हिन्दुस्तान वार्ता।अजित प्रताप सिंह लालू
कानपुर देहात ।कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए शासन व प्रशासन द्वारा लगाए गए लॉकडाउन से मजदूर वर्ग 1 की स्थिति पूरी तरह से चरमरा गई है। वही प्रशासनिक खौफ की वजह से अब उनकी जगह देश के छोटे-छोटे नौनिहालों ने रोटी की खोज कर करना शुरू कर दिया है। ऐसा ही नजारा कस्बे रुरा में जहां छोटे-छोटे बच्चे साइकिलों में सामान लेकर गलियों में घूम रहे हैं। जहां एक ओर शासन और प्रशासन बाल मजदूरी पर प्रतिबंध लगाने का प्रयास कर रही है। वही आज इन बाल मजदूरों के सामने उनके परिवारों को पालने और दो वक्त की रोटी मुहैया कराने के लिए समस्या आन पड़ी है।
अकबरपुर तहसील के रूरमे इन नौनिहालों को देखकर आज हमारे संवाददाता ने उनसे जानकारी हासिल करने की कोशिश की तो पता चला कि यह बच्चे जिसमें एक का नाम मयंक 9 वर्ष पुत्र छविलाल कुशवाहा है। तथा दूसरे का नाम मनोज उम्र लगभग 11 वर्ष पुत्र रामचंद्र कुशवाहा है।
इन किशोरों का कहना है कि पुलिस की डर की वजह से उनके परिजन बाहर धंधे के लिए नहीं निकल पा रहे हैं। जिसकी वजह से मजबूर होकर उन्हें दो वक्त की रोटी के लिए काम करने के लिए निकलना पड़ा है। यह हमारे देश की विडंबना है कि आज इस महामारी को लेकर लोगों के सामने दो वक्त की रोटी की समस्या खड़ी हो गई है। काश इनके लिए भी कोई गाइडलाइन बनाई जाती जिससे इन्हें दो वक्त की रोटी के लिए मजबूर न होना पड़ता।