आगरा का आइटी सेक्टर जमा सकता है धाक,सरकार से है मदद की दरकार



− निर्यात सम्मेलन में आगरा के आइटी उद्यमी सहित मर्चेंट एक्सपोर्टर भी रखें अपनी बात 

− आइटी उद्यमी बोले, कस्टम और जीएसटी में मिले राहत, आगरा में हो आइटी के विद्यार्थियों के लिए ट्रेनिंग

− मर्चेंट एक्सपोर्टस बोले, अफगानिस्तान में उत्पाद की मांग,  निर्यात बढ़े अगर हो सीधा मार्ग

− 8 और 9 जनवरी को आयोजित होने जा रहा है एक्सपोर्ट सिम्पोजियम 2024( निर्यात सम्मेलन)

हिन्दुस्तान वार्ता। ब्यूरो

आगरा। टीटीजेड के नियमों के कारण आगरा सूचना प्राैद्योगिक उद्योग के लिए सबसे मुफीद है लेकिन तमाम समस्याओं के कारण उद्योग को पंख नहीं लग पा रहे। आइटी क्षेत्र सहित अन्य उद्योगों में निर्यात प्रोत्साहन की समस्याओं पर मंथन हुआ जीवनी मंडी स्थित नेशनल चैंबर आफ इंडस्ट्री एंड कॉमर्स सभागार पर। 

आगामी 8 और 9 जनवरी को हाेने वाले निर्यात सम्मेलन के इंडस्ट्रियल ड्राइव कार्यक्रम के तहत बुधवार को नेशनल चैंबर के सभागार में विभिन्न उद्योगों से जुड़े निर्यातकों की बैठक आयोजित की गई। विभिन्न सेक्टरों के निर्यातकों ने अपनी नीतिगत समस्याओं को एक्सपोर्ट सिम्पोजियम के आयोजकों के समक्ष रखा। 

बैठक में आइटी सेक्टर के एक्सपोर्टर शैलेंद्र बंसल ने कहा कि आगरा में सूचना प्रौद्योगिक क्षेत्र में संगठित रूप से कार्य नहीं हो रहा है। जबकि आगरा टीटीजेड क्षेत्र में आता है। जिसमें गैर प्रदूषणकारी उद्योगों को केंद्र और राज्य सरकार द्वारा विशेष रूप से प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। सूचना प्रौद्योगिक उद्योग सौ फीसदी गैर प्रदूषणकारी है एवं आगरा शहर की तकनीकि शिक्षा के विद्यार्थियों के लिए आइटी सेक्टर एक बड़ा रोजगार मुहैया कराने का क्षेत्र साबित हो सकता है। 

छोटे सॉफ्टवेयर के एक्सपोर्टस के सामने सबसे बड़ी समस्या कस्टम विभाग की होती है। इस विभाग द्वारा आइटी सेक्टर के लिए लाल फीतशाही वाले नियम और प्रक्रिया लागू की जाती है। जिससे उद्यमियों का समय भी खर्च होता है और आर्थिक रूप से भी भार बढ़ता है। 

वहीं दूसरी समस्या जीएसटी इनपुट क्लेम करने के दौरान होती है। मौजूदा प्रक्रिया में जीएसटी रिफंड और आइटीसी क्लेम करने के लिए दो से तीन माह की प्रक्रिया कर लग जाती है। अनेकों दस्तावेज, इनवाइसिस और अनुमतियों की आवश्यकता पड़ती है। जिससे उद्योग काफी प्रभावित होता है। आइटी उद्यमियों ने साफतौर से मांग रखी कि छोटे एक्सपोर्टस जिनका सालाना पांच करोड़ रुपये से कम का टर्नओवर है उनके लिए जीएसटी रिफंड और एक्सपोर्ट परमिशन के लिए औपचारिकताएं कम से कम की जाएं। 

आगरा में युवाओं को सूचना प्रौद्याेगिक क्षेत्र में जोड़ने एवं रोजगार प्रदान करने के लिए सरकार को आगरा में नियमित रूप से प्रशिक्षण कार्यक्रम इंजीनियरिंग कॉलेज में आयोजित करने चाहिए। 

बैठक में मर्चेंट एक्सपोर्टर नारायण बहरानी ने बताया कि आगरा के उत्पादों का अफगानिस्तान में बहुत बड़ा मार्केट है परंतु आगरा के उत्पादों का निर्यात अफगानिस्तान में करने के लिए मौजूदा राजनीतिक हालाताें में ईरान के बंदरगाह के माध्यम से निर्यात करना पड़ता है जिसकी वजह से निर्यात में परेशानी होती है। 

आगरा में इनलैंड कंटेनर डिपो सुचारू रूप से से कार्यरत नहीं है, जिसकी वजह से सामान को निर्यात करने में दस से 15 दिन का समय शहर में कस्टम क्लियरेंस एवं अन्य सरकारी औपचारिकता में ही लग जाता है।

बैठक में निर्यात सम्मेलन के प्रोग्राम कन्वीनर मनीष अग्रवाल ने बताया कि प्रदेश सरकार ने हाल ही में सूचना प्रौद्योगिक क्षेत्र को प्रोत्साहन करने हेतु सूचना प्राैद्योगिक योजना 2022 का अनावरण किया था। आगरा की विशिष्ट परिस्थितियों के कारण आगरा में सूचना प्राैद्योगिक इकाई स्थापित करने में आगरा को विशेष आर्थिक प्रोत्साहन मिलना चाहिए। जिससे बड़ी आइटी कंपनियां यहां अपने उद्यम स्थापित कर सके।  

इस अवसर पर चैंबर अध्यक्ष राजेश गोयल ने बताया कि निर्यात प्रोत्साहन को लेकर चैंबर काफी लंबे समय से प्रयारत है, ऐसे में निर्यात सम्मेलन आगरा के निर्यातकों को संगठित विकास मार्ग दिखाएगा। चैंबर उपाध्यक्ष मनोज बंसल ने कहा कि निर्यातकों की स्थानीय समस्या के साथ नीतिगत समस्याओं पर दो दिवसीय सम्मेलन में मंथन होगा। सरकार को बिंदुवार ज्ञापन दिया जाएगा। 

चैंबर के पूर्व अध्यक्ष शलभ शर्मा ने कहा कि आगरा उत्पादनों के दृष्टिकोण से समृद्ध शहर है,प्रदेश और केंद्र सरकार यदि उद्योगपतियों को प्राोत्साहित करे तो उनके उत्पाद अन्तरर्राष्ट्रीय बाजार में धाक जमा सकते हैं। 

बैठक में कोषाध्यक्ष योगेश जिंदल, कार्यक्रम के टेक्निकल कार्डिनेटर राहुल जैन,सागर तोमर,रिपुदमन सिंह आदि उपस्थित रहे।