तो ऐसे हुई गुरु पूर्णिमा की शुरुआत:शाश्वत - तिवारी।



हिन्दुस्तान वार्ता। 

वैसे तो हिंदू पंचांग के मुताबिक हर साल आषाढ़ माह की पूर्णिमा तिथि को गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है। इस साल गुरु पूर्णिमा का पर्व 3 जुलाई को मनाया जाएगा। सनातन धर्म को मानने वाले लोग गुरु पूर्णिमा के दिन अपने गुरु का आशीर्वाद लेते हैं और गुरु भी उन्हें दीर्घायु के लिए आशीर्वाद देते हैं। 

 धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक आषाढ़ माह के दिन गुरु पूर्णिमा पर्व के रूप में मनाने की शुरुआत हजारों वर्ष पूर्व महर्षि वेदव्यास ने की थी। सनातन धर्म में महर्षि व्यास को भगवान का रूप माना जाता है। बाल्यावस्था से ही महर्षि वेदव्यास को अध्यात्म में गहरी रुचि थी।   कहा जाता है आषाढ़ माह के पूर्णिमा तिथि को ही महर्षि वेदव्यास ने अपने शिष्य और ऋषि मुनियों को श्रीमद्भागवत पुराण का ज्ञान दिया था। तभी से महर्षि व्यास के शिष्यों ने इस दिन को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाने की परंपरा शुरू की जो आज भी यह परंपरा निभाई जाती है।गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु की पूजा का विधान है। 

 इसके अलावा अगर आप गुरु के मंत्र का जप करते हैं। तो जीवन में आई तमाम परेशानियां तमाम कठिनाइयां दूर होती हैं। शास्त्रों में भी बताया गया है कि किसी भी देवी देवताओं के मंत्र का जप करने से तमाम कष्टों से निवारण मिलता है।

जानिए मंत्र:

गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वर:।

गुरुर्साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नम:।।

ॐ गुरुभ्यों नम:।

ॐ गुं गुरुभ्यो नम:।

ॐ परमतत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नम:।

ॐ वेदाहि गुरु देवाय विद्महे परम गुरुवे धीमहि तन्नौ: गुरु: प्रचोदयात्।

रिपोर्ट:शाश्वत तिवारी