यू.पी.आवास एवं विकास परिषद/विकास प्राधिकरण की योजनाओं में भू-अर्जन में तकनीकी व विधिक कारणों से लम्बे समय से लंबित हो रहे हैं विवाद:नेशनल चैम्बर।



इससे परिषद/विकास प्राधिकरण को नहीं मिल पा रहा है कब्जा कई वर्षों तक।

विवादित /अनार्जित भूखंडों के लिए बनाई जाए समायोजन नीति।हितधारकों से मांगे जाये सुझाव।

लागू की जाए एक मुश्त समाधान योजना।विवादित/अनार्जित भूमि के एवज में उसी भूमि में से एक निर्धारित प्रतिशत के भूमि के बराबर विकसित भूखण्ड किये जायें आबंटित।

हिन्दुस्तान वार्ता। ब्यूरो

आगरा: चैम्बर अध्यक्ष राजेश गोयल ने कहा कि सरकार प्रत्येक प्रदेशवासी को पक्का आवास देने को प्रतिबद्ध है और इस दिशा में निरंतर प्रयासरत है,किन्तु उ0प्र0 आवास एवं विकास परिषद एवं विकास प्राधिकरणों द्वारा विभिन्न योजनाओं के तहत भू अधिग्रहण में तकनीकी एवं विविध कारण आड़े आ रहे हैं, जिससे सरकार की यह जनकल्याण की महती योजना प्रभावित हो रही है।  जिनके चलते उन्हें इन भूमि एवं भूखंडों पर अनधिकृत कब्जे हो जाते हैं और सम्पूर्ण परिदृश्य ही बदल जाता है। 

इस समस्या के समाधान हेतु चैम्बर द्वारा माननीय मुख्यमंत्री को एक विस्तृत प्रतिवेदन प्रेषित किया है। 

भू सम्पदा प्रकोष्ठ के समन्वयक राहुल जैन ने कहा कि देश में वर्तमान न्यायिक व्यवस्था लम्बित वादों के अत्यधिक संख्या में होने के कारण चरमरा रही हैं। न्यायालय में लंबित विवादों में लगभग 30 से 40 वर्ष तक का समय लग जाता है।  माननीय उच्चतम न्यायालय ने अपने अपने निर्णयों में आपसी मध्यस्थता एवं समझौते के आधार पर वादों के निस्तारण पर बल दिया है। वाणिज्यिक न्यायालय अधिनियम 2015 की धारा 12ए में समस्त वाणिज्यिक विवादों में मध्यस्थता अब अनिवार्य कर दी गई है। माननीय मुख्यमंत्री महोदय से निवेदन किया जाता है कि ऐसे विवादित भूखंडों के लिए एक समायोजन नीति बनाई जाये। इस हेतु एकमुश्त समाधान योजना लागू की जाये। समायोजन नीति के लिए हितधारकों से सुझाव आमंत्रित किये जाये। प्रतिवेदन में यह सुझाव भी दिया गया है कि विवादित/अनार्जित भूमि के एवज में उसी भूमि में से एक निर्धारित प्रतिशत भूमि के बराबर विकसित भूखंड आवंटित किये जायें।