मां पीताम्बरा देवी का प्राकट्य उत्सव एवं स्थापना दिवस समारोह 15 को



− वजीरपुरा स्थित प्राचीन सीताराम मंदिर में आयोजित होगा भव्य−दिव्य समारोह

− मां पीतांबरा के अभिषेक से आरंभ होगा उत्सव,फूल बंगला में देंगी मां दर्शन, होगी प्रसादी

− 5001 आहुतियों के साथ संपन्न होगा वैदिक हवन,मां पीतांबर के 108 नामों का होगा स्मरण 

हिन्दुस्तान वार्ता।ब्यूरो

आगरा। सत्ता की देवी,शत्रु विनाशनी, वाक् सिद्धि दायिनी मां पीतांबरा के प्राकट्य उत्सव पर आगरा नगरी में भव्य दिव्य समारोह आयोजित होगा। वजीरपुरा स्थित सीताराम मंदिर में आयोजित होने जा रहे समारोह के आमंत्रण पत्र का विमोचन सोमवार को किया गया।

मंदिर महंत अनंत उपाध्याय ने बताया कि 15 मई,दिन बुधवार को मां पीतांबरा सेवा समिति द्वारा मां पीतांबरा देवी का प्राकट्य उत्सव मंदिर परिसर में मनाया जाएगा। वैशाख कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मां पीतांबरा का प्रकाट्य हुआ था। उन्होंने बताया कि उत्सव का आरंभ प्रातः अभिषेक से होगा। माता के विग्रह का पंचगव्य,पंचामृत, फलामृत, इत्र आदि से अभिषेक होगा। प्रातः दस बजे 5001 आहुतियों के साथ हवन एवं फूल बंगला सजेगा। दोपहर 3 बजे से प्रसादी का वितरण होगा। सायं 7 बजे श्रीजी बैंड द्वारा आरती होगी। रात्रि 9 बजे आतिशबाजी के साथ उत्सव का समापन किया जाएगा। प्राकट्य उत्सव समारोह के आमंत्रण पत्र विमोचन के अवसर पर मनीष अग्रवाल,अरुण उपाध्याय,कृष्ण मिठास, मुकेश शर्मा,अनंत उपाध्याय, अजय उपाध्याय, अनमोल भारद्वाज, मनोज अग्रवाल,रोहित गर्ग आदि उपस्थित रहे।

हर मनोकामना पूर्ण करती हैं मां पीतांबरा :

यूं तो सीताराम मंदिर में मां पीतांबरा के विग्रह की स्थापना 2021 में ही की गयी थी,किंतु इससे 10 वर्ष पूर्ण माता के विग्रह स्थापना के लिए हवन और अनुष्ठान किये जा रहे थे,जोकि आज भी पंडित मुकेश शर्मा और अनंत उपाध्याय द्वारा किये जा रहे हैं। महंत अनंत उपाध्याय ने बताया कि मंदिर 400 वर्ष प्राचीन है। सीताराम और दक्षिणमुखी हनुमान जी के विग्रह यहां आरंभ से ही पधारे हुए हैं। मंदिर में मां पीतांबरा का विग्रह पधारने के कुछ समय बाद ही परिसर में खड़े नीम के पेड़ में स्वतः ही भैरव नाथ की मुखाकृति उभर आई। मां पीतांबरा को सत्ता की देवी कहा जाता है। इसलिए आये दिन यहां राजनीतिक लोग अनुष्ठान करवाते हैं। गुप्त नवरात्र में मां की विशेष पूजा सेवा होती है। मंदिर में मां के विग्रह स्थापना में श्याम मुरारी का विशेष सहयोग रहा। 

मंदिर में रहकर पुरी के पूर्व शंकराचार्य निरंजन देव तीर्थ महाराज ने शिक्षा ग्रहण की थी। वहीं स्वामी करपात्री जी महाराज और  पुरी के वर्तमान शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती भी यहां प्रवास कर चुके हैं।