श्री मद्भागवत कथा में सुनाया"गोवर्धन पूजा"का प्रसंग



हिन्दुस्तान वार्ता।ब्यूरो

आगरा: गणपति स्मार्ट सिटी,सिकंदरा आगरा के सोसाइटी के मंदिर में हो रही श्रीमद्भागवत कथा में कथा व्यास आचार्य अजीत दीक्षित ने श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं और गोवर्धन पूजा के प्रसंग विस्तार से सुनाए।

कथा में गोवर्धन पर्वत की कृत्रिम आकृति झांकी के माध्यम से दर्शाई गई। इस अवसर पर भगवान श्रीकृष्ण को 56 भोग लगाए गए। प्रवचनों में आचार्य अजीत दीक्षित ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने पृथ्वी पर धर्म और सत्य की पुन: स्थापना के लिए द्वापर युग में अवतार लिया। उन्होंने बाल्य अवस्था में ही कालीया नाग का मर्दन करके यमुना जी को पवित्र किया। पूतना एवं बकासुर आदि मायावी शक्तियों का अंत किया। भगवान श्रीकृष्ण ने बृज भूमि में आतंक के पर्याय कंस मामा का वध करके अपने माता-पिता देवकी-वसुदेव और नाना महाराज उग्रसेन को कारागार से मुक्त कराया। गोवर्धन पूजा में प्रकृति की पूजा का उल्लेख किया गया। गायकों द्वारा सुनाए गए भजनों पर श्रद्धालु भक्ति विभोर होकर झूम उठे। 

इस दौरान भजनों पर श्रद्धालु देर तक नाचते रहे। प्रसंग में बताया गया कि इंद्र को अपनी सत्ता और शक्ति पर घमंड हो गया था। उनका घमण्ड दूर करने के लिए भगवान ने ब्रज मंडल में इंद्र की पूजा बंद कर,गोवर्धन जी की पूजा शुरू करा दी। इससे गुस्साए इंद्र ने ब्रज मंडल पर भारी बरसात कराई। प्रलय से लोगों को बचाने के लिए भगवान ने अपनी कनिष्ठा उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठा लिया। सात दिनों के बाद इंद्र को अपनी भूल का एहसास हुआ।

झांकी सजाकर मनाया उत्सव :

इस मौके पर गोवर्धन लीला की झांकी भी सजाई गई। कथा के दौरान गोवर्धन पूजन का उत्सव उल्लास के साथ मनाया गया। तत्पश्चात अन्नकूट का प्रसाद वितरण किया गया। भागवत जी की आरती में पंडित श्री शंकर प्रताप शुक्ला एवं सोसाइटी के सभी महिलाएं एवं पुरुष उपस्थित थे।

रिपोर्ट-रवीन्द्र दूबे।