श्रीकृष्ण लीला शताब्दी समारोह में हुआ देवकी वसुदेव विवाह एवं श्रीकृष्ण जन्म।

 

                        

                     




भये प्रगट गोपाला,दीन दयाला यशुमति के हितकारी, हर्षिल महतारी,सुरमुनि हारी, मोहन मदन मुरारी…।

 धरा को कंस के अत्याचारों से मुक्त कराने को अवतरित हुए श्रीकृष्ण कन्हाई।

श्रीकृष्ण जन्म होते हुए गूंजा शंखनाद, राधे राधे के जयघाेष से गूंज उठा लीला स्थल।

हिन्दुस्तान वार्ता। ब्यूरो

आगरा। कंसासुर जाना मन अनुमाना, पूतना वेगी पठाईख तेहि हर्षित धाई, मन मुस्काई गयी जहां यदुराई…स्तुति और हरे कृष्ण, राधे कृष्ण के जयघोष संग शंखनाद से गूंज उठा लीला स्थल। 

वाटरवर्क्स चौराहा स्थित गौशाला में आयोजित श्रीकृष्ण लीला शताब्दी समारोह में मंचीय आयोजन का आरंभ देवकी वसुदेव विवाह एवं श्रीकृष्ण जन्म लीला के साथ हुआ। पहले दिन भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की लीला का मंचन जैसे ही हुआ जयघोषों से वातावरण गुंजायमान हो उठा। 

ब्रज रज की संस्कृति और अपने तारणहार की भक्ति के रंग से रंगा गौशाला परिसर द्वापरकाल को जीवंत कर रहा है। पहले दिन की लीला के मंचन का शुभारंभ राष्ट्रीय संत श्रीअरविंद जी महाराज,

प्रदेश कैबिनेट मंत्री श्री धर्मपाल सिंह,लंगड़े की चौकी प्राचीन हनुमान मंदिर के मुख्य महंत श्री गोपी गुरु और प्राचीन सीताराम मंदिर के महंत श्री अनंत उपाध्याय,आचार्य श्री देव पाण्डेय ने भगवान श्रीनारायण हरि विष्णु के स्वरूपों की आरती उतार कर किया। 

भजन-कीर्तन के बीच हुई आरती से पूरा पंडाल भक्तिमय हो गया। श्रीकृष्ण जन्म की लीला का मनोहारी मंचन किया गया। रोशनी से जगमग मंच पर परंपरागत वेशभूषा में कलाकारों ने अपने अभिनय का प्रभाव छोड़ते हुए दर्शकों को आनंदित किया। मंचन में दिखाया गया कि कंस अपनी बहन देवकी का विवाह करके उसे ससुराल पहुंचाने जा रहा था,इसी बीच आकाशवाणी हुई कि देवकी का अष्टम पुत्र कंस का वध करेगा। कंस भयभीत हो गया। वह देवकी को मारना चाहता है, लेकिन दोनों को कारागार में डाल देता है। कंस एक-एक करके देवकी की सात संतानों का वध कर देता है। जब आठवें पुत्र के रूप में श्रीकृष्ण ने कारागार में जन्म लिया तो वासुदेव रात में ही उन्हें नंदबाबा के घर छोड़ आए।

कंस के अत्याचार और उमड़ती यमुना ने बांधे दर्शक।

लीला मंचन के दौरान जब कंस एक− एक कर देवकी के पुत्रों का वध करता है और फिर श्रीकृष्ण के जन्म के बाद वसुदेव उन्हें टोकरी में लेकर यमुना पार गोकुल लेकर जाते हैं, उस समय उमड़ती यमुना की लहरों के दृश्यों ने दर्शकदीर्घा को बांध कर रखा। श्रद्धालु बस श्रीकृष्ण गोविंद हरे मुरारी का जाप जहां थे वहीं से कर रहे थे और प्रभु की लीलाओं का आनंद ले रहे थे। राधा विनोद लीला संस्थान, वृंदावन के लीला निर्देशक स्वामी श्रीराम शर्मा (निमाई) के निर्देशन में कलाकारों ने प्रभावशाली मंचन किया। 

ये रहे उपस्थित।

अध्यक्ष मनीष अग्रवाल,महामंत्री विजय रोहतगी,कोषाध्यक्ष संजय गर्ग,प्र.समाजसेवी पार्षद मुरारीलाल गोयल,प्र.समाजसेवी उमेश कंसल, अशाेक गोयल, शेखर गोयल, कैलाश खन्ना, धर्मेन्द्र कुमार चौधरी, कृष्ण कन्हैया अग्रवाल, विनीत सिंघल, अनूप अग्रवाल, गिर्राज बंसल, प्रवीन अग्रवाल, मनोज गुप्ता,मनोज बंसल,अमित अग्रवाल,पीके मोदी, केसी अग्रवाल,प्रभात रोहतगी, आशीष रोहतगी,जितेन्द्र निगम,संजय गोयल, बृजेश अग्रवाल, पंकज मोहन शर्मा, सुजाता अग्रवाल, सीमा गोयल, मीडिया प्रभारी तनु गुप्ता आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे। 

निकलेगी गौचारण यात्रा।

श्रीकृष्ण लीला शताब्दी समारोह में सोमवार को सुबह 10 बजे श्रीकृष्ण-बलराम गौचारण यात्रा निकाली जाएगी। अध्यक्ष मनीष अग्रवाल के अनुसार यह यात्रा गौशाला, वाटर वर्क्स से शुरू होकर जीवनीमंडी, भैरौं बाजार, बेलनगंज चौराहा, कचहरी घाट, छत्ता बाजार, दरेसी नं.2, रावतपाड़ा, सुभाष बाजार, जौहरी बाजार, किनारी बाजार, सेव का बाजार, फुलट्टी, छिलीईंट घटिया, सिटी स्टेशन रोड, धूलियागंज, पथवारी, बेलनगंज तिकोनिया होती हुई गौशाला वापस आएगी। शाम को 6.30 बजे गौशाला परिसर में नंदोत्सव एवं पूतना उद्धार की लीला का मंचन होगा। शाम 6 बजे नंद सखा की सवारी बसंत मार्केट, बल्केश्वर चौराहा से शुरू हो कर गौशाला पहुंचेगी। 

ये रहेगा लीलाओं के मंचन का क्रम।

20 नवंबर− गोपाष्टमी, नंदोत्सव, दीपक नृत्य और पूतना वध

21 नवंबर−डांडिया नृत्य और कालीदह लीला

22 नवंबर−गौमय श्रंगार एवं गोवर्धन पूजा− अन्नकूट प्रसाद

23 नवंबर−शंकरलीला− माखन चोरी, फूलों की होली

24 नवंबर− श्रीकृष्ण लीला− सुदामा मिलन लीला

25 नवंबर− अक्रूर गमन− कंस वध एवं आतिशबाजी।

26 नवंबर−श्रीकृष्ण बलराम की दिव्य शाेभायात्रा। 

27 नवंबर−द्वारिकापुरी रुक्मणि मंगल विवाह लीला 

28 नवंबर−हवन लीला।

छाया- गोपाल कुशवाह।