हिन्दुस्तान वार्ता। ब्यूरो
लखनऊ: बच्चे और युवा किसी भी राष्ट्र का भविष्य होते हैं। यदि वे संवेदनशील हों तो वे सबसे अच्छे परिवर्तन एजेंट हो सकते हैं और अपने परिवार या समुदाय को एक सही दिशा दिखा सकते हैं। हालांकि आजकल मीडिया में जिस तरह के संदेशों की भरमार है उसकी वजह से बहुत से किशोर आज हानिकारक व्यसनों, अकेलेपन, असुरक्षा, हिंसा और आक्रामकता के चपेट में हैं। इसलिए युवाओं में एक सही चेतना और ऊर्जा भरने की जरुरत है। इसके लिए स्माइल इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल अपने नौवें अध्याय में विश्व भर से सार्थक सिनेमा लेकर आया है। जिसका मकसद युवाओं को प्रेरित कर समाज में सकारात्मक बदलाव लाना है। इस अध्याय में फिल्मों के अलावा विश्वभर से बहुत से फिल्म निर्माता, कलाकार और प्रभावशाली लोग अपने दृष्टिकोण युवाओं के सामने रखकर उनसे समाज में बदलाव पर चर्चा करेंगे।
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सार्थक सिनेमा महोत्सव SIFFCY करेगा विश्वभर की 150 से अधिक फिल्मों का मंचन।
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सप्ताह भर चलने वाला सिफ्सी (फिल्म फेस्टिवल) इस वर्ष 17 अप्रैल से अपने नौवें संस्करण में प्रवेश कर रहा है। इसमें 50 से अधिक देशों की 150 से अधिक फिल्मों का मंचन किया जाएगा। एक हफ्ता चलने वाले इस फेस्टिवल को तीन दिन सिरीफोर्ट में मनाया जाएगा जहां 30,000 से अधिक युवा भाग लेंगे वहीं बाकी दिनों में देशभर के विभिन्न स्कूलों में सार्थक फिल्मों को 100,000 से अधिक बच्चों को दिखाया जाएगा। इस फिल्में जलवायु परिवर्तन, सड़क सुरक्षा और बाल सिनेमा जैसे विषयों पर बनाई गयीं हैं और तमाम पुरुस्कारों से नवाज़ी गयी हैं।
हमारा मानना है कि सार्थक सिनेमा वास्तविकता को चित्रित करते हुए समाज में सही बदलाव लाने का एक शक्तिशाली माध्यम है। अच्छी फिल्मों मे युवाओं में चर्चा और चिंतन को प्रोत्साहित करने की शक्ति होती है। यह प्रक्रिया उन्हें व्यक्तिगत, भावनात्मक, सामाजिक और नैतिक कर्तव्यों के प्रति उन्हें बेहतर और सक्षम बनाती है। इस फिल्म फेस्टिवल के जरिए हमारा उद्देश्य उनका ध्यान आकर्षित करना और उन्हें समाज के प्रति चिंतनशील बनाना है। इन फिल्मों का उद्देश्य समाज पर अच्छा प्रभाव पैदा करना है, SIFFCY के अध्यक्ष और कार्यकारी ट्रस्टी और स्माइल फाउंडेशन के सह-संस्थापक श्री शांतनु मिश्रा का कहना है।
इस साल यह फिल्म महोत्सव प्रतिष्ठित यूरोपीय बाल फिल्म संघ पुरस्कार एवं प्रतिष्ठित CIFEJ पुरस्कार की भी मेजबानी करेगा। इन पुरस्कारों की मेजबानी करने वाला स्माइल फाउंडेशन एकमात्र भारतीय संगठन है। इसके अलावा, SIFFCY बहुचर्चित फिल्म क्रिटिक्स सर्कल ऑफ इंडिया अवार्ड की भी मेजबानी भी कर रहा है। नई दिल्ली स्थित चेक गणराज्य का दूतावास के सहयोग से इस महोत्सव में चेक एनिमेशन फिल्म का भी प्रदर्शन किया जाएगा। इसके अलावा, ज़्लिन स्थित टॉमस बाटा विश्वविद्यालय के युवा फिल्म निर्माताओं द्वारा बनाई गई 10 चुनिंदा फिल्में भी इस फिल्म फेस्टिवल के दौरान दिखाई जाएंगी। जापान के प्रख्यात फिल्म निर्माता निजितारो एक एनीमेशन कार्यशाला के जरिए बच्चों को हुनर देंगे।
इस महोत्सव में यूरोपीय संघ के प्रतिनिधिमंडल के साथ यूरोपीय सिनेमा की सबसे अच्छी फिल्मों को भी दिखा रहा है। साथ ही Schlingel अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव, जर्मनी के साथ सहयोग की वजह से जर्मनी की 10 चुनी हुई फिल्मों को भी युवा भारतीय देख सकेंगे। सिफ्सी के इस संस्करण में दर्जनों कार्यशालाएं, पैनल चर्चा और फिल्म विशेषज्ञों द्वारा युवाओं को गंभीर रूप से सोचने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। ताकि वे अपने आपको रचनात्मक रूप से व्यक्त कर सकें। इस मंच के द्वारा हम युवा, महत्वाकांक्षी और स्वतंत्र फिल्म निर्माताओं को भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर प्रदान करना चाहते हैं, सिफ्फी महोत्सव के निदेशक जितेंद्र मिश्रा कहते हैं।
स्माइल फाउंडेशन का मानना है कि हर फिल्म निर्माता या कहानीकार के काम करने का एक अनूठा तरीका होता है। फिल्मों के जरिए युवाओं में चिंतन का भाव लाना भी फिल्मों की एक महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारी है। अच्छी फिल्में युवाओं में अमूल्य मानवीय भावनाएँ जैसे दूसरों की सहायता करना, सहानुभूति और जिम्मेदारी की भावना जगाती हैं। स्माइल फाउंडेशन ने कई लघु फिल्मों, वृत्तचित्रों, टीवी श्रृंखलाओं पर सफलतापूर्वक काम किया है। फीचर फिल्म 'आई एम कलाम' ने राष्ट्रीय पुरस्कार के अलावा, 30 से अधिक पुरस्कार जीतकर दुनिया भर में अपनी धूम मचाई है।
हंसल मेहता, झानू बरुआ, संतोष सिवन, नागेश कुकुनूर, रेसुल पुकुट्टी, तिग्मांशु धूलिया, एवं उत्पल बोरपुजारी सहित प्रमुख निर्देशक, अभिनेता, लेखक, सिनेमैटोग्राफर और प्रोडक्शन के दिग्गज SIFFCY के साथ खड़े होकर इस मंच को सहयोग देते आ रहे हैं।