देश पर मर मिटने वाले स्वतंत्रता सेनानी व मर्चेंट नेवी के रिटायर्ड कैप्टन परिवार को,उनकी जमीन पर कब्जा कर,धमका रहे दबंग।



वर्ष 1991 में परगनाधिकारी द्वारा दाखिला खारिज निरस्त करने के बावजूद पहले की जबरन जमीन पर जुताई,अब कँटीले तार लगाकर किया जमीन पर कब्जा।

जल सेना के पूर्व कैप्टन पीड़ित श्रीष प्रताप सिंह चौहान ने कई बार दिया पुलिस को प्रार्थना पत्र,किंतु पुलिस ने नहीं की कोई कार्यवाही।

सीएम पोर्टल पर भी कराई शिकायत दर्ज।

सब तरफ से निराश होकर पीड़ित परिवार ने लोकतंत्र के चौथे स्तंभ मीडिया से लगाई गुहार,हमारी जमीन को अवैध कब्जे से मुक्त कराओ सरकार।

हिन्दुस्तान वार्ता। ब्यूरो

आगरा। देश की सेवा करने वाले स्वतंत्रता सेनानी एवं पूर्व विधायक आंवल खेड़ा निवासी स्वर्गीय राम सिंह चौहान और भारतीय जल सेना (मर्चेंट नेवी) में कैप्टन रहे उनके सुपुत्र श्रीष प्रताप सिंह चौहान का परिवार आजकल दहशत में है। 

 ग्राम आंवल खेड़ा, थाना बरहन व तहसील एत्मादपुर क्षेत्र में उनकी पैतृक जमीन पर दबंग दुष्यंत सिंह उर्फ बंटी पुत्र कृष्ण गोपाल सिंह, देवेंद्र सिंह पुत्र श्याम सिंह,भूरा व करुआ पुत्रगण देवेंद्र सिंह ने पहले अवैध कब्जे की नीयत से अपने ट्रैक्टर जबरन घुसा कर उनकी जमीन पर जुताई की और अब उस जमीन पर कंटीले तार लगाकर अवैध कब्जा कर लिया है। 

 इस संबंध में पीड़ित परिवार ने क्षेत्रीय पुलिस अधिकारियों को कई बार प्रार्थना पत्र दिए लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। पीड़ित परिवार ने सीएम पोर्टल पर भी शिकायत की, लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ। 

 चारों तरफ से निराश होकर सोमवार को यूथ हॉस्टल में प्रेस वार्ता  आयोजित कर पीड़ित परिवार ने लोकतंत्र के चौथे किंतु सबसे मजबूत स्तंभ मीडिया से मार्मिक गुहार लगाई कि हमारी पैतृक जमीन को अवैध कब्जे से मुक्त करवाने में कृपया उचित मदद करें। 

 पूर्व कैप्टन श्रीष प्रताप सिंह चौहान ने पत्रकारों को स्पष्ट किया कि उनके बाबा के भाई वासुदेव सिंह ने 11 अक्टूबर सन 1936 को एक वसीयत की थी, जिसके अनुसार जीते जी उनकी पत्नी चंद्रवती देवी के नाम से उनकी जमीन को कृषि भूमि माना जाएगा, लेकिन उन्हें इस जमीन को बेचने का अधिकार नहीं होगा। 

  वसीयत के अनुसार चंद्रवती की मृत्यु के बाद उनके भतीजे राम सिंह चौहान (स्वतंत्रता सेनानी एवं पूर्व विधायक) उनकी जमीन के मालिक होंगे किंतु उनको भी जमीन बेचने का अधिकार नहीं होगा। साथ ही इस जमीन में से बीस बीघा दो विस्वा जमीन ठाकुर बांके बिहारी मंदिर न्यास गांव आवल खेड़ा के नाम रहेगी। इस वसीयत के आधार पर माननीय जिला जज आगरा द्वारा 4 अक्टूबर 1937 को प्रोबेट का आदेश पारित किया गया।

  पीड़ित पूर्व कप्तान ने बताया कि वसीयत के अनुसार जमीन का विक्रय नहीं किया जा सकता था फिर भी दबंगों द्वारा अनुचित तरीके से उनकी दादी चंद्रवती देवी से पैतृक जमीन का बैनामा करा लिया गया। उसके बाद दादी की हत्या कर दी गई जिसकी रिपोर्ट थाना बरहन में दिनांक 5 अगस्त 1988 को पंजीकृत हुई। 

उन्होंने कहा कि दबंगों ने तथ्यों को छुपाते हुए जमीन का दाखिला खारिज भी करवा लिया जिसके विरुद्ध परगनाधिकारी के समक्ष अपील की गई तो परगनाधिकारी ने 14 दिसंबर 1990 को दाखिला खारिज निरस्त कर दिया।

 उन्होंने बताया कि दाखिला खारिज निरस्त होने के बावजूद दबंगों ने 14 नवंबर 2023 को उनके खेतों में ट्रैक्टर द्वारा अवैध कब्जा करने के उद्देश्य से जुताई करवाई। अब उन्होंने जमीन पर कंटीले तार लगाकर कब्जा कर लिया है। 

पूर्व कैप्टन ने बताया कि इन दबंगों के विरुद्ध थाना बरहन में गंभीर मामले दर्ज हैं। इसलिए गांव के आदमी इन लोगों के सामने आने से डरते हैं। थाना बरहन तथा चौकी इंचार्ज भी कोई कार्रवाई न करते हुए बार-बार उन्हें लौटा रहे हैं।

 पीड़ित परिवार ने सीएम पोर्टल के माध्यम से माननीय मुख्यमंत्री से गुहार लगाई है कि वे इन जमीन पर अबैध कब्जे वालों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई करते हुए उनकी पैतृक जमीन और मंदिर की जमीन को अवैध कब्जे से मुक्त करवाएं।