माधुर्य साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था के तत्वावधान में काव्य गोष्ठी आयोजित


गुजरती जिंदगी ने ये सबक मुझको सिखाया है,

जो तड़पा दर्द में उसने सुकून उतना ही पाया है।

हिन्दुस्तान वार्ता।ब्यूरो

आगरा। माधुर्य साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था के तत्वावधान  में माधुर्य कार्यालय पर नव वर्ष के उपलक्ष्य में काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर के प्रतिष्ठित कवि एवं कवयित्रियों ने अपनी रचनाएं सुना कर श्रोताओं का मन मोह लिया। श्रृंगार , वीर, हास्य आदि रसों से सराबोर कविताओं के मेघ जम कर बरसे...

 वरिष्ठ कवयित्री डॉ.कुसुम चतुर्वेदी ने कहा "तुम आधार हुए जीवन के, मिले नए आयाम..संस्कार भारती के वट वृक्ष राज बहादुर राज जी ने ,"मोतियों को न यूं ही लुटाया करो"

डॉ.राघवेंद्र शर्मा ने, ये भयानक दौर है तुम होश में रहना ज़रा,

डॉ.राजेंद्र मिलन ने ,"लेकर आया नया संदेशा जीवन का उत्कर्ष"

गीतकार कुमार ललित ने कहा," सामने है फिर नया इक साल 

ये दुआ है सब रहें खुशहाल"

इस अवसर पर आगरा के समस्त साहित्यिक परिवार ने नववर्ष का मिलकर अभिनंदन,स्वागत किया।  काव्य गोष्ठी का आयोजन संस्था की अध्यक्ष निशिराज जी ने किया और संचालन प्रकाश गुप्ता बेबाक द्वारा किया गया। 

काव्य गोष्ठी की व्यवस्थाएं राज कुमार जैन ने संभाली। रमा वर्मा 'श्याम', राज बहादुर राज,समायरा विजय गुप्ता, कुसुम चतुर्वेदी, अतुल दक्ष, नागेश शुक्ला, डॉक्टर हरवीर परमार, नीलम गुप्ता, डॉक्टर राघवेंद्र शर्मा, डॉक्टर रेखा गौतम, श्वेता, डॉक्टर राजेंद्र मिलन, कुमार ललित, विनय बंसल, नंद नंदन गर्ग, डॉ. पायल सक्सेना,डॉ.राजीव शर्मा निस्पृह,एवं रामेंद्र शर्मा आदि की कवि गोष्ठी में महती उपस्थिति रही।