चैम्बर के प्रतिनिधि मंडल द्वारा प्रेषित आगरा की औद्योगिक एवं व्यापारिक समस्याओं को सुना
यूपीसीडा द्वारा अत्याधिक रख-रखाब शुल्क लगाये जाने के मुद्दे को चैम्बर ने प्रमुखता से उठाया
यूपीसीडा द्वारा अत्याधिक लगाये गये रख-रखाब शुल्क को कम करने का दिया आश्वासन
डीवीजन पर सकारात्मक कार्यवाही का दिया आश्वासन
हिन्दुस्तान वार्ता। ब्यूरो
आगरा :7 नवम्बर, चैम्बर का प्रतिनिधि मंडल,चैम्बर अध्यक्ष संजय गोयल की अध्यक्षता में कैबिनेट मंत्री - औद्योगिक विकास,निर्यात प्रोत्साहन, एन.आर.आई.,निवेश प्रोत्साहन नंद गोपाल गुप्ता नंदी जी से उनके आगरा आगमन पर मिला। चैम्बर द्वारा मंत्री जी को उद्योग एवं व्यापार से संबन्धित 05 सूत्रीय प्रतिवेदन दिया गया।
1. गृह कर के स्थान पर यूपीसीडा द्वारा रख रखाव शुल्क की अधिकता एवं 1 जनवरी 2025 से 31 मार्च 2025 तक का दोहरा शुल्क लेने के सम्बन्ध में - यूपीसीडा द्वारा औद्योगिक क्षेत्र के रख-रखाव के लिये मेन्टेनेंस चार्ज के रूप में जो मांगा गया है वह नगर निगम के शुल्क से भी बहुत अधिक है। यूपीसीडा द्वारा औद्योगिक क्षेत्रों के रख-रखाब के लिये 35/-रू0 मी0 की दर से मेन्टेनेंस चार्ज मांगा जा रहा है जिसके कारण 1000 वर्गमी0 की भूमि पर 35000/- रू0 प्रतिवर्श मेन्टेनेन्स चार्ज होता है जबकि वर्तमान में औद्योगिक इकाई से नगर निगम द्वारा अभी तक 18000/-रू0 से 25000/- लगभग मेन्टेनेन्स चार्ज लिया जा रहा था। चूँकि नगर निगम के कर की दर रिक्त भूमि एवं कवर्ड ऐरिया के अनुसार अलग-अलग दर के आधार पर लगती है। इन दरों मंे क्षेत्र एवं सड़क की चौड़ाई का भी आधार होता है। इसलिये इनके कर की दर को सीधे यूपीसीडा के मेन्टेनेन्स चार्ज से तुलनात्मक अंतर नहीं बताया जा सकता, लेकिन सभी उद्यमियों के पास जो बिल जानकारी में आ रहे हैं, उन पर नगर निगम के मुकाबले 30 प्रतिषत से 40 प्रतिषत तक अधिक है। महोदय, उद्यमियों पर मेन्टेनेंस षुल्क का बोझ अत्यन्त बढ़ गया है, उसके अनुसार वाली सुविधाएं भी नगर निगम से मिल रही रही सुविधाओं से काफी निम्न स्तर की हैं। अतः आपसे विनम्र निवेदन है कि उक्त मेन्टेनेन्स शुल्क को शीघ्र कम करके आगरा के उद्यमियों को राहत प्रदान करने की कृपा करें (इस सन्दर्भ में विस्तृत पत्र संलग्न कर प्रेषित है)। संलग्नक-1
2. यूपीसीडा द्वारा दशकों पूर्व आवंटित भूखंड पर उत्पादन की संस्तुति ;ैव्च्द्ध लेने के सम्बन्ध में - यूपीसीडा ने गत एक दो वर्ष पूर्व अपने सभी, प्रारंभ से लेकर आज तक के अवंटियों से भूखंड पर स्थित इकाईयां, उत्पादन में आ चुकी है, एवं वर्तमान में कार्यरत हैं। इसकी पुष्टि के लिए प्रत्येक अवंटी से, अलॉटमेंट के समय के एवं वर्तमान के कुछ प्रपत्र जैसे विद्युत कनेक्शन का सीलिंग सर्टिफिकेट, मशीन के खरीद के बिल परचे, बिक्री के बिल, बिक्री कर रजिस्ट्रेशन प्रमाण पत्र, भवन मानचित्र स्वीकृति पत्र आदि- आदि अन्य संबंधित पत्र ऑनलाइन पोर्टल पर चाहे हैं। इसके संदर्भ में इस के औचित्य पर हम अपनी आपत्ति समय समय पर विभाग मे पत्रो द्वारा दर्ज कराते रहे है। हम आशा करते थे कि विभाग द्वारा चाहे गए लगभग सभी प्रपत्र पूर्व में उद्यमी द्वारा जमा किए जाते रहे हैं, जो की फाइलों में उपलब्ध होंगे। इसलिए उन प्रपत्रों को विभाग द्वारा पोर्टल पर स्वय अपलोड कर देना चाहिए, फिर भी यदि कुछ बकाया प्रपत्र रह जाए तो, उन बकाया प्रपत्रों की मांग विभाग द्वारा की जाए, तो यह ठीक रहेगा, पर ऐसा हुआ नही। ज्यादातर छोटे उद्यमी अपना पूरा ऑफिस स्वयं ही संचालित करते हैं। इस कारण वह अपने व्यापार से संबंधित लेखा पुस्तके और उससे संबंधित प्रपत्र प्राय तीन से पांच साल सुरक्षित रखते हैं। इनकम टैक्स एवं सेल्स टैक्स विभाग द्वारा संबंधित प्रपत्रों को सुरक्षित रखने की अनिवार्यता की अवधि लगभग तीन से पांच साल है। इस कारण इस अवधि के व्यतीत होने के बाद पुरानी लिखा पुस्तक एवं प्रपत्र प्राय नष्ट कर दिए जाते हैं।ऐसे में 20 से 60 साल पुराने प्रपत्र उपलब्ध कराना सभी उद्यमियों के लिए संभव नहीं है। यह बिंदु वर्तमान के नियम के हिसाब से प्रासंगिक है। हमारा सुझाव है कि विभाग को इस की पुष्टि करनी चाहिए और आज की स्थिति को मान्यता देते हुए भविष्य के लिए आवंटन की शर्तों और वर्तमान नियमों को सकारात्मक लागू करवाने की बाध्यता करनी चाहिए। (इस सन्दर्भ में विस्तृत पत्र संलग्न कर प्रेषित है)। संलग्नक-2
3. लीजहोल्ड से फ्रीहोल्ड करने के सम्बन्ध मेंः- लीजहोल्ड से फ्रीहोल्ड करने के सम्बन्ध में हम आपके संज्ञान में लाना चाहते हैं कि देष के अन्य प्रदेशों में लीज हेतु भूमियों को शुल्क लेकर फ्रीहोल्ड किया जा रहा है। इस सम्बन्ध में हमने यूपीसीडा के द्वारा विकसित औद्योगिक क्षेत्रों के लिये भी फ्रीहोल्ड करने की प्रक्रिया विगत 10 वर्षों पूर्व शासन स्तर पर प्रारम्भ किया गया था। लेकिन उसमें कुछ भ्रांतियाँ उत्पन्न करते हुए इस प्रकरण को लम्बे समय से लम्बित कर दिया गया है। महोदय, भूमि के फ्रीहोल्ड न होने के कारण लघु उद्यमियों को बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है एवं इसके रहते विभाग में अदृष्य भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिल रहा है उसके कलैक्शन एवं रख-रखाब करने में संभवतः विभाग का खर्चा राजस्व प्राप्ति से अधिक होता होगा। हम आपके संज्ञान में लाना चाहते हैं कि विभिन्न प्रांतों में उद्योगों के लिये फ्रीहोल्ड के कदम उठाये गये हैं जैसे दिल्ली, पंजाब, कर्नाटक, पष्चिम बंगाल एवं हरियाणा। आशा है कि आप उपरोक्त में शीघ्र निर्णय लेकर उद्यमियों की समस्या को दूर करते हुए फ्रीहोल्ड करने हेतु आदेश निर्गत करेंगे। (इस सन्दर्भ में विस्तृत पत्र संलग्न कर प्रेषित है)। संलग्नक-3
4. नेशनल चैम्बर ऑफ इंडस्ट्रीज एंड कॉमर्स, यू.पी., आगरा के नए भवन हेतु भूखंड आवंटन के सम्बन्ध मेंः- नेशनल चैम्बर ऑफ इंडस्ट्रीज एंड कॉमर्स यू.पी., आगरा इस भूभाग में (पश्चिमी उत्तर प्रदेश में) सबसे बड़ा औद्योगिक संगठन है जो 1949 में स्थापित हुआ था और तब से निरंतर औद्योगिक विकास की गतिविधियां कर रहा है। वर्तमान में इसे 1800 से अधिक सदस्य और अन्य संबद्ध संस्थाएं सदस्य के रूप में जुड़ी हैं। इसका भवन वर्तमान में न्यू मार्केट जीवनी मंडी में स्थित है जो शहर की व्यस्त जगह पर होने के कारण अपनी गतिविधियों को सुचारू रूप से नहीं चला पा रहा है। अतः हमें 1000 वर्ग मीटर भूखंड फाउंड्री नगर औद्योगिक क्षेत्र में आवंटित किया जाए। इसके लिए हमारा विनम्र निवेदन है कि फाउंड्री नगर औद्योगिक क्षेत्र में सीएफसी की पुरानी बिल्डिंग में 5000 वर्ग मीटर जगह खाली पड़ी हुई है। अतः सीएफसी की खाली जगह में से 1000 वर्ग मीटर जगह नेशनल चैम्बर ऑफ इंडस्ट्रीज एण्ड कॉमर्स को न्यूनतम दर पर आवंटित करवाने की कृपा करें जिससे औद्योगिक गतिविधियों को सुचारू रुप से चला सकें।
5. लैदर पार्क - वर्ष 2000 में नये औद्योगिक क्षेत्र की योजना लैदर पार्क के नाम से किरावली के समीप महुआ में 260 हैक्टेयर में प्रारम्भ की गयी थी, परन्तु पर्यावरण की वैधानिक कार्यवाही के कारण अभी तक स्थगित है। अतः आगरा में अभी तक नये औद्योगिक क्षेत्र का विकास नहीं हुआ है।
कैबिनेट मंत्री-औद्योगिक विकास,निर्यात प्रोत्साहन, एन.आर.आई., निवेश प्रोत्साहन द्वारा चैम्बर के प्रतिनिधि मंडल को बहुत ही गंभीरता से सुना गया व शीघ्र सकारात्मक कार्यवाही का आश्वासन दिया गया।
प्रतिनिधि मंडल में चैम्बर अध्यक्ष संजय गोयल,उपाध्यक्ष संजय कुमार गोयल, कोषाध्यक्ष संजय अग्रवाल, यूपीएसआईडीसी प्रकोष्ठ के चेयरमैन एवं पूर्व अध्यक्ष मुकेश अग्रवाल, सीताराम अग्रवाल, अमर मित्तल, अतुल कुमार गुप्ता, अंशुल अग्रवाल आदि उपस्थित थे।

