अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में किया गया 'नेताजी सुभाष चंद्र बोस' को याद

 

               



हम विवेकानंद हैं जो धर्म के ध्वज गाड़ देते,हम ही अंग्रेजों के सीने,बोस' बनकर फाड़ देते….

 श्री चित्रगुप्त परिषद् युवा शाखा ने किया पराक्रम दिवस पर कवि सम्मेलन का आयोजन

हिन्दुस्तान वार्ता। ब्यूरो

आगरा। भारत की स्वतंत्रता के महानायक नेताजी सुभाष चंद्र बोस की की जयंती “पराक्रम दिवस” और अयोध्या धाम में श्रीराम लला की प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर श्री चित्रगुप्त परिषद आगरा,युवा शाखा द्वार अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। 

संजय प्लेस स्थित यूथ हॉस्टल में आयोजित कवि सम्मेलन का आरंभ मां शारदे के समक्ष दीप प्रज्जवलित कर और नेताजी के चित्र पर माल्यार्पण कर किया गया। पदम गौतम ने मां विमल पद्मासने हमें ज्ञान की गंगा देदो... सरस्वती वंदना प्रस्तुत की।

कार्यक्रम संयोजक मोहित सक्सेना ने अतिथियों का स्वागत किया। इसके बाद देशभर से आये कवियों ने वीर रस और भक्ति रस से ओतप्रोत काव्य रस धारा प्रस्तुत की। एक ओर वीर रस से पगी कविताओं में नेताजी, स्वामी विवेकानंद जी के प्रति शब्दांजलि थी तो दूसरी ओर अयोध्या धाम में पधारे राम लला की भक्ति की उमंग की झलक थी। 

फरीदाबाद से आए हास्य कवि विनोद पाल ने भक्ति रस पर आधारित कविता वो जो कल तक कहते थे कि हम देखते हैं कैसे बनेगा धाम,वो भी कल मुझे कहते मिले जय श्रीराम, जय श्रीराम…का पाठ जब किया तो समूचा परिसर ही श्रीराम के जयघाेष से गूंज उठा। 

नेताओं पर व्यंग्य करते हुए टूंडला से आए कवि लटूरी लट्ठ ने,आज जब मैं किसी को नेता कहता हूं, मांस की ये जीभ मेरी कट फट जाती है…रचना प्रस्तुत की तो सभागार की भरपूर तालियां बटोर लीं।

कवि सम्मेलन का माहौल फिर बदला जब आगरा की कांची सिंघल ने,रामा रामा सिया पुकारे राम पुकारे सीता को, जंगल जंगल ढूंढ रहे हैं रामचंद्र मनमीता को….पंक्तियों का पाठ किया और सीता विछोह की विरह वेदना से श्रोता भाव विभाेर हो उठे। 

कार्यक्रम संयोजक मोहित सक्सेना ने वीर से पगी पंक्तियां हम विवेकानंद हैं जो धर्म के ध्वज गाड़ देते, हम ही अंग्रेजों के सीने बोस बनकर फाड़ देते…का पाठ किया। 

अरमानों के फूल खिलाया करता है,वो ख़्वाबों में आया-जाया करता है…श्रंगार रस की इन पंक्तियों का पाठ भरत दीप माथुर ने किया। झांसी से पधारे पंकज अभिराज ने लक्ष्य तक ले जाएगी तुमको ये ठोकर देखना,गिर गये तो क्या, खड़े तुम फिर से होकर देखना…पंक्तियों से युवाओं में उत्साह का संचार किया। जिसने फूलों की सेज छोड़,भारत माता की आह सुनी,हम वीर सुभाष की जय बोलें, जिसने कांटों की राह चुनी। वीरता की ये पंक्तियां धाैलपुर के पदम गौतम ने पढ़कर वंदे मातरम की गूंज करवा दी। 

इसी क्रम में डॉ.पीएन अस्थाना,भरत दीप माथुर, पंकज अधिराज, विनोद पाल, राकेश निर्मल आदि ने काव्य रचनाएं प्रस्तुत कीं। कार्यक्रम का संचालन लटूरी लट्ठ ने किया। अध्यक्ष सुभाष सक्सेना,महासचिव अम्बेश श्रीवास्तव, कोषाध्यक्ष सुशील श्रीवास्तव, समीर सक्सेना, प्रेमचंद अस्थान, सोनिका सक्सेना, अभिनव कुलश्रेष्ठ, प्रशांत सक्सेना, संजीव सक्सेना, विशाल, आरती सक्सेना, नितिन जौहरी, सुधीर कुलश्रेष्ठ, सुभाष सारस्वत, उमाशंकर शर्मा, उमाशंकर मिश्र, संजय शर्मा, विशाल रायजादा, मीनू आनंद, राकेश शर्मा, आशुतोष, निधि, शुभि पालीवाल, अभिषेक, प्रवेश आदि उपस्थित रहे

भारत के युवाओं के लिए प्रेरणा स्त्रोत हैं,नेताजी :

कार्यकम संयोजक मोहित सक्सेना ने बताया कि अद्भुत नेतृत्वशक्ति से नेताजी ने “आजाद हिंद फाैज” की स्थापना कर भारत के स्वतंत्रता संघर्ष को दिशा दी थी। उनके जीवन का का एक मात्र लक्ष्य भारत की स्वतंत्रता था, जिसके लिए उन्होंने अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिया। नेताजी का जीवन, उनका देश के प्रति प्रेम और शौर्य देश के प्रत्येक युवा के लिए प्रेरणा स्त्रोत रहेगा। युवा को यही संदेश देने हेतु कवि सम्मेलन से पूर्व फतेहाबाद रोड स्थित नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी की प्रतिमा पर श्री चित्रगुप्त परिषद के पदाधिकारियों ने माल्यार्पण करके उनकी जयंती मनाई व उनके आदर्शो पर चलने का संकल्प लिया। इस अवसर पर सुभाष सक्सेना,अम्बेश श्रीवास्तव, सुशील श्रीवास्तव, नीलेन्द्र श्रीवास्तव, विशाल सक्सेना, मोहित सक्सेना,अरविन्द कुमार सक्सेना, रवि श्रीवास्तव आदि उपस्थित रहे।