हिन्दुस्तान वार्ता।ब्यूरो
आगरा : सूरसदन में दैनिक जागरण,रंगलोक नाट्य संस्थान और एडीए के सहयोग से आयोजित नाट्य उत्सव के पहले दिन नृत्य नाटिका मीरा का मंचन हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डा.बबीता सिंह चौहान,भाजपा के प्रदेश महामंत्री रामप्रताप सिंह चौहान, ओसवाल बुक्स के नरेश जैन, कनक सानवी के सतेंद्र बंसल, नाटक के निर्देशक डिंपी मिश्रा, दैनिक जागरण आगरा के महाप्रबंधक अखिल भटनागर, आगरा-अलीगढ़ के संपादकीय प्रभारी अवधेश माहेश्वरी ने दीप प्रज्वलित कर किया। सूत्रधार की भूमिका में सारांश भट्ट ने सुनो सुनाऊं आज तुम्हें एक परम कहानी... से नाट्य प्रस्तुति की शुरुआत कराई। मीरा के जन्म से शुरू हुई नृत्य नाटिका आगे बढ़ती है,जिसमें दिखाया गया कि बारात आने पर मीरा अपनी मां से पूछती हैं कि मेरा वर कौन है? जोगियों के आने पर गीत मने चाकर राखो जी श्याम... गूंजता है। मीरा जोगियों से श्रीकृष्ण की मूर्ति और इकतारा ले लेती हैं। जोगियों के जाने पर मीरा सुबक-सुबक कर रोने लगती हैं। माई री मैं तो सपने में परणी गोपाल... सोरठे में मीरा के स्वप्न में श्रीकृष्ण को वर चुनने की कहानी दिखाई गई।
मीरा! भक्ति आंदोलन की एक कवयित्री। श्रीकृष्ण भक्ति उनके जीवन की ऐसी प्रेरणा बनी,जिसने मध्ययुगीन महिलाओं के आध्यात्मिक जीवन जीने की प्रथागत वर्जनाओं को दूर किया। मीराबाई ने अपने प्रिय श्रीकृष्ण को पाने की लगन में महल,प्रियजनों समेत सभी सांसारिक सुखों का त्याग कर दिया और अंत में श्रीकृष्ण की मूरत में लीन हो गईं। रह गई तो उनकी चूनर और इकतारा। 100 मिनट की नाट्य प्रस्तुति में 'मीरा' जीवंत हुईं तो दर्शक सुध-बुध भूल गए। जाके सिर है मोरपखा मेरो पति सोई, तात मात भ्रात बंधु आपनो न कोई.... मेरो तो गिरधर गोपाल दूसरा न कोई.... मीरा के प्रभु गहन गंभीर हृदय राखौ धीर..., पायो जी मैं तो राम रतन धन पायो... चलो रे मन गंगा-जमुना तीर... की गूंज के बीच दर्शक एकटक कलाकारों की भावप्रवण प्रस्तुति देखते रहे।
भोजराज से विवाह होने के बाद मीरा मेवाड़ आ जाती हैं। यहां वह कृष्ण भक्ति में लीन रहने लगती हैं। उनके स्वजन इसका विरोध करते हैं, लेकिन मीरा की भक्ति दिन-प्रतिदिन बढ़ती जाती है। भोजराज अपने छोटे भाई विक्रम को राजगद्दी सौंप देते हैं। महाराणा विक्रम मीरा को मारने के लिए विष और सांप भेजता है। इसके बाद मीरा वृंदावन आ जाती हैं। महाराणा विक्रम व उदा,मीरा को मनाने के लिए आते हैं। महाराणा विक्रम पश्चाताप करता है। मीरा वापस लौटने से मना कर देती हैं और श्रीकृष्ण की मूर्ति में लीन हो जाती हैं। इसके साथ ही नृत्य नाटिका विराम लेती है। दर्शक स्टैंडिंग ओबेशन देकर कलाकारों का उत्साह बढ़ाते हैं। नृत्य नाटिका को संगीतबद्ध गजानन वर्मा ने किया। नृत्य निर्देशन हर्षिता मिश्रा, परिकल्पना सारांश भट्ट,प्रकाश परिकल्पना दिल्ली से आए राहुल चौहान की रही। निर्देशन डिंपी मिश्रा का रहा। वरिष्ठ विज्ञापन प्रबंधक रमेश यादव ने प्रतितोष आयोग के अध्यक्ष सर्वेश कुमार और अपर पुलिस आयुक्त संजीव त्यागी को स्मृति चिन्ह प्रदान किया। शहर के गण्यमान्य लोग उपस्थित रहे।
रिपोर्ट -असलम सलीमी।