हिन्दुस्तान वार्ता। धर्मेन्द्र कुमार चौधरी
महाकुंभ प्रयागराज : फ़िल्म अभिनेत्री ममता कुलकर्णी को किन्नर अखाड़े के महामंडलेश्वर पद से हटाया गया है। ममता कुलकर्णी के साथ लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी से भी आचार्य महामंडलेश्वर का पद छीन लिया गया है। दोनों को अखाड़े से निष्कासित कर दिया गया है। दरअसल लक्ष्मी त्रिपाठी ने ही ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर बनाया था। किन्नर अखाड़े के संस्थापक ऋषि अजय दास ने ये बड़ा निर्णय लिया है। बताया जा रहा है कि सिर न मुंडाने पर ये ऐक्शन लिया गया है। ऋषि अजय दास ने जानकारी दी कि बहुत ही जल्द नए आचार्य महामंडलेश्वर का ऐलान किया जाएगा।
ऋषि अजय दास के मुताबिक आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी और कथित ने असंवैधानिक ही नहीं अपितु सनातन धर्म और देश हित को छोड़कर ममता कुलकर्णी जो कि फिल्मी ग्लैमर से जुड़ी हुई हैं,उसे बिना किसी धार्मिक और अखाड़े की परंपरा को मानते हुए वैराग्य की दिशा के बजाय सीधे महामंडलेश्वर की उपाधि और पट्टा अभिषेक किया गया। उन्होंने कहा कि जिस वजह से मुझे आज बेमन से मजबूर होकर राष्ट्र- समाज एवं सनातन हित में इन्हें पद से मुक्त करना पड़ रहा है।
ज्ञात हो कि ममता कुलकर्णी ने बीते 24 जनवरी को प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में आस्था की डुबकी लगाई और गृहस्थ जीवन से संन्यास लेने की घोषणा की थी। किन्नर अखाड़ा की महामंडलेश्वर कौशल्या नंद गिरि उर्फ टीना मां ने कहा कि ममता कुलकर्णी ने गंगा में डुबकी लगाई और गंगा के तट पर अपना पिंडदान किया। उनके अनुसार शाम करीब आठ बजे किन्नर अखाड़ा में वैदिक मंत्रोच्चार के बीच महामंडलेश्वर के रूप में उनका पट्टाभिषेक हुआ। उन्होंने आगे जानकारी दी कि इस कार्यक्रम में जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर स्वामी महेंद्रानंद गिरि, किन्नर अखाड़ा की आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी और दूसरे किन्नर महामंडलेश्वरों की उपस्थिति में सबसे पहले पांच महामंडलेश्वरों- गिरनारी नंद गिरि, राजेश्वरी नंद गिरि, विद्या नंद गिरि, कृष्णानंद गिरि और नीलम नंद गिरि का पट्टाभिषेक किया गया।
पट्टाभिषेक के बाद लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने ऐलान की कि ममता कुलकर्णी को किन्नर अखाड़ा की महिला शाखा में महामंडलेश्वर पद पर पट्टाभिषेक किया गया और उन्हें नया नाम "यमाई ममता नंद गिरि" दिया गया। पट्टाभिषेक के बाद ममता कुलकर्णी ने कहा कि उन्होंने कुपोली आश्रम में जूना अखाड़ा के चैतन्य गगन गिरि महाराज से 23 साल पूर्व दीक्षा ली थी और वह 2 साल से लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी के संपर्क में हैं। उन्होंने आगे बताया कि लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने मेरी 23 साल की तपस्या को समझा और स्वामी महेंद्रानंद गिरि महाराज ने मेरी परीक्षा ली जिसमें मैं सफल हुई। मुझे नहीं पता था कि पिछले तीन दिनों से मेरी परीक्षा ली जा रही है। मुझे कल ही महामंडलेश्वर बनाने का न्यौता मिला।
किन्नर अखाड़े से निष्कासन पर,मुखर हुईं लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी,ममता कुलकर्णी पर दिया सीधा जवाब
प्रयागराज : महामंडलेश्वर लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी ने अजय दास के दावे को खारिज करते हुए कहा कि वे कौन होते हैं, मुझे अखाड़े से निकालने वाले। 2017 में अजय दास को किन्नर अखाड़े से निकाल दिया गया है।
किन्नर अखाड़े के संस्थापक ऋषि अजय दास के आरोपों पर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने जवाब दिया है। वहीं बॉलीवुड एक्ट्रेस ममता कुलकर्णी जिन्हें महामंडलेश्वर बनाने के कारण विवाद शुरू हुआ था,उन पर भी उन्होंने जवाब दिया है।
आचार्य महामंडलेश्वर डॉ.लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने बताया कि मेरा पद किसी एक व्यक्ति की नियुक्ति या सहमति पर आधारित नहीं था। 2015-16 उज्जैन कुंभ में 22 प्रदेशों से किन्नरों को बुलाकर अखाड़ा बनाया था। मुझे आचार्य महामंडलेश्वर चुना गया। उस वक्त ऋषि अजय दास हमारे साथ थे। 2017 में वे शादी कर उज्जैन आश्रम बेचकर,पैसा लेकर मुंबई चले गए। उनके कर्मों की वजह से उन्हें बर्खास्त कर दिया था। अगर वह संस्थापक रहते तो किन्नर अखाड़े में रहते। कंप्यूटर बाबा के आश्रम में क्या कर रहे हैं।अब ऋषि अजय दास से हमारे वकील बात करेंगे। उन पर कानूनी कार्रवाई भी करेंगे।
चरित्र को कलंकित करने की कोशिश :
लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने ममता कुलकर्णी से जुड़े आरोपों के संदर्भ में कहा कि मैं स्पष्ट रूप से इनकार करती हूँ कि मैंने किसी भी धार्मिक उपाधि या सम्मान को बिना उचित परंपराओं का पालन किए प्रदान नहीं किया। किन्नर अखाड़े की कोई भी वैध परंपरा बिना उचित प्रक्रिया के किसी को राष्ट्र-विरोधी ठहराने या केवल पृष्ठभूमि के आधार पर बाहर करने का समर्थन नहीं करती। सनातन धर्म करुणा, परिष्कार और आध्यात्मिक एकीकरण को महत्व देता है। यह कहना कि मैंने देशहित के विपरीत काम किया या किन्नर अखाड़े के सिद्धांतों से भटककर अनुचित व्यक्तियों को उपाधियाँ दीं, नितांत भ्रामक है और मेरे चरित्र को कलंकित करने का प्रयास मात्र है।
जानें लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी बारे में :
किन्नर अखाड़ा की आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी उनका जन्म 13 दिसंबर 1980 को महाराष्ट्र के ठाणे में हुआ था। उन्होंने मुंबई के मीठीबाई कॉलेज से स्नातक और भरतनाट्यम में स्नातकोत्तर किया। वर्ष 2002 में उन्होंने ट्रांसजेंडर अधिकारों के लिए एक गैर-लाभकारी संगठन शुरू किया। लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी की कोशिशों के चलते सुप्रीम कोर्ट ने ट्रांसजेंडर को 'तीसरे लिंग' के रूप में मान्यता दी। वर्ष 2015 में उन्हें किन्नर अखाड़े की पहली महामंडलेश्वर बनाया गया था।