आगरा में बनाएं ब्रजभूमि का प्रवेश - द्वार,आध्यत्मिक-धर्मिक पर्यटन को मिलेगी गति:श्रीकृष्ण लीला समिति

 


आध्यात्मिक सर्किट बनाने से धार्मिक पर्यटन को मिलेगी गति

मुख्यमंत्री सहित अनेक मंत्रियों को भेजा पत्र

हिन्दुस्तान वार्ता। ब्यूरो

आगराःश्रीकृष्ण लीला समिति ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि आगरा जनपद को ब्रजभूमि का प्रवेश द्वार बना कर यहां आध्यात्मिक सर्किट बनाया जाए। तभी यहां देशी-विदेश पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और उनका कम से कम एक दिवसीय प्रवास आगरा में हो सकेगा।

समिति की ओर से अध्यक्ष मनीष अग्रवाल,समन्वयक आदर्श नंदन गुप्ता व मार्गदर्शक राजीव अग्रवाल ने मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर यह मांग की है। 

उनका कहना है कि ब्रज के उपवनों में अग्रवन का भी प्रमुख स्थान है,जिसे आगरा के नाम से जाना जाता है। यहां सूरदास की तपोस्थली भी है,वहीं बटेश्वर जैसा पावन तीर्थ है,जिसका उल्लेख पुराणों में है। शौरीपुर जैन समाज का तीर्थ स्थल है और भगवान श्रीकृष्ण का पैतृक स्थल भी है। यह भी बताया जाता है कि शौरीपुर से ही वासुदेव जी की बरात आगरा होकर गई थी। आगरा में कंस गेट भी है,जिससे यह माना जाता है कि कंस का कारागार आगरा में रहा होगा। 

आगरा भगवान शंकर जी की प्राचीन नगरी भी है। बटेश्वर में 101 शिव मंदिरों की अद्भुत श्रंखला है। आगरा के चारों कोनों पर व शहर में दो प्राचीन शिवालय हैं। इसके अलावा यहां हर मोहल्ले में शिव और कृष्ण मंदिर हैं।

श्रंगी ऋषि ने यहां तप किया। सूरदास की साधना स्थली रही। महर्षि परशुराम की तपोस्थली रही। महर्षि अंगिरा के नाम से भी आगरा का नाम हुआ।

पत्र में लिखा है कि आगरा को ब्रज का प्रवेश द्वार माना जाए और बटेश्वर से एक आध्यात्मिक  सर्किट शुरू हो जो मथुरा-वृंदावन तक जाए। आगरा के इन सभी आध्यात्मिक स्थलों पर एसी व्यवस्था हो, जिससे भारत आने वाला हर पर्यटक आगरा भी आए। यहां उसका प्रवास हो। आगरा प्रदेश का एसा शहर है, जो यमुना के किनारे बसा हुआ है। अतः यमुना के घाटों को रमणीक बनाया जाए, वहां आध्यात्मिक शोज या अन्य कार्यक्रम नियमित कराए जाएं, जिससे देशी-विदेशी पर्यटक यहां की संस्कृति, सभ्यता और अध्यात्म से अवगत हो सकें। आध्यात्मिक पर्यटन बढ़ेगा तो यहां के युवाओं को रोजगार मिलेगा और शहर का विकास भी हो सकेगा।