स्त्रियो को बाल खुले क्यों नहीं रखने चाहिए : संकलन "गौसेवक" खोजी बाबा



 खुले बाल, शोक और नकरात्मक संकेत:--


 रामायण में बताया गया है,:--


जब देवी सीता का श्रीराम से विवाह होने वाला था, उस समय उनकी माता ने उनके बाल बांधते हुए उनसे कहा था, विवाह उपरांत सदा अपने केश बांध कर रखना।

बंधे हुए लंबे बाल आभूषण श्रृंगार होने के साथ साथ संस्कार व मर्यादा में रहना सिखाते हैं।

ये सौभाग्य की निशानी है।

एकांत में केवल अपने पति के लिए इन्हें खोलना।


हजारो लाखो वर्ष पूर्व हमारे ऋषि मुनियो ने शोध कर यह अनुभव किया कि सिर के काले बाल को पिरामिड नुमा बनाकर सिर के उपरी ओर या शिखा के उपर रखने से वह सूर्य से निकली किरणो को अवशोषित  करके शरीर को ऊर्जा प्रदान करते है। जिससे चेहरे की आभा चमकदार, शरीर सुडौल व बलवान होता है।


यही कारण है कि गुरुनानक देव व अन्य सिक्ख गुरूओ ने बाल रक्षा के असाधारण महत्त्व को समझकर धर्म का एक अंग ही बना लिया। लेकिन वे कभी भी बाल को खोलकर नही रखे।


ऋषी मुनियो व साध्वीयो ने हमेशा बाल को बांध कर ही रखा।


महिलाओं के लिए केश सवांरना अत्यंत आवश्यक है उलझे एवं बिखरे हुए बाल अमंगलकारी कहे गए है।


कैकेई का कोपभवन में बिखरे बालों में रुदन करना और अयोध्या का अमंगल होना।


पति से वियुक्त तथा शोक में डुबी हुई स्त्री ही बाल खुले रखती है।


जब रावण देवी सीता का हरण करता है तो उन्हें केशों से पकड़ कर अपने पुष्पक विमान में ले जाता है।


अत: उसका और उसके वंश का नाश हो गया।


महाभारत युद्ध से पूर्व कौरवों ने द्रौपदी के बालों पर हाथ डाला था, उनका कोई भी अंश जीवित न रहा।


कंस ने देवकी की आठवीं संतान को जब बालों से पटक कर मारना चाहा तो वह उसके हाथों से निकल कर महामाया के रूप में अवतरित हुई।


कंस ने भी अबला के बालों पर हाथ डाला तो उसके भी संपूर्ण राज-कुल का नाश हो गया।


सौभाग्यवती स्त्री के बालों को सम्मान की निशानी कहा गया है।


गरुड पुराण के अनुसार बालों में काम का वास रहता है । बालों का बार बार स्पर्श करना दोष कारक बताया गया है। क्योकि बालों को अशुध्दी माना गया है इसलिय कोई भी जप - अनुष्ठान ,चूड़ाकरण, यज्ञोपवीत, आदि-२ शुभाशुभ कृत्यों में क्षौर कर्म कराया जाता है ।

तथा शिखाबन्धन कर पश्चात हस्त प्रक्षालन कर शुद्ध किया जाता है।


दैनिक दिनचर्या में भी स्नान पश्चात बालों में तेल लगाने के बाद उसी हाथ से शरीर के किसी भी अंग में तेल न लगाएं हाथों को धो लें। भोजन आदि में बाल आ जाय तो उस भोजन को ही हटा दिया जाता है।


 मुण्डन या बाल कटाने के बाद शुद्ध स्नान आवश्यक बताया गया है। बडे यज्ञ अनुष्ठान आदि में मुंडन तथा हर शुद्धिकर्म में सभी बालो (शिरस्, मुख और कक्ष) के मुण्डन का विधान हैं ।


*बालों के द्वारा बहुत सा तन्त्र क्रिया होती है जैसे वशीकरण*


यदि कोई स्त्री खुले बाल करके निर्जन स्थान या....ऐसा स्थान जहाँ पर किसी की अकाल मृत्यु हुई है.. ऐसे स्थान से गुजरती है तो अवश्य ही प्रेत बाधा का योग बन जायेगा ।


वर्तमान समय में पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव से महिलाये खुले बाल करके रहना चाहती हैं, और जब बाल खुले होगें तो आचरण भी स्वछंद ही होगा।


                   - "गौसेवक" पं. मदन मोहन रावत

                                       "खोजी बाबा"