शिव आराधना से भक्तों का होता है कल्याण : पं.प्रदीप मिश्रा जी।


- नंद महल में बज्रनाभ ने पार्थिव शिवलिंग नंदीश्वर महादेव का निर्माण कर बृज के समस्त नदी व कुंडों के जल से कराया था अभिषेक।

- भगवान् श्रीकृष्ण ने संतान प्राप्ति के लिए 16108 रानियों संग शिवलिंग निर्माण कर किया था अभिषेक।

-  संपूर्ण विश्व में नंदगांव के आशेश्वर् महादेव मंदिर में अकेले विराजित है स्वयंभू शिवलिंग।

हिन्दुस्तान वार्ता। ब्यूरो

कोसीकलां (मथुरा) । भोले शंकर बहुत ही भोले हैं। एक लोटा जल चढाने मात्र से ही वे खुश हो जाते हैं तथा भक्तों की मनोकामना को पूर्ण कर देते हैं ।  

भगवान श्रीकृष्ण ने 16108 रानियों से विवाह किया और रानियों से संतान उत्पत्ति न होने पर उन्होनें महर्षि गर्गाचार्यजी से संतान उत्पत्ति का उपाय पूछा, तो उन्होनें बताया कि हर एक रानी के साथ ग्यारह_ग्यारह दिन तक शिवलिंग का अभिषेक करो तो तुम्हें संतान प्राप्ति का सुख प्राप्त होगा । गर्गाचार्यजी के द्वारा बताये गये उपाय के अनुसार योगीराज श्रीकृष्ण ने शिवलिंग का निर्माण कर प्रत्येक रानी के साथ अभिषेक किया।अभिषेक करने के उपरांत उन्हें सभी रानियों के द्वारा "एक लाख सतत्तर हजार एक सौ छियासी" पुत्र पैदा हुये । उन्ही पुत्रों से पैदा हुए श्रीकृष्ण के प्रपोत्र बज्रनाभ जब ब्रज में नंन्दगाव आये तो नंदीश्वर पर्वत की अति दयनीय स्थिति को देखकर उसे बचाने के लिये उन्होंने भगवान शिव की आराधना सच्चे मन से करना शुरू किया। बज्रनाभ द्वारा नन्द महल में भगवान शिव का पार्थिव शिवलिंग का निर्माण किया,जिसमें समूचे ब्रज के नदी तालाब कुण्ड सरोवर आदि से जल लाकर पार्थिव शिवलिंग का अभिषेक किया जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव नंन्द महल में प्रकट हुये और साक्षात दर्शन दिये । नंदगांव के नन्द महल में आज भी नंदीश्वर के नाम से भगवान शिव का मंदिर स्थापित है । कोई भी भक्त जो समूचे ब्रज की परिक्रमा लगाने में असमर्थ हो तो नंदीश्वर मंदिर के फर्श के स्पर्श से ही उसे ब्रज परिक्रमा का फल मिल जाता है । 

 ये वक्तव्य राजमार्ग पर कोसीकलां के समीप स्थित ग्राम अजीजपुर के श्रीजी निकुंज में गोपी गोपेश्वर श्री शिव महापुराण कथा के दूसरे दिन कथा प्रवक्ता पंडित प्रदीप मिश्रा जी ने दिए ।

 उन्होनें बताया कि नंन्दगांव में नवल किशोर गोस्वामी की एक छतरी आशेश्वर महादेव मंदिर के समीप दिखायी देती है । उन्होनें नवल किशोर गोस्वामी के बारे में जानकारी देते हुए बताया कहा कि नवल किशोर भगवान शिव के अनन्य भक्तों में से एक थे और आशेश्वर भगवान के दर्शन करने के लिये प्रतिदिन जाते थे । एक दिन नवल किशोर भगवान आशेश्वर महादेव के मंदिर में पहुचें तो भगवान शिव के शिवलिंग को अकेला देख व्याथित हो गये और उसी दिन से भगवान शिव का अकेलापन दूर करने के लिये नवलकिशोर गोस्वामी मंदिर में तप करने लगे। तप करते हुये उन्हें कई मास व्यतीत हो गये, भगवान शिव ने भक्त नवल किशोर के तप को देख प्रसन्न होकर दर्शन दिये । उन्होनें कहा कि संपूर्ण विश्वभर में नन्दंगांव में ही ऐसा अकेला शिव मंदिर ऐसा है, जहां स्वंयभू भगवान शिव अपने परिवार के साथ विराजमान न होकर अकेले विराजमान हैं । उसी मंदिर में अगर कोई भक्त सच्चे मन से एक लोटा जल चढाकर मनोकामना मांगता है तो भगवान भोले शंकर प्रसन्न होकर भक्तों की मनोकामना को पूर्ण करते हैं ।

श्री शिव महापुराण कथा से पूर्व कथा मुख्य यजमान सुभाष चंद बांसईया, रेनू बांसईया, सौरभ बांसईया व् सोनल बांसईया तथा पालिकाध्यक्ष धर्मवीर अग्रवाल,कमलकिशोर वार्ष्णेय ने संयुक्त रूप से शिव महापुराण की आरती उतारी।

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रिपोर्ट- बी.एस.शर्मा'उपन'।