मुख्यमंत्री से अनुरोध,'ताज मेट्रो स्टेशन’ का नाम नजीर के नाम पर रखा जाए



नजीर का प्रोग्राम लोगों को जोड़ने का एक प्रयास है

हिन्दुस्तान वार्ता। ब्यूरो

आगरा : जनकवि नजीर सही मायनों में एक आम लोगों के शायर थे,इसी अवधारणा को केन्द्रित ‘कारवां ए नजीर का आयोजन’ 19 सितम्बर को फतेहाबाद रोड होटल कांप्लेक्स स्थित ‘शीराज हैंग आऊट’ में सायं 4 बजे  (4PM) आयोजित किया गया। उनकी रचना धर्मिता में आगरा का जनजीवन और बृज की संस्कृति परिलक्षित रही,उनके इसी समर्पण भाव को दृष्टिगत आगरा में होने वाले आयोजनों में ‘कारवां ए नजीर’ कार्यक्रम भी है। 

सांस्कृतिक क्षेत्र में विशिष्ठ पहचान रखने वाला प्रख्यात संगठन'इप्टा' (IPTA-Indian People's Theatre Association ) आयोजन में सहयोगी था। नजीर को एक आम आदमी का शायर मानता है और कई कार्यक्रम आयोजित करते रहे हैं । इप्टा की टीम के द्वारा श्री दिलीप रघुवंशी के नेतृत्व नुक्कड़ गायन के रूप में नजीर की नज्मों की गीत शैली में प्रस्तुतियां दी गयीं । 

भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा), आगरा ने दिलीप रघुवंशी के निर्देशन में नज़ीर अकबराबादी की दस रचनाओं को प्रस्तुत किया। आदमी नामा एवं कन्हैया का बालपन को ,समूह गीत के रूप में पेश किया। संगीत निर्देशक परमानंद शर्मा ने दोहे, लावणी लोक शैली में गाया जो मैं ऐसा जानती प्रीत किए दुख होय/नगर ढिंढोरा फेरती पीत न कीजो कोय। भगवान स्वरूप ने हठयोग का गीत-भूल ठिठक हठ संग लगा कर ले हठ का बेराग,अरे मन ध्यान लगा ले तथा ख्याल परंपरा में सब ठाट पड़ा रह जावेगा,जब लाद चलेगा बंजारा का प्रस्तुतीकरण किया। असलम खान ने रीछ का बच्चा व सूर्यदेव ने कोरा बर्तन गाया। ककड़ी और बुढ़ापा नज़्म पर जय कुमार ने भवाभिनय पेश किया। संगीत कार्यक्रम का समापन होली गायन से दिलीप रघुवंशी ने किया मियां तू हमसे न रख कुछ गुबार होली में/कि रूठे मिलते हैं आपस में यार होली में। ढोलक पर संगत राजू ने की।

कार्यक्रम के संबंध में अमृत विद्या के सेक्रेटरी अनिल शर्मा ने बताया कि यह लोगों को जोड़ने का एक प्रयास है, कोशिश है कि बृज संस्कृति के प्रति जनमानस में अभिवृद्धि हो।

एसिड अटैक पीडितों को समर्पित ‘शीरोज हैंग आऊट’ के संचालक ‘छांव फऊंडेशन’  के श्री आशीष शुक्ला ने कहा कि ताजगंज क्षेत्र की अंतर्राष्ट्रीय ख्याति की शख्सियत मियां नजीर को समर्पित आयोजन में सहभागी बनना वह नागरिक जीवन में सौहार्द्रता को बल देने वाला मानते हैं।

ताज मेट्रो स्टेशन’ का नाम नजीर के नाम पर रखा जाए :    

 इस अवसर पर  नागरिकों ने एक अनुरोध पत्र भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी को प्रेषित किया।याचिका के रूप में लिखे गये इस पत्र में  उनसे अनुरोध किया गया है कि यूपी  मेट्रो के, ‘ताज मेट्रो स्टेशन’ का नाम नजीर के नाम पर रखा जाए। उनसे अनुरोध किया गया है कि यूपी मेट्रो को निर्देश दें कि प्रमुख स्थानों पर मेट्रो स्टेशन की दीवारों पर नजीर के गीत और भजन लगाएं ताकि युवाओं और आगंतुकों को आगरा की सांस्कृतिक विरासत से परिचित कराया जा सके। 

मथुरा का रसखान पार्क प्रेरक

आगरा के सांस्कृतिक क्षेत्र से जुड़े प्रबुद्धजन मानते हैं कि सीएम ने गोकुल मथुरा में "रसखान पार्क" विकसित करके गोकुल में बड़ी पहल की है। परिसर में एक विशाल एम्फीथिएटर है और एक बड़े उद्यान परिसर में रसखान और उसकी बहन की एक अच्छी तरह से विकसित मजार है। अपने आप में अनुकरणीय इस मानक कार्य के अनुरूप आगरा में भी अनुरोध को स्वीकार कर लिया जाएगा और सांस्कृतिक अवस्थापना सुविधाएं बढ़ाई जायेंगी।

सदभावना को समर्पित एक परंपरा’

उल्लेखनीय है कि कार्यक्रम का आयोजन अमृता विद्या एजुकेशन फॉर अमृता,फाउंडेशन द्वारा किया जाता है, कुंदन सोप का इसमें सहयोग रहता है।नजीर को आगरा बेहद पसंद था,ताजगंज की मलको गली में वह रहते थे,यहीं गली के चौबारे में ही खाके सुपुर्द हुए थे।ताजगंज क्षेत्र में ‘कारवां ए नजीर ‘ उनकी स्मृति में होने वाला एक मात्र कार्यक्रम है।वैसे संगठन की ओर से ही नजीर को समर्पित बसंत पर एक अन्य कार्यक्रम भी आयोजित किया जाता है,जिसकी शुरुआत प्रख्यात साहित्यकार स्व. हनुमंत सिंह रघुवंशी बसंत के पर्व पर मल्को गली में उनकी मजार पर चादरपोशी कर की थी।शहर के बिगड़े माहौल को सद्भाव की पटरी पर लाने के लिये समर्पित यह आयोजन डा भीमराव अम्बेडकर विवि के प्रोफेसर स्व.डा जितेन्द्र रघुवंशी के जीवित रहने तक ‘नजीर बसंत मेला’ के रूप में अनवरत चला। मियां नजीर खानदानी भी इस आयोजन में सक्रिय शिरकत करते थे ,इन्हीं में शहर का जने पहचाने स्व.मिर्जा शमीम बेग एड और तैमूरी परिवार  मुख्य थे।जो कि जीवन पर्यंत इसमें सहभागी रहे।कई दशक तक यह आयोजन अनवरत चला। नगर निगम आगरा की ओर से इस अवसर पर आयोजन के अनुरूप व्यवस्थायें की जाती रहीं,लेकिन समय के साथ सब कुछ बदल गया।

बसंत पर्व पर नजीर की स्मृति में एक आयोजन शीरोज हैंग आउट,हार्मैनी ग्रुप अमृता विद्या - एजुकेशन फार इम्मोर्टालिटी सोसायटी के संयुक्त तत्वावधान में होता है।

इस अवसर पर असलम सलीमी , विजय शर्मा, डॉ मधु भारद्वाज , कांति नेगी, . विधु दत्ता , मजाज़ उद्दीन, आरिफ तैमूरी, सिद्देश, तपन, अजय, ब्रिग विनोद दत्ता, विशाल रिआज़, जॉय कुमार, सरूप योगेन्द्र,शेरोएस के साथी आदि भी शामिल थे।

रिपोर्ट - असलम सलीमी