भारत में निर्मित होने वाले काग़ज में 75 प्रतिशत भाग,री-साइकिल का।
हिन्दुस्तान वार्ता। ब्यूरो
आगरा। प्लास्टिक का एक मात्र विकल्प कागज है। कागज को प्रोत्साहित करने के लिए 27 जुलाई से देश की कई ई-कॉमर्स कंपनियां प्लास्टिक से परहेज कर कागज में पैक कर माल भी बेच रही हैं।
यह कहना है ऑल इंडिया पेपर ट्रेडर्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष राजीव अग्रवाल का।अग्रवाल जी,नेशनल पेपर डे के अवसर पर प्रताप नगर स्थित बुर्जी वाला मन्दिर पार्क में आयोजित गोष्ठी में विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कागज का इस्तेमाल व्यक्ति के जन्म प्रमाण पत्र से लेकर मृत्यु प्रमाण पत्र तक में अहमियत रखता है।
फेडरेशन पेपर ट्रेडर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के आह्वान पर आगरा कागज व्यापार मंडल की ओर से आयोजित गोष्ठी में मंडल के अध्यक्ष प्रमेंद्र शर्मा ने कहा कि पेपर डे का उद्देश्य कागज के प्रति समाज में फैली भ्रांतियों और मल्टीनेशनल कंपनियों द्वारा कागज के बनाने में वनों का दोहन किया जाता है जैसे दुष्प्रचार को दूर करना है।जबकि वास्तविक स्थिति ये है कि कागज टिकाऊ भी है और नष्ट होने योग्य भी है।
कोषाध्यक्ष मोहित गर्ग ने कहा कि भारत में उत्पादित काग़ज का 75 प्रतिशत भाग री-साइकिल द्वारा निर्मित है और 15 प्रतिशत भाग कृषि अपविष्ट के द्वारा निर्मित होता है। महज 10 प्रतिशत ही ऐसा है जो बांस या लकड़ी के द्वारा बनता है। कागज मिल जितने पेड़ काटती हैं उससे कही दस गुना वृक्षारोपण कर प्रकृति को संरक्षित भी करती है।
गोष्ठी का संचालन मनोज जैन ने किया। महामंत्री अमित बंसल ने सभी का धन्यवाद दिया।
गोष्ठी से पहले पर्यावरण के प्रति जागरूकता करते हुए सभी सदस्यों ने पौधारोपण किया।
कब से शुरू हुआ पेपर डे।
कार्यक्रम संयोजक अभिषेक अग्रवाल ने गोष्ठी में बताया कि भारतीय संविधान जिस काग़ज पर लिखा गया है वह काग़ज पूना की हैंड मेड पेपर इंडस्ट्री में बना था और इस फैक्टरी का उद्घाटन एक अगस्त को ही हुआ था। यही कारण है कि संपूर्ण भारत वर्ष में 1 अगस्त का दिन"पेपर डे" के रूप में मनाया जाता है।
ये रहे मौजूद।
इस दौरान मंडल के निवर्तमान अध्यक्ष प्रदीप जैन, सतीश अग्रवाल, मनोज अग्रवाल,राकेश अग्रवाल, अभिषेक अग्रवाल, विजय बंसल,सनी बंसल आदि मौजूद रहे।