत्सला प्रभाकर, सह सचिव शीला बहल, सचिव दीपक सिंह सरीन, कोषाध्यक्ष श्रुति सिन्हा, आरके कपूर, श्वेता अग्निहोत्री, शरद गुप्ता आदि ने अतिथि देवो भव की परंपरा का निर्वहन करते हुए कार्यक्रमों में आए अतिथियों का स्वागत किया।

रिपोर्ट-असलम सलीमी।