हिन्दुस्तान वार्ता।ब्यूरो
आगरा । गत वर्षों की तरह इस वर्ष भी चाँद की तारीख 9 सफर 1445 हि. 15 अगस्त दिन जुमेरात को सज्जादा नशीन व मुतावल्ली हजरत सैय्यद मोहतशिम अली अबुल उलाई व नायब सज्जादगान हजरत सैय्यद विरासत अली अबुल उलाई, हज़रत सैय्यद इशाअत अली अबुल उलाई, हजरत सैय्यद कैफ अली अबुल उलाई व अपने परिवारजनों के साथ दरगाह में कुल शरीफ की रस्म अदा की गई। सबसे पहले दरगाह में कुरान शरीफ का पाठ किया गया, इसके बाद चारों ओर गुलाब जल की वर्षा की गई, मान्यता है कि कुल का छींटा पड़ने से मुराद पूरी होती है।
इसके बाद सज्जादानशीन ने देश की उन्नति, विकास,आपसी भाईचारा और शान्ति के लिए दुआ की।
इस मौके पर सैय्यद असीम अली अबुल उलाई,सैय्यद इकबाल अली अबुल उलाई, सैय्यद अरीब अली अबुल उलाई, सैय्यद शहाब अली,सलमान मज़हर, सैय्यद अजहर अली आदि कुल शरीफ की रस्म अदा करने में शामिल थे।
हज़रत सैय्यद मोहतशिम अली अबुल उलाई के अनुसार आपके व्यक्तित्व को उभारने में आपके नाना ख्वाजा फैज़ी रह. का हाथ था उसी ज़माने में हज़ ख्वाजा फ़ैज़ी एक लड़ाई में शहीद हो गए। राजा मानसिंह को अपने साथी अर्थात ख्वाजा फ़ैज़ी रह. के शहीद होने पर बहुत दुःख हुआ। आपका जनाज़ा मुबारक आगरा लाने की तैयारी शुरू हुई तो राजा साहब ने कहा कि नकले (लाश को एक जगह से दूसरी जगह ले जाना) मना है। मगर ख्वाजा अब्दुल्ला एहरारी रह. के बेटे ख्वाजा अब्दुल शहीद ने फरमाया (अगर ज़रूरी हो तो ठीक है) चुन्नाचे आप को आगरा जमुना पार में दफनाया गया। हज़रत ख्वाजा फैज़ी के कोई साहबजादे नहीं थे। इसलिए राजा मानसिंह ने इन की जगह इनके नवासे हज़रत सय्यदना रह. को गवर्नर बरदवान नियुक्त करने के लिए अकबर के पास सिफारिश भेजी जिसको अकबर ने खुशी के साथ मन्जूर की। निज़ामत बरदवानके अलावा अकबरे आजम ने हज़रत सय्यद रह. को सह हज़ारी के पद पर भी नियुक्ति कर दी। चूँकि राजा मानसिंह को हज़रत सय्यदना रह. से दिली सम्बन्ध था इसलिए वह पदों से बहुत खुश हुए ।
रिपोर्ट -असलम सलीमी।