श्रीकृष्ण लीला शताब्दी समारोह में मनाया गया नंदोत्सव: नंद के आनंद भए,जय कन्हैया लाल की...

 

             

अवतार लियो गोपाल नन्दलाल,नन्द भवन बधाई बाज रही।

दीपक नृत्य ने किया मंत्रमुग्ध,पूतना वध का लिया आनंद।

 नंद सखा की सवारी में उमड़ा बल्केश्वर,शोभायात्रा बनी आकर्षण का केंद्र, उपहार लूटने की मची रही खूब होड़ सी।

हिन्दुस्तान वार्ता। ब्यूरो

आगरा। नंद घर आनंद भए,जै कन्हैयालाल की, हाथी−घाेड़ा पालकी,जै जै नन्दलाल की…।

 श्रीकृष्ण लीला में सोमवार को जमकर आनंद बरसा। यशोदा को सभी ने खूब बधाइयां दी और मंगलगान गाए। नंद बाबा ने  उपहार लुटाए और ब्रजवासियों ने नृत्य करके माहौल खुशनुमा कर दिया।

ब्रजधाम बने वाटर वर्क्स चौराहा स्थित गौशाला प्रांगण में श्रीकृष्ण लीला शताब्दी समारोह के अन्तर्गत साेमवार को नंदोत्सव की लीला का मंचन किया गया। जिसमें नंद बाबा के स्वरूप ने जमकर उल्लास बिखेरा और दानपुण्य किया। ब्रजवासियों को उपहार दिए। 

नंद सखा की सवारी बैंड बाजों के साथ बल्केश्वर चौराहा से निकाली गई। नंद सखा बने मुकेश मित्तल और शाेभना मित्तल अपने परिजनों और साथियों पार्षद पूजा बंसल, तनुज मित्तल, मनोज बंसल, संदीप बंसल, सुरेश चंद्र गर्ग, प्रदीप बंसल, गिर्राज बंसल, आयुष बंसल, पीयूष अग्रवाल, गिरीश अग्रवाल जगदीश बगला, पीएल शर्मा, भगत सिंह बघेल, मुकेश जैन, पारुल बंसल, श्वेता महेश्वरी आदि के साथ गौशाला पहुंचे। जिनका स्वागत किया गया। 

इससे पूर्व लीला में कंस द्वारा बाल कृष्ण के वध के लिए विभिन्न तरीके अपनाए गए। एक माह तक के सभी बच्चों का वध कर दिया गया। राक्षसी पूतना को भेज कर भी श्रीकृष्ण के वध के प्रयास किये, लेकिन कृष्ण ने पूतना का ही वध कर दिया। इसके अलावा कान्हा के नामकरण संस्कार,भगवान शंकर द्वारा दर्शन के लिए आना, ऊखल बंधन आदि लीलाओं का मंचन भी वृंदावन के श्रीराम शर्मा  (निमाई) के निर्देशन में कलाकारों द्वारा किया गया। 

 लीला के अंत में भगवान कृष्ण के स्वरूप की आरती कमेटी के अध्यक्ष मनीष अग्रवाल, विजय रोहतगी, अशोक गोयल, पीके मोदी, शेखर गोयल, बृजेश अग्रवाल, कृष्ण कन्हैया अग्रवाल,प्रवक्ता धर्मेन्द्र कुमार चौधरी एवं मीडिया प्रभारी तनु गुप्ता,प्रभात रोहतगी,आशीष रोहतगी,विष्णु अग्रवाल, एसपी सिंह, राजीव अग्रवाल, राकेश गुप्ता, सीताराम अग्रवाल,कौशल किशाेर सिंघल,विनोद भट्टेवाले,मनोज गुप्ता,अनुज सिंघल आदि ने आरती उतारी एवं लड्डू गोपाल जी को पालना झुलाया।

 छाया- गोपाल कुशवाह।