जो जूता व्यापारी नहीं उसके हाथ में शू फैक्टर्स फैडरेशन की कमान
फैडरेशन के नाम पर एफडी और एकाउंट के लिए चल रहा सब खेल
हिन्दुस्तान वार्ता।ब्यूरो
आगरा। विगत 26 जुलाई को निर्विरोध चुने गए आगरा शू फैक्टर्स फैडरेशन के नवनिर्वाचित अध्यक्ष विजय सामा ने अपने विरोध में उठ रहे विरोध के स्वरों का साक्ष्य और प्रमाणों के साथ जवाब देते हुए कहा कि जो व्यक्ति जूता कारोबारी ही नहीं वह 10 वर्ष तक फैडरेशन के अध्यक्ष पद पर कैसे रहा। गागनदास रामानी एक रिटार्यड बैंक कर्मी हैं। उनके नाम से एक भी जूते की फर्म नहीं है। पिछले तीन वर्षों से जयपुर में रह रहे हैं। 10 वर्ष तक बिना किसी चुनाव के लगातार फैडरेशन के संविधान की धज्जियां उड़ाते हुए,वे अध्यक्ष पद पर बने रहे,और अब एक परचूनी की दुकान चलाने वाले, जय पुरसनानी को कार्यवाहक अध्यक्ष जयपुर में रहते हुए ही घोषित कर दिया। जय पुरसनानी के नाम पर जो जूते की फर्म थी,वह 7 वर्ष पूर्व वह दीवालिया घोषित हो चुकी है। जो व्यक्ति दीवालिया घोषित हो जाए,वह फैडरेशन का सदस्य भी नहीं हो सकता। फिर रामानी जी ने उन्हें कार्यवाहक अध्यक्ष कैसे बना दिया।
संजय प्लेस स्थित अवध बैंकट हॉल में आयोजित प्रेस वार्ता में विजय सामा ने कहा कि लालसा अध्यक्ष पद की नहीं बल्कि फैडरेशन के नाम पर एफडी और एकाउंट में जमा पैसे की है।
एक संस्था का भला सेविंग एकाउंट कैसे हो सकता है,जिसकी अथॉरिटी सिर्फ रामानी जी के ही पास है। स्व.राजकुमार सामा जी के अध्यक्ष काल में फैडरेशन के 400 मैम्बर थे जो रामानी जी के समय घटकर 98 रह गए। 2014 में राजकुमार सामा जी के स्वर्गवास के बाद कुछ लोगों ने मिलकर रामानी जी को अध्यक्ष बना दिया। फैडरेशन के संविधान में हर दो वर्ष में चुनाव का नियम है,जो कभी नहीं किए गए। 11 जुलाई को हींग की मंडी स्थित फैडरेशन के कार्यालय में रामानी ने सभी के समक्ष अपने पद से त्याग पत्र देने की घोषणा करते हुए चांद दीवान व टेकचंद जी को चुनाव अधिकारी नियुक्त कर दिया। 15 दिन बाद 26 जुलाई को 98 सदस्यों में से 60 सदस्यों का समर्थन मिलने व अन्य कोई प्रत्याशी न होने के कारण विजय सामा जी को निर्विरोध अध्यक्ष घोषित कर दिया गया।
इस पूरी प्रक्रिया की वीडियो रिकार्डिंग है। इस मौके पर 16 मार्केट के पदाधिकारी मौजूद थे,जिनमें यश गांधी,वासु मूलचंदानी,मनमोहन निरंकारी,अजय महाजन,जांच दीवान, टेकचंद,घनश्याम होरा,विजय,सोनू सचदेवा,श्याम लालवानी,मोहित लालवानी,राजेश लालवानी,जेठा भाई,नरेन्द्र पुरसनानी,विवेक महाजन,भूपेश महाजन, राकेश महाजन, प्रदीप मेहरा, होतचंद, विजय कुमार, हितेश,नारायन चंचल आदि प्रमुख रूप से मौजूद थे।
फैडरेशन के कर्मचारियों ने भी दिए बयान :
प्रेसवार्ता में मौजूद फैडरेशन के कर्मचारी वेद प्रकाश ने बताया कि 27 जुलाई को रामानी जी ने उनसे चेक बुक मांगी, परन्तु वेद प्रकाश ने चेकबुक अध्यक्ष के पास होने की बात कही। वहीं हेमन्त ने बताया कि मेरे सामने रामानी जी ने 11 जुलाई को त्याग पत्र दिया। कहा कि यह फैडरेशन कार्यालय में मेरा आखिरी दिन है,इसके बाद जयपुर में ही मुलाकात होगी।
विजय सामा ने किए सवाल :
गागनदास रामानी बैंक रिटार्यड कर्मी हैं। जीएसटी में उनकी कोई जूता फर्म रजिस्टर्ड है तो वह दिखाएं।
स्व.राजकुमार सामा जी के निधन के बाद गलत तरीके से अध्यक्ष पद सम्भालते हुए उन्होंने तत्कालीन एकाउंटेंट भीमसेन को क्यों हटा दिया।
संस्था के नाम से करेन्ट एकाउंट की जगह सेविंग एकाउंट कैसे है। इसमें बैंक भी फंस सकती है।
2020 से 2024 तक फैडरेशन के संविधान के अनुसार चुनाव क्यों नहीं कराए गए।
7 वर्ष पूर्व जिसकी फर्म दीवालिया घोषित हो चुकी है,उसे फैडरेशन के सदस्य होने का भी अधिकार नहीं उसे रामानी जी (जो स्वयं अध्यक्ष नहीं हैं) ने अध्यक्ष कैसे बना दिया।