हिन्दुस्तान वार्ता।ब्यूरो
मुम्बई : विश्व हिंदी परिषद के राष्ट्रीय महासचिव डॉ. विपिन कुमार ने 19 दिसंबर को साठये महाविद्यालय,मुम्बई और विश्व हिंदी परिषद,नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित अंतरराष्ट्रीय परिचर्चा - "राष्ट्रीय शिक्षा नीति और हिंदी एवं भारतीय ज्ञान परंपरा" पर एक प्रभावशाली विचार-विमर्श में भाग लिया।
इसअवसर पर कैलिफ़ॉर्निया,अमेरिका से पधारी विशेष अतिथि डॉ.अलका मनीषा ने भी अपने विचार प्रस्तुत किए।
यह कार्यक्रम साठये महाविद्यालय, विलेपार्ले (पूर्व), मुम्बई के प्राचार्य डॉ. माधव राजवाड़े की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ। परिचर्चा के संयोजक डॉ.प्रदीप कुमार सिंह,अध्यक्ष हिंदी विभाग,साठये महाविद्यालय,मुम्बई के कुशल नेतृत्व में शिक्षा नीति, हिंदी भाषा और भारतीय ज्ञान परंपरा के समक्ष आने वाली चुनौतियों और संभावनाओं पर विस्तृत चर्चा की गई।
डॉ. विपिन कुमार ने अपने उद्घाटन भाषण में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के संदर्भ में हिंदी भाषा की भूमिका को स्पष्ट किया और भारतीय ज्ञान परंपरा के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, "हिंदी केवल एक भाषा नहीं,बल्कि यह भारतीय संस्कृति, सभ्यता और ज्ञान का संवाहक है। हमें इसे शिक्षा नीति में और अधिक मजबूती से शामिल करना होगा।"
इस आयोजन में शिक्षाविदों, छात्रों और हिंदी प्रेमियों की एक बड़ी संख्या ने हिस्सा लिया,जिन्होंने विभिन्न सत्रों में अपनी राय और सुझाव दिए।
समापन सत्र में डॉ.माधव राजवाड़े ने कार्यक्रम की सार्थकता और महत्त्व पर प्रकाश डाला और आने वाली पीढ़ियों के लिए इस तरह के संवादों को महत्वपूर्ण बताया।
यह आयोजन शिक्षा,संस्कृति और भाषा की दृष्टि से एक ऐतिहासिक मील का पत्थर साबित हुआ और भविष्य में इस प्रकार के संवादों को बढ़ावा देने की आवश्यकता को रेखांकित किया।