प्रबंध निदेशक ले रहा 55 लाख रूपये महिने वेतन, जाॅच की मांग आयोग कम्पनी पर बैठाये प्रशासक

 



प्रेम शर्म,लखनऊ।

निजी क्षेत्र की पहली कम्पनी नोयडा पावर कम्पनी द्वारा दाखिल एआरआर वर्ष 2021-22 ट्रू-अप वर्ष 2019-20 व एपीआर पर आज विद्युत नियामक आयोग चेयरमैन  आर पी सिंह एवं सदस्यगण  कौशल किशोर शर्मा एवंविनोद कुमार श्रीवास्तव की उपस्थित में वीडियों कान्फे्रसिंग के माध्यम से सम्पन्न हुयी जिसमें सर्वप्रथम नोयडा पावर कम्पनी के एमडी श्री आरसी अग्रवाला द्वारा अपना प्रस्तुतीकरण किया गया। नियामक आयोग चेयरमैन ने सभी पक्षों को सुनने के बाद कहा कि सभी आपत्तियों का जवाब आने के बाद आयोग बिजली दर पर अंतिम निर्णय लेगा। इस दौरान उपभोक्ता परिषद की तरफ से एक बिजली कम्पनी के प्रबंध निदेशक को 55 लाख रूपये महिने की वेतन दिए जाने की जाॅच कराये जाने के साथ उस कम्पनी का अगस्त 23 में लाइसेंस समाप्त होने की दशा में तत्काल उक्त कम्पनी में प्रशासन बिठाए जाने की बाॅत रखी गई। 

प्रदेश के उपभोक्ताताअेा का पक्ष रखते हुये राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि नोयडा पावर कम्पनी का लाइसेंस 30 अगस्त 2023 को समाप्त हो रहा है ऐसे में अच्छा यह होता कि इसकी टैरिफ की सुनवाई न करके अविलम्ब आयोग द्वारा प्रशासक नियुिक्त कर इसके सभी असेट का वेरीफिकेशन कराना चाहिये या तो बिडिंग रूट से पुनः टेंडर निकाले जायें या फिर पश्चिमाॅंचल विद्युत वितरण कम्पनी द्वारा इसे टेकओवर किया जाये। कितने दुर्भाग्य की बात है कि निजी क्षेत्र की इस कम्पनी की बैलेन्स सीट को देखने से एक बडा खुलासा हुआ जिसमें कम्पनी के की मैनेजमेन्ट पोस्ट यानि प्रबन्ध निदेशक एनपीसीएल को 6.5 करोड प्रति वर्ष तनख्वाह यानि 55 लाख प्रति माह का भुगतान जनता की गाढ़ी कमाई से किया जा रहा है। चैकाने वाली बाॅत यह कि 2000 मिलियन यूनिट वितरण करने वाली इस कम्पनी के एमडी को भारत में सबसे ज्यादा तनख्वाह दी जा रही है। ऐसे मंे यह प्रकरण आयोग की जाॅच का विषय है।  दूसरा सबसे बडा मामला यह है कि वर्ष 2019-20 में एनपीसीएल ने मंहगी कारें खरीदी जिसमें एमजीहेक्टर, हाॅंडा सिविक सहित जानी मानी कम्पनियों की 18 से 22 लाख रूपये की गाडियाॅं और ऊपर से अब वर्ष 2021-22 में भी लगभग 2.25 करोड रूपये की गाडी खरीदने का प्रस्ताव प्रदेश सरकार की मितव्ययिता वाले खर्च की प्राथमिकता पर प्रश्न चिन्ह है।  एनपीसीएल का लाइन लास किसी भी हालत में 7 प्रतिशत के ऊपर नही है। ओएनडम खर्च जो नियामक आयोग द्वारा वर्ष 2020-21 के लिये 73 करोड अनुमोदित था अब उसे लगभग 50 प्रतिशत बढाकर 155 करोड प्रस्तावित करना भी एक बड़ा गंभीर मामला है। वहीं दूसरी ओर कैपेक्स में वर्ष 2019-20 में नोयडा पावर कम्पनी ने 170 करोड प्रस्तावित किया और अब सीधे वर्ष 2021-22 में रू0 350 करोड प्रस्तावित करना वह भी जब वर्ष 2023 में उसका लाइसेंस खत्म हो रहा है बडे जाॅंच का विषय है। प्रदेश की 5 सरकारी बिजली कम्पनियों का नारमेटिव आॅंकडा और नोयडा पावर कम्पनी का दोनो भिन्न हैं यह भी जाॅंच का मामला है। सब मिलाकर वर्ष 2020-21 में नोयडा पावर कम्पनी के ऊपर उस क्षेत्र के उपभोक्ताओं का जो लगभग 148 करोड निकल रहा है उसके एवज में वहाॅं के उपभोक्ताओं को 10 प्रतिशत रेग्यूलेटरी लाभ देते हुये उपभोक्ता परिषद द्वारा बिजली कम्पनियों के लिये दाखिल कोविड राहत टैरिफ प्रस्ताव यहाॅं भी लागू किया जाये। उपभोक्ता परिषद ने कहा कि एनपीसीएल ने जो सीएसआर खर्च 26 करोड दिखाया है उसका ब्रेकअप लिया जाये साथ ही 8 करोड प्रोफेशनल फीस के बारे में भी पूरी जानकारी माॅंगी जायें। सुनवाई के दौरान एनपीसीएल के प्रबन्ध निदेशक आर सी अग्रवाला ने उपभोक्ता परिषद के सवालों का जवाब देते हुये कहा कि उपभोक्ता परिषद जो सीएसआर खर्च 26 करोड की बात कर रहा है एनपीसीएल ने पिछले साल उसमें से 25 करोड पीएम फण्ड में दिया था। अपनी सेलरी और मंहगी कार के मामले में गोलमोल जवाब देते रहे।