अब दुनियां में आगरा के लेदर फुटवियर का बजेगा डंका,मिला जीआई टैग।



आगरा के लेदर फुटवियर को मिला बौद्धिक सम्पदा अधिकार। 

तीन साल के अथक प्रयास लाए रंग, एफमेक के खाते में आई एक बड़ी सफलता।   

हिन्दुस्तान वार्ता। ब्यूरो

आगरा। भौगोलिक संकेत (जीआई) के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश ने एक बार फिर बड़ी उपलब्धि हासिल की है। आगरा के लेदर फुटवियर और जलेसर मेटल क्राफ्ट सहित प्रदेश के दो शिल्प बौद्धिक सम्पदा अधिकार में शामिल हुए हैं। इसके शामिल होने के बाद अब प्रदेश के कुल 54 उत्पाद जीआई में दर्ज हो गए। 

जीआई विशेषज्ञ पद्म श्री डॉ.रजनीकान्त ने बताया कि नाबार्ड उ.प्र. एवं राज्य सरकार के सहयोग से प्रदेश के 2 हैण्डीक्राफ्ट जिसमें आगरा लेदर फुटवियर (जीआई पंजीकरण संख्या-721), तथा जलेसर मेटल क्राफ्ट (जीआई पंजीकरण संख्या-722), उत्पादों को जीआई टैग का दर्जा प्राप्त हुआ। 

जानकारी मिलते ही शुरू हुआ बधाई देने का सिलसिला।

जैसे ही आगरा के लेदर फुटवियर को बौद्धिक सम्पदा अधिकार में शामिल करने की सूचना आगरा के उद्यमियों को हुई तो इस मुहिम में शामिल एफमेक अध्यक्ष पूरन डाबर को इस उपलब्धि के लिए बधाई देने सिलसिला शुरू हो गया। 

3 साल की क़ानूनी प्रक्रिया पर बारीकी से कर रहे थे मेहनत।

इस कामयाबी से हर्षित पूरन डाबर ने बताया कि एफमेक टीम इसके लिए पिछले 3 साल से इसकी क़ानूनी प्रक्रिया के हर पहलू पर बारीकी से मेहनत कर रही थी। इसमें जूते के इतिहास को संकलित करने से लेकर चमड़ा शोधन का इतिहास,फुटवियर की प्रचीनतम निर्माण पद्धतियों से लेकर आधुनिक निर्माण विधियों का विश्लेषण किया गया था। 

इनकी रही अहम् भूमिका।  

एफमेक पूरन डाबर ने बताया कि जीआई विशेषज्ञ पद्म श्री डॉ.रजनीकान्त द्विवेदी के मार्ग दर्शक में इसकी प्रभावी  विधिक कार्यवाही आगे बढ़ाई गई। इसमें एफमेक के प्रदीप वासन, राजीव वासन, रूबी सहगल, गोपाल गुप्ता, ललित अरोड़ा, कैप्टन अजित सिंह राणा, एडमिन चंद्रशेखर जीपीआई की अहम् भूमिका रही। विख्यात शू डिज़ाइनर देवकी नंदन सोन जिन्होंने आगरा के जूते का कई पीढ़ियों का इतिहास संकलित किया इसके अतरिक्त शिल्पियों के रूप में महेश कुमार, देवकी प्रसाद आज़ाद और स्व. भरत सिंह पिप्पल के कौशल का इस कार्य को पूर्ण करने में भरपूर सहयोग रहा।

शिल्पी, ट्रेडर्स, मैन्यूफैक्चरर्स, निर्यातक होंगे लाभान्वित।

आगरा लेदर फुटवियर के लिए आगरा फुटवियर मैन्यूफैक्चरर्स एण्ड एक्सपोटर्स चैम्बर (एफमेक) ने जीआई के लिए दिसम्बर, 2020 में आवेदन किया था और एक लम्बी कानूनी प्रक्रिया के उपरांत इसे जीआई टैग प्राप्त हुआ है। इससे आगरा में रहने वाले सभी शिल्पी, ट्रेडर्स, मैन्यूफैक्चरर्स, निर्यातक लाभान्वित होंगे। उप्र का यह 53वॉ उत्पाद है, जिसे जीआई टैग हासिल हुआ है। 

एफमेक अध्यक्ष पूरन डाबर ने कहा कि जीआई मिलने से आने वाले समय में व्यापक रोजगार के साथ-साथ निर्यात में वृद्धि होगी और आत्मनिर्भर भारत अभियान में आगरा लेदर फुटवियर अपनी मजबूत भागीदारी निभायेंगा। रॉ-मैटरियल डिपो,सीएफसी,विशेष टूलकिट के साथ-साथ शिल्पियों के प्रशिक्षण का भी मार्ग प्रशस्त होगा और अन्य विशेष योजनाओं की शुरूआत होगी।

वर्जन।

भारत सरकार एवं राज्य सरकार के सहयोग से अब इस उत्पाद के लिए कई नई परियोजनाओं को शुरू करने में आर्थिक सहयोग प्राप्त होने के साथ-साथ विदेशों में विशेष प्रदर्शिनियां,जीआई मेला एवं इससे जुड़े चर्म शिल्पियों के लिए विकास का एक नया कानूनी रास्ता भी खुल गया है। अब आगरा निश्चित ही विश्व की फुटवियर कैपिटल बनेगा व निर्यात में एक बड़ी भूमिका निभाएगा। 

-पूरन डाबर,अध्यक्ष,एफमेक।

अब आगरा लेदर फुटवियर के नाम पर चमड़े के जूतों को जनपद से बाहर कहीं भी नहीं बनाया जा सकेगा, और न ही जीआई टैग के साथ बेचा जा सकेगा। यह कानूनी अधिकार सिर्फ आगरा के जूता निर्माताओं और शिल्पियों को ही प्राप्त हो चुका है। 

- पद्मश्री डॉ. रजनीकान्त द्विवेदी, जीआई विशेषज्ञ।