हिन्दुस्तान वार्ता। ब्यूरो
आगरा। बल्केश्वर स्थित गौशाला प्रांगण में चल रहे भव्य श्रीकृष्ण लीला महोत्सव में बुधवार की रात्रि भक्तिरस का अलौकिक प्रवाह देखने को मिला। श्रीकृष्ण-रुक्मणी मंगल लीला के मंचन के दौरान जब रथ पर सवार श्रीकृष्ण पधारे और रुक्मणी हरण का दिव्य दृश्य प्रस्तुत हुआ,तो पूरा परिसर "जय कन्हैया लाल की" के जयकारों से गूँज उठा। पुष्प-वर्षा,शंखनाद और हरिनाम संकीर्तन ने वातावरण को आध्यात्मिक उल्लास से भर दिया।
कार्यक्रम का आकर्षण रथ पर सवार भगवान श्रीकृष्ण का आगमन और रुक्मणी हरण प्रसंग रहा, जिसे दर्शकों ने मंत्रमुग्ध होकर निहारा।
रुक्मिणी,विदर्भ देश के राजा भीष्म की पुत्री और साक्षात लक्ष्मी जी का अवतार थीं। देवर्षि नारद से श्रीकृष्ण के तेज, सौंदर्य और गुणों का वर्णन सुनकर उन्होंने मन ही मन कृष्ण को पति रूप में वरण किया।
भाई रुक्मी ने उनका विवाह शिशुपाल से निश्चित किया। रुक्मणी ने ब्राह्मण दूत द्वारा श्रीकृष्ण को संदेश भेजा। कृष्ण कुंडिनपुर पहुँचे, युद्ध में शिशुपाल और उसके समर्थक राजाओं को परास्त किया तथा रुक्मणी का हरण किया। लौटते समय रुक्मी का भी संहार किया। तत्पश्चात द्वारिका में भव्य वैवाहिक उत्सव सम्पन्न हुआ।
मुख्य अतिथि मनकामेश्वर महंत श्री योगेश पुरी ने स्वरूपों की आरती उतारी और कहा कि भगवान श्रीकृष्ण और रुक्मणी की यह दिव्य लीला हमें प्रेम, समर्पण, धर्म और सत्य पर अडिग रहने की प्रेरणा देती है। श्रीकृष्ण लीला न केवल मनोरंजन है,बल्कि अध्यात्म का साक्षात् प्रवाह है,जो जन-जन के हृदय में भक्ति का दीप प्रज्वलित करता है। इस दिव्य आयोजन के लिए समिति साधुवाद की पात्र है।
गुरुवार को होगी भजन संध्या :
समिति अध्यक्ष मनीष अग्रवाल ने बताया कि लीला महोत्सव अब अंतिम सोपान पर है। गुरुवार को श्री खाटू श्याम जी की भजन संध्या सजेगी और शुक्रवार को हवन के साथ पूर्णाहुति होगी।
ये रहे उपस्थित :
मुकेश गोयल, संजय चेली, संजय गर्ग, केके अग्रवाल, रेनू गोयल, अशोक गोयल, मनोज बंसल, शेखर गोयल, आयुष बंसल, तानुराग गोयल, विजय रोहतगी आदि उपस्थित रहे।

