पूर्व कैबिनेट मंत्री राजा अरिदमन सिंह ने आगरा की मूलभूत समस्याओं के निराकरण के साथ विशेष कार्य योजना को अमल में लाने के लिए उत्तर प्रदेश शासन को लिखे पत्र



यमुना में गिर रहे नाले,लाखों लोग प्रदूषित पानी के हवाले..।

यमुना कार्य योजनाओं के तहत आखिरकार कहां गए सरकार के 1000 करोड़  रुपए ?

जल शुद्धि के लिए आधुनिक तकनीक के साथ-साथ वैकल्पिक गंगा जल लाने की योजना पर विचार करे सरकार: पूर्व कैबिनेट मंत्री राजा अरिदमन सिंह।

हिन्दुस्तान वार्ता। ब्यूरो

आगरा। सनातन संस्कृति और हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार बेहद पूज्य और कृष्ण प्रिया कालिंदी (यमुना) नदी में आज भी 61 नालों का पानी गिर रहा है। लाखों लोग प्रदूषित पानी पीने के लिए मजबूर हैं क्योंकि अव्वल तो जल शुद्धि के लिए आधुनिक तकनीक ही हमारे पास उपलब्ध नहीं और जो सीवेज ट्रीटमेंट प्लाट उपलब्ध भी हैं तो उनके कर्मचारी डीजल बचाने के चक्कर में उनका पूर्ण उपयोग नहीं करते। परिणाम स्वरुप यमुना जल निरंतर प्रदूषित हो रहा है।  जब यमुना मां की हालत वैसी की वैसी है तो यह समझ में नहीं आता कि आखिरकार यमुना को निर्मल बनाने के लिए यमुना एक्शन प्लान एक और यमुना एक्शन प्लान दो के तहत सरकार के 1000 करोड़ रुपए आखिर कहां गए!

यह चिंता जताते हुए तीन बार के पूर्व कैबिनेट मंत्री एवं वरिष्ठ भाजपा नेता राजा अरिदमन सिंह ने उत्तर प्रदेश शासन के प्रमुख सचिव (माननीय मुख्यमंत्री जी) और मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश शासन को जनहित में ऐतिहासिक नगरी आगरा की मूलभूत समस्याओं के निराकरण के साथ विशेष कार्य योजना को अमल में लाने के संबंध में गंभीर और विस्तृत पत्र लिखा है।

नलों का पानी प्यास बुझाने योग्य नहीं।

 पत्र में राजा अरिदमन सिंह ने लिखा है कि पूरे आगरा जनपद में पेयजल की समस्या तीन दशक से ज्यादा पुरानी है। मेरे बचपन में यमुना का पानी निर्मल था। हम आचमन करने के साथ यमुना जल में नहा भी लेते थे। घर और स्कूल के नलों में वाटर वर्क्स से आने वाले पानी से प्यास बुझाते थे लेकिन आज हालात उल्टे हैं। न तो यमुना निर्मल है न ही नालों से आने वाला पानी प्यास बुझाने योग्य है। 

 उन्होंने लिखा है कि यमुना एक्शन प्लान एक और यमुना एक्शन प्लान दो के तहत यमुना नदी में सीधे गिरने वाले 91 नालों को टैप किए जाने के लिए जापानी सहायता से फंड आया था। इसके बावजूद समाचार पत्रों से पता चला है कि आज भी यमुना में 61 नालों का पानी गिर रहा है। 

दिल्ली तक की समाप्त हो जाती है यमुना।

उनका कहना है कि वर्ष 1997-98 में जब मैं उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री थ तब मैंने तत्कालीन सिंचाई मंत्री से यमुना के बारे में बात की तो उन्होंने कहा कि यमुना तो दिल्ली तक ही समाप्त हो जाती है। हरियाणा और दिल्ली की खपत के बाद कई शहरों से गुजर कर मथुरा होते हुए यमुना इतनी प्रदूषित हो जाती है कि आगरा की जनता को यमुना का शुद्ध पानी मिल ही नहीं पाता है। 

जल शुद्धि के लिए आधुनिक तकनीक जरूरी।

राजा अरिदमन सिंह ने यमुना जल शुद्धि के लिए अति आधुनिक तकनीक पर बल देते हुए लिखा है कि उनके द्वारा आगरा के धांधू पुरा क्षेत्र में स्थापित सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का निरीक्षण किया गया तो उन्होंने पाया कि प्लांट तो उसे समय चल रहा था लेकिन कर्मचारी डीजल बचाने के चक्कर में एसटीपी का पूर्ण उपयोग नहीं करते। परिणाम स्वरुप यमुना जल निरंतर प्रदूषित हो रहा है। 

करवाएं टेक्निकल ऑडिट।

उन्होंने पत्रों में लिखा है कि यमुना को निर्मल बनाने के लिए सरकार द्वारा यमुना कार्य योजनाओं के तहत जारी किए गए 1000 करोड रुपए प्रशासन द्वारा खर्च किए गए। इसका टेक्निकल ऑडिट यानी भौतिक सत्यापन कराया जाना जरूरी है क्योंकि यमुना की हालत तो वैसी की वैसी ही है। फिर आखिर इतनी बड़ी धनराशि कहां डूब गई!!

बैराज बेहद जरूरी।

 उन्होंने लिखा है कि कई दशकों से आगरा में बैराज बनाए जाने की घोषणा की जा रही है। 1990 के दशक में इस संबंध में अध्ययन भी हुआ था कि बैराज अपस्ट्रीम बने या डाउनस्ट्रीम। जल की निरंतर उपलब्धता और यमुना के पानी की निर्मलता के लिए बैराज या रबर चेक डैम अविलंब बनाया जाना बेहद जरूरी है। 

साथ ही, यमुना जल को शुद्ध और परिशोधित करने की आधुनिक तकनीक जल निगम को उपलब्ध करवाना भी बेहद आवश्यक है ताकि आगरा वासियों को निरंतर शुद्ध पेयजल उपलब्ध हो सके।

जल स्रोतों को किया जाए पुनर्जीवित।

उन्होंने लिखा है कि मैंने सूचना अधिकार अधिनियम के तहत जानकारी जुटाई तो पता लगा कि आगरा जनपद में तालाब, पोखर और अन्य जल श्रोतों सहित तहसीलवार कुल 2825 ऐसी वाटरबॉडीज हैं, जिन पर अवैध कब्जे नहीं हैं। 

 भारत के प्रधानमंत्री माननीय मोदी जी ने भी लगभग 3 वर्ष पहले जल शक्ति मंत्रालय केंद्र में बनाया। इसी क्रम में उत्तर प्रदेश में भी माननीय योगी जी द्वारा जल शक्ति मंत्रालय बनाया जा चुका है।  

हालांकि मैं जिलाधिकारी और मुख्य विकास अधिकारी को यह सूची प्रदान कर पिछले 4 वर्षों से निरंतर प्रयास कर रहा हूं कि इन जल स्रोतों को भूगर्भ और वर्षा जल संचय के लिए पुनर्जीवन प्रदान किया जाए। इस दिशा में हुई प्रगति की अभी कोई जानकारी नहीं है। 

 इस दिशा में सरकार द्वारा बनाए जा रहे अमृत सरोवरों का कदम सराहनीय है, इनसे भूगर्भ जल संचित करने में सहायता मिलेगी।

वैकल्पिक गंगाजल लाने की योजना पर किया जाए विचार।

आगरा में गंगाजल आ रहा है लेकिन पूरे शहर को गंगाजल नहीं मिल पा रहा। 

 इस संबंध में बताना चाहता हूं कि वर्ष 2006 में गंगाजल की योजना बनी थी। वर्ष 2012 में जब मैं मंत्री बना तो इस योजना की जानकारी मिलने पर मैंने तत्कालीन मुख्यमंत्री और तत्कालीन मुख्य सचिव से इस संबंध में चर्चा की और पत्र लिखकर भी दिया। अंततः पाइपो द्वारा गंगाजल की आपूर्ति का यह काम जल निगम को दिया गया। 23 जुलाई, 2012 को नयी डीपीआर बनाकर स्वीकृत हुई। मोदी जी द्वारा इस परियोजना का बाद में उद्घाटन किया गया।

 उल्लेखनीय है कि जल निगम की एक रिपोर्ट के अनुसार गंगाजल आगरा के लिए वर्ष 2026 तक ही पर्याप्त होगा। साथ ही इसका कुछ हिस्सा मथुरा को दे दिया जाएगा। दूसरी ओर आगरा की बढ़ती आबादी के अनुरूप खपत बढ़ने पर गंगाजल की आपूर्ति पूरे शहर को कैसे हो पाएगी जब आज ही पूरे शहर को गंगाजल की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। इन परिस्थितियों में यह आवश्यक है कि आगरा के लिए वैकल्पिक गंगाजल लाने की योजनाओं पर विचार करके जानकारी जुटाई जाए और पहले ही इस दिशा में काम शुरू कर दिया जाए ताकि समय आने पर पेयजल का संकट उत्पन्न न हो।

बढ़ता वायु प्रदूषण,घटता रोजगार।

आगरा में वायु प्रदूषण के कारण ताजमहल के पीले हो जाने पर सरकारी आदेश के तहत कोयले से चलने वाले उद्योग रोक दिए गए। इससे रोजगार की समस्या बढ़ी। कई लोगों ने कारोबार बदल लिया या अपने कारोबार का स्थान परिवर्तित कर लिया। अखबारों की रिपोर्ट के अनुसार 80 करोड रुपए खर्च करने के बावजूद आगरा के वायु प्रदूषण की समस्या को दूर नहीं किया जा सका है। 

  एसएन मेडिकल कॉलेज की एक शोध रिपोर्ट बताती है कि इस वायु प्रदूषण के कारण माताएं समय से पूर्व ही बच्चों को जन्म दे रही हैं। फेफड़े व अन्य अंग भी इससे ग्रसित होकर बीमार हो रहे हैं। आदमी की उम्र भी कम हो रही है।

 राजा अरिदमन सिंह ने उत्तर प्रदेश शासन से आग्रह किया है कि वायु प्रदूषण के निराकरण की योजना बनाएं। साथ ही रोजगार सृजन की दिशा में आगरा में गैर प्रदूषण कारी उद्योग के रूप में सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क और आईटी सिटी विकसित की जाए।

 उनका कहना है कि मैं जब उत्तर प्रदेश सरकार में इलेक्ट्रॉनिक एवं आईटी मंत्री था तब भी यह निष्कर्ष निकल कर आया था कि सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क के लिए नोएडा के बाद आगरा ही सबसे उपयुक्त है। जहां तक जानकारी मिली है एडीए ने इस पार्क के लिए जमीन दे दी थी। यह सॉफ्टवेयर पार्क आगरा में बन भी गया है लेकिन इसका शुभारंभ अभी तक नहीं हुआ है। 

आगरा में यह पार्क शुरू होने और आईटी सिटी बनने से रोजगार बढ़ेगा। युवाओं का नोएडा, बेंगलुरु व अन्य शहरों में पलायन रुकेगा। साथ ही प्रदेश का राजस्व भी बढ़ेगा क्योंकि वर्ष 1998 में नोएडा स्थित सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क से 600 करोड रुपए का निर्यात किया जा रहा था। तब से अब तक आईटी सेक्टर बहुत तरक्की कर चुका है।

समीक्षा बैठकों में जनप्रतिनिधियों की सहभागिता करें सुनिश्चित।

उन्होंने अनुरोध किया है कि उक्त वर्णित सभी समस्याओं के निराकरण के लिए योजना बनाएं‌। साथ ही शासन द्वारा जनहित में जारी धन के सही उपयोग के निरीक्षण के लिए त्रैमासिक समीक्षा बैठक अवश्य ही आयोजित की जाएं। 

 इस दिशा में आगरा के कमिश्नर और जिलाधिकारी को निर्देशित करें कि आगरा के वायु व जल प्रदूषण से संबंधित समीक्षा बैठकों में जनप्रतिनिधियों की सहभागिता सुनिश्चित की जाए। इससे न केवल पारदर्शिता बनी रहेगी बल्कि ज्वलंत समस्याओं को दूर करने के लिए जनप्रतिनिधि भी अपने अमूल्य सुझाव बैठकों में दे सकेंगे। यही नहीं , जनता की जवाब देही के लिए भी जनप्रतिनिधियों को शहर, देहात और जन सरोकारों से जुड़े हर काम की सही जानकारी भी प्राप्त हो सकेगी।

हर घर जल योजना को धरातल पर शीघ्र उतारें।

माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की 'हर घर जल योजना' पूरे भारत में चल रही है,। इस योजना को फतेहपुर सीकरी में मंजूरी मिलने पर राजा अरिदमन सिंह जी ने हर्ष के साथ प्रधानमंत्री मोदी जी का आभार जताते हुए लिखा है कि यह योजना अगर जल्दी से जल्दी धरातल पर उतरकर सही मायनों में लागू हो गई तो लाखों लोगों को इसका लाभ मिल सकेगा।