ग्यारवीं शरीफ' को बड़ी अकीदत व एहतराम से मनाया गया



हिन्दुस्तान वार्ता।ब्यूरो

आगरा। पीरान-ए-पीर हजरत मुहीउद्दीन अब्दुल कादिर जीलानी बड़े पीर साहब रह० हुजूर सल्ललाहो अलैहे वसल्लम की 11वीं उस्सानी को,फातिहा बड़े जश्न व शानोशौकत के साथ मनाते थे जो बाद में ग्यारहवीं शरीफ के नाम से मशहूर हुई। इस ग्यारवीं शरीफ को पूरी दुनिया में विशेष कर भारत में बड़ी अकीदत व एहतराम से मनाते हैं।

 सन् 1779 ई01203 हिजरी में हजरत गौस पाक के परपोते हजरत अब्दुल्ला शाह बगदादी रह० अपने पूर्वज के आदेश पर आगरा पधारे। आपने अपने दादा हुजूर के आदेश पर हजरत गौस पाक का अलम शरीफ बगदाद से लाकर उस समय के जाने माने सूफी संत हजरत मौलवी अमजद अली शाह रहमतुल्ला अलैहे को भेंट किया और आपको सिल सिलाहे कादरिया में मुरीद कर खिलाफत से नवाजा और आदेश दिया कि हर महीने की ग्यारह तारीख को फातिहा करायी जाय व गरीबों में लंगर बॉटा जाय। यह परम्परा आज तक जारी है। सालाना फातेहा पर चॉद की 10 व 11 रबी उस्मानी को अलम शरीफ आम लोगों के दर्शनार्थ रखा जाय। 

इस परम्परा को निभाने के लिए रेशम कटरा ताजगंज में आस्ताना आलिया कादरिया का निर्माण कराया गया। बाद में यही आस्ताना 1225 हिजरी में मेवा कटरा सेव का बाजार,आगरा बनाया गया जो आज भी मौजूद है। इसी आस्ताने पर तकरीबन 200 सालों से बराबर चाँद की दस व ग्यारह तारीख को अलम शरीफ सूफी संतों व आम जनता के लिए रखा जाता है। इसके दर्शनार्थ देश-विदेश से सैंकड़ों अकीदतमंद आते हैं।

आस्ताना आलिया कादरिया के मौजूदा सज्जादा नशीन हजरत सैय्यद सिनवान अहमद शाह कादरी इस परम्परा को बड़ी लगन के साथ निभा रहे हैं। इस मौके पर महफिल-ए-समां का भी आयोजन किया जाता है। जिसमें देश के मशहूर कब्बाल आकर अपना कलाम पेश करते हैं। इस वर्ष यह पर्व 14 अक्टूबर व 15 अक्टूबर, 2024 दिन सोमवार व मंगलवार को मनाया जायेगा। 14 अक्टूबर 2024 को बाद नमाज़ अस्र, अलम शरीफ की जियारत, बाद नमाज मगरिब, लंगर व बाद नमाज ईशां महफिल-ए-समां व 15 अक्टूबर, 2024 को बाद नमाज अस्र, महफिल-ए-समां,बाद नमाज मगरिब, लंगर व बाद नमाज ईंशां रात्रि 10 बजे से महफिल-ए-समां के कार्यक्रम सम्पन्न हुए।

आयोजन में अजमेर शरीफ से अली हमज़ा चिश्ती, फतेहपुर सीकरी के सज्जादा नशीं रईस मिंया चिश्ती, ग्वालियर के राशिद खनूनी, फिरोजाबाद से गुलाम समदानी साहब,बीकानेर से हाफिज फरमान अली, दरगाह अबुल उला के सज्जादा नशीं स० मौहतिम अली अबुल उलाई,आगरा के सै० अजमल अली शाह, सै० असद अली, सै० मैराजउद्दीन, सै० महमूद उज़ ज़मा, सैयद शिराज अहमद शाह, सै० इरफान अहमद सलीम, समी आगाई, अशफाक अहमद इरफानी, मुवीन मियां, सै० आजम अहमद, सै० मसूद उज़ ज़मा, महमूद उज़ ज़मा, अदीव अहमद शाह, सै० नदीम अहमद हाशमी, मुजाहिद हाशमी, तौशीफ उज़ ज़मा आदि मौजूद रहे।

रिपोर्ट-असलम सलीमी