हिन्दुस्तान वार्ता।
मोदी जी ने रूस यूक्रेन युद्ध के लिए भी कहा था, यह समय युद्ध का नहीं आगे बड़ने का है,कोई भी सभ्य देश युद्ध में नहीं जाता, जब तक युद्ध थोपा न जाए।
पहलगाम के आतंकी हमले पर भी प्रधानमंत्री ने कहा था कि आतंकी कहीं भी छुपे हों उनका अंत होकर रहेगा। आतंकियों को ढूँड़कर कर निकाला जाएगा,कभी भी युद्ध की बात नहीं की थी। आतंकियों के अड्डों को नष्ट करना था किया,पाकिस्तान ने भी खाना पूरी की। ड्रोन अटैक कर, भारत ने उसका जवाब भी उसी भाषा में दिया। युद्ध कभी किसी के हित में नहीं होता। पाकिस्तान को विलुप्त हो जाने का डर था और भारत का इतिहास रहा है कभी आक्रमण नहीं करता, यदि आक्रमण हुआ और युद्ध थोपा गया तो भारत इतना सशक्त है कि पाकिस्तान कहीं नहीं टिकता।
आज जो विपक्षी युद्ध विराम पर विलाप कर रहे है, यदि युद्ध लंबा चलता तो दुश्मन कितना भी कमजोर हो, जन हानि सैनिकों की हो या नागरिकों की, उस पर भी बड़ा विलाप होता। यह विलाप या जन हानि या शहादत तभी स्वीकार्य होती हैं जब कोई विकल्प न हो या युद्ध थोपा ना जाए।
मोदी सरकार ने यह चेतावनी भी दी यदि कोई अब आतंकी घटना होती है तो उसे युद्ध ही कहा जाएगा, यानि कि आगे कोई भी आतंकी घटना होती है तो उसे युद्ध विराम का उलंघन माना जाएगा। सीधी युद्ध कार्यवाही की जा सकती है, और न ही उससे पहले सिंधु जल संधि के स्थगन को वापस लिया।
जहाँ तक विपक्ष की प्रतिक्रियाओं का प्रश्न है भारत का अपरिपक्व विपक्ष युद्ध चलता तो भी विलाप था न होता तो भी विलाप और रुका तो भी विलाप.. अभी फ़िलहाल वर्तमान विपक्ष के हिस्से में विलाप ही है।
भारतीय सेना के शौर्य को सलाम और मोदी सरकार की कूटनीति और सही समय पर सही निर्णय को सलाम। फ़िलहाल राज्य है ईश्वर से प्रार्थना है, पाकिस्तान को सद्बुद्धि दे, मोदी जी ने सत्ता संभालते ही प्रस्ताव दिया था कि हम दोनों की समस्या ग़रीबी से लड़ने की है न कि आपस में … और इस नीति या सलाह को मानता है तो भारत से कहीं अधिक पाकिस्तान का हित है और आज की दयनीय आर्थिक स्थिति से बाहर आ सकता है,यद्यपि पाकिस्तान की फ़ितरत आहू फ़ितरती नीति ऐसा होने नहीं देने वाली।